Tradução dos significados do Nobre Qur’an. - Tradução indiana de interpretação abreviada do Nobre Alcorão.

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48 : 2

وَاتَّقُوْا یَوْمًا لَّا تَجْزِیْ نَفْسٌ عَنْ نَّفْسٍ شَیْـًٔا وَّلَا یُقْبَلُ مِنْهَا شَفَاعَةٌ وَّلَا یُؤْخَذُ مِنْهَا عَدْلٌ وَّلَا هُمْ یُنْصَرُوْنَ ۟

तथा आदेशों का पालन करके और निषेधों को छोड़कर अपने और क़ियामत के दिन की यातना के बीच, बचाव का साधन अपनाओ। उस दिन कोई किसी के कुछ काम न आएगा, न उस दिन अल्लाह की अनुमति के बिना नुकसान को दूर करने या लाभ प्राप्त करने की किसी की सिफ़ारिश क़बूल की जाएगी, और न ही कोई छुड़ौती स्वीकार की जाएगी; चाहे ज़मीन के बराबर सोना ही क्यों न हो, और न उस दिन उनका कोई मददगार होगा। जब कोई सिफ़ारिशी, या छुड़ौती या मददगार काम नहीं आएगा, तो फिर भागने का स्थान कहाँ है?! info
التفاسير:
Das notas do versículo nesta página:
• من أعظم الخذلان أن يأمر الإنسان غيره بالبر، وينسى نفسه.
• सबसे बड़ी विफलता में से एक यह है कि आदमी दूसरों को नेकी का आदेश दे और खुद को भूल जाए। info

• الصبر والصلاة من أعظم ما يعين العبد في شؤونه كلها.
• धैर्य और नमाज़ सबसे बड़ी चीज़ों में से हैं जो बंदे की उसके सभी मामलों में मदद करते हैं। info

• في يوم القيامة لا يَدْفَعُ العذابَ عن المرء الشفعاءُ ولا الفداءُ، ولا ينفعه إلا عمله الصالح.
• क़ियामत के दिन सिफ़ारिश करने वाले या फ़िदया देना किसी व्यक्ति से यातना को नहीं दूर करेगा, उसे केवल उसका नेक कार्य ही लाभ देगा। info