Tradução dos significados do Nobre Qur’an. - Tradução indiana de interpretação abreviada do Nobre Alcorão.

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196 : 7

اِنَّ وَلِیِّ اللّٰهُ الَّذِیْ نَزَّلَ الْكِتٰبَ ۖؗ— وَهُوَ یَتَوَلَّی الصّٰلِحِیْنَ ۟

वास्तव में, मेरा मददगार और सहायक अल्लाह है, जो मेरा संरक्षण करता है। अतः मैं उसके अलावा किसी और से आशा नहीं रखता, और मुझे तुम्हारी मूर्तियों से कुछ भी डर नहीं है। क्योंकि वही (अल्लाह) है जिसने मुझपर क़ुरआन को लोगों के मार्गदर्शन के लिए उतारा है और वही अपने सत्कर्मी बंदों के सारे काम संभालता है। चुनाँचे उनका संरक्षण करता और उनकी सहायता करता है। info
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197 : 7

وَالَّذِیْنَ تَدْعُوْنَ مِنْ دُوْنِهٖ لَا یَسْتَطِیْعُوْنَ نَصْرَكُمْ وَلَاۤ اَنْفُسَهُمْ یَنْصُرُوْنَ ۟

और इन मूर्तियों में से जिन्हें (ऐ मुश्रिको!) तुम पुकारते हो, वे न तुम्हारी सहायता करने में सक्षम हैं, और न ही वे स्वयं का समर्थन करने में सक्षम हैं। क्योंकि वे असहाय हैं। तो फिर तुम अल्लाह को छोड़कर उन्हें कैसे पुकारते हो?! info
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198 : 7

وَاِنْ تَدْعُوْهُمْ اِلَی الْهُدٰی لَا یَسْمَعُوْا ؕ— وَتَرٰىهُمْ یَنْظُرُوْنَ اِلَیْكَ وَهُمْ لَا یُبْصِرُوْنَ ۟

और (ऐ मुश्रिको!) यदि तुम अपनी मूर्तियों को, जिन्हें तुम अल्लाह के सिवा पूजते हो, सीधी राह की ओर बुलाओ, तो वे तुम्हारे बुलावे को नहीं सुनेंगी। और तुम उन्हें देखोगे कि वे तुम्हारी ओर तुम्हारी ही बनाई हुई आँखों से देख रही हैं, हालाँकि वे निर्जीव चीज़ें हैं, जो नहीं देखती हैं। दरअसल मुश्रिक लोग मनुष्यों या जानवरों के रूप में मूर्तियाँ बनाते थे, जिनके हाथ, पैर और आँखें होती थीं। लेकिन वे बेजान होती थीं, न उनके अंदर जीवन होता था न हरकत। info
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199 : 7

خُذِ الْعَفْوَ وَاْمُرْ بِالْعُرْفِ وَاَعْرِضْ عَنِ الْجٰهِلِیْنَ ۟

(ऐ रसूल!) आप लोगों के उन कार्यों और व्यवहारों को स्वीकार करें, जो वे खुशी मन से करें और जो उनके लिए आसान हों। उनपर ऐसे कार्य और व्यवहार का बोझ न डालें जिनकी उनके स्वभाव अनुमति नहीं देते हैं। क्योंकि यह उन्हें आपसे दूर करने का कारण बनेगा। और आप हर सुंदर बात तथा अच्छे कार्य का आदेश दें और अज्ञानी लोगों से उपेक्षा करें। इसलिए उनकी अज्ञानता का जवाब अज्ञानता से न दें। चुनाँचे जो आपको कष्ट दे, आप उसे कष्ट न दें और जो आपको वंचित करे, आप उसे वंचित न करें। info
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200 : 7

وَاِمَّا یَنْزَغَنَّكَ مِنَ الشَّیْطٰنِ نَزْغٌ فَاسْتَعِذْ بِاللّٰهِ ؕ— اِنَّهٗ سَمِیْعٌ عَلِیْمٌ ۟

