39. अर्थात इनकी पूजा निर्मूल और बाप-दादा की परंपरा पर आधारित है, जिसका सत्य से कोई संबंध नहीं है।
40. अर्थात यह कि संसार में प्रत्येक को अपनी इच्छानुसार कर्म करने का अवसर दिया जाएगा। 41. अर्थात मिश्रणवादी क़ुरआन के विषय में।
42. अर्थात धर्मादेश की सीमा का।
43. नमाज़ के समय के सविस्तार विवरण के लिए देखिए सूरत बनी इसराईल, आयत : 78, सूरत ताहा, आयत : 130, तथा सूरतुर्-रूम, आयत : 17-18. 44. ह़दीस में आता है कि आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमाया : यदि किसी के द्वार पर एक नहर जारी हो, जिसमें वह पाँच बार स्नान करता हो, तो क्या उसके शरीर पर कुछ मैल रह जाएगी? इसी प्रकार पाँचों नमाज़ों से अल्लाह पापों को मिटा देता है। (बुख़ारी : 528, मुस्लिम : 667) किंतु बड़े-बड़े पाप जैसे शिर्क, हत्या इत्यादि बिना तौबा के क्षमा नहीं किए जाते।