और यदि (ऐ रसूल!) आप महसूस करें कि शैतान आपके दिल में कोई ग़लत ख़याल डाल रहा है या आपको सत्कर्म से रोकने का प्रयास करता है, तो अल्लाह का शरण लें और उसे मज़बूती से पकड़ लें। क्योंकि वह आपकी बात को सुनने वाला और आपके शरण लेने को जानने वाला है। अतः वह शैतान से आपकी रक्षा करेगा। info
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201 : 7

اِنَّ الَّذِیْنَ اتَّقَوْا اِذَا مَسَّهُمْ طٰٓىِٕفٌ مِّنَ الشَّیْطٰنِ تَذَكَّرُوْا فَاِذَا هُمْ مُّبْصِرُوْنَ ۟ۚ

वास्तव में, जो लोग अल्लाह से, उसके आदेशों का पालन करके और उसकी मना की हुई बातों से दूर रहकर, डरते हैं, जब वे शैतान की ओर से किसी बुरे ख़याल से पीड़ित होकर गुनाह कर बैठते हैं; तो वे अल्लाह की महानता, अवज्ञाकारियों के लिए उसकी सज़ा और आज्ञाकारियों के लिए उसके प्रतिफल को याद करते हैं। इसलिए वे अपने गुनाहों से तौबा करके अपने पालनहार की ओर लौट जाते हैं। फिर क्या देखते हैं कि वे सत्य मार्ग पर जम गए, ग़फ़लत से जाग गए और गुनाह से बाज़ आ गए। info
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202 : 7

وَاِخْوَانُهُمْ یَمُدُّوْنَهُمْ فِی الْغَیِّ ثُمَّ لَا یُقْصِرُوْنَ ۟

दुराचारियों और काफ़िरों जैसे शैतान के भाइयों को, शैतान एक के बाद एक पाप में लिप्त करके उन्हें गुमराही में बढ़ाते जाते हैं। वे रुकने का नाम ही नहीं लेते, न शैतान बहकाने और गुमराह करने से और न ही दुराचारी लोग उनकी बात मानने और बुराई करने से। info
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203 : 7

وَاِذَا لَمْ تَاْتِهِمْ بِاٰیَةٍ قَالُوْا لَوْلَا اجْتَبَیْتَهَا ؕ— قُلْ اِنَّمَاۤ اَتَّبِعُ مَا یُوْحٰۤی اِلَیَّ مِنْ رَّبِّیْ ۚ— هٰذَا بَصَآىِٕرُ مِنْ رَّبِّكُمْ وَهُدًی وَّرَحْمَةٌ لِّقَوْمٍ یُّؤْمِنُوْنَ ۟

जब (ऐ रसूल!) आप कोई आयत (निशानी) लाएँ, तो वे आपको झुठला देते हैं और उससे मुँह फेर लेते हैं। और अगर आप उनके पास कोई आयत न लाएँ, तो वे कहते हैं : आपने अपनी ओर से कोई आयत क्यों न गढ़ ली? आप (ऐ रसूल!) ऐसे लोगों से कह दें : मुझे यह अधिकार नहीं कि मैं अपनी ओर से कोई आयत ले आऊँ। मैं तो केवल उसी का अनुसरण करता हूँ, जो अल्लाह मेरी ओर वह़्य (प्रकाशना) करता है। यह क़ुरआन जो मैं तुम्हारे सामने पढ़ता हूँ, अल्लाह की ओर से, जो तुम्हारा रचयिता और तुम्हारे सब काम संभालने वाला है, प्रमाण और दलील है, तथा उसके मोमिन बंदों के लिए मार्गदर्शन और दया है। रही बात ग़ैर मोमिनों की, तो वे गुमराह और दुर्भाग्य वाले लोग हैं। info
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204 : 7

وَاِذَا قُرِئَ الْقُرْاٰنُ فَاسْتَمِعُوْا لَهٗ وَاَنْصِتُوْا لَعَلَّكُمْ تُرْحَمُوْنَ ۟

और जब क़ुरआन पढ़ा जाए, तो उसकी तिलावत को ध्यानपूर्वक सुनो तथा न बात करो और न किसी अन्य काम में व्यस्त हो, उम्मीद है अल्लाह तुमपर दया करे। info
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205 : 7

وَاذْكُرْ رَّبَّكَ فِیْ نَفْسِكَ تَضَرُّعًا وَّخِیْفَةً وَّدُوْنَ الْجَهْرِ مِنَ الْقَوْلِ بِالْغُدُوِّ وَالْاٰصَالِ وَلَا تَكُنْ مِّنَ الْغٰفِلِیْنَ ۟

और (ऐ नबी!) अल्लाह को, जो आपका पालनहार है, विनयपूर्वक और डरते हुए याद करें, और दुआ के समय अपनी आवाज़ मध्यम रखें, न बहुत ऊँची, न बहुत नीची, दिन के प्रथम और उसके अंतिम भाग में। क्योंकि इन दोनों समय की बड़ी फ़ज़ीलत है। और आप उन लोगों में से न हों, जो अल्लाह की याद से ग़ाफ़िल रहते हैं। info
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206 : 7

اِنَّ الَّذِیْنَ عِنْدَ رَبِّكَ لَا یَسْتَكْبِرُوْنَ عَنْ عِبَادَتِهٖ وَیُسَبِّحُوْنَهٗ وَلَهٗ یَسْجُدُوْنَ ۟

निःसंदेह जो फ़रिश्ते (ऐ रसूल!) आपके पालनहार के पास हैं, वे उसकी इबादत (वंदना) से अभिमान नहीं करते, बल्कि उसके आज्ञापालन में समर्पित रहते हैं, उससे थकते नहीं हैं। तथा वे दिन-रात अल्लाह को उन बातों से पवित्र ठहराते रहते हैं, जो उसके लायक़ नहीं हैं और केवल उसी के आगे सजदा करते हैं। info
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• في الآيات بشارة للمسلمين المستقيمين على صراط نبيهم صلى الله عليه وسلم بأن ينصرهم الله كما نصر نبيه وأولياءه.
• एक बुद्धिमान व्यक्ति के लिए ज़रूरी है कि अल्लाह तआला की इबादत करे, क्योंकि वही है जो धर्म से संबंधित महान ज्ञान पर आधारित किताब उतार कर उसके धार्मिक हितों, तथा अपने नेक बंदों का संरक्षण करके, उनकी रक्षा और सहायता करके इस दुनिया के हितों की पूर्ति करता है। इसलिए उनसे दुश्मनी रखने वालों की दुश्मनी से उनका कोई नुक़सान नहीं होता। info

• في الآيات جماع الأخلاق، فعلى العبد أن يعفو عمن ظلمه، ويعطي من حرمه، ويصل من قطعه.
• इन आयतों में उन मुसलमानों के लिए जो अपने नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के रास्ते पर चलने वाले हैं यह शुभ सूचना है कि अल्लाह उनकी उसी तरह मदद करेगा, जैसे उसने अपने नबियों और औलिया की मदद की। info

• على العبد إذا مَسَّه سوء من الشيطان - فأذنب بفعل محرم، أو ترك واجب - أن يستغفر الله تعالى، ويستدرك ما فرط منه بالتوبة النصوح والحسنات الماحية.
• इन आयतों में नैतिकता के मूल का वर्णन है। अतः बंदे को चाहिए कि उसे माफ़ कर दे जो उसपर अत्याचार करे, जो उसे वंचित करने वाला है उसे प्रदान करे और जो उससे नाता तोड़ने वाला है उससे नाता जोड़े। info

• الواجب على العاقل عبادة الله تعالى؛ لأنه هو الذي يحقق له منافع الدين بإنزال الكتاب المشتمل على العلوم العظيمة في الدّين، ومنافع الدنيا بتولّي الصالحين من عباده وحفظه لهم ونصرته إياهم، فلا تضرهم عداوة من عاداهم.
• यदि बंदे को शैतान की ओर से कोई बुराई पहुँचे - जिसके कारणवश वह कोई हराम काम कर बैठे या कोई वाजिब काम छोड़ दे - तो उसे चाहिए कि अल्लाह से क्षमा माँगे और सच्ची तौबा तथा पापों को मिटाने वाली नेकियों द्वारा अपनी कमी की क्षतिपूर्ति करे। info