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47 : 22

وَیَسْتَعْجِلُوْنَكَ بِالْعَذَابِ وَلَنْ یُّخْلِفَ اللّٰهُ وَعْدَهٗ ؕ— وَاِنَّ یَوْمًا عِنْدَ رَبِّكَ كَاَلْفِ سَنَةٍ مِّمَّا تَعُدُّوْنَ ۟

और (ऐ रसूल!) आपकी जाति के काफ़िरों को जब दुनिया एवं आख़िरत की यातना से डराया जाता है, तो उसे जल्दी लाने की माँग करने लगते हैं, हालाँकि अल्लाह ने उनसे जो वादा किया है, वह उसके विरुद्ध हरगिज़ नहीं करेगा। दुनिया की यातना का एक अंश वह पराजय भी है, जिसका सामना उन्हें बद्र के दिन करना पड़ा, और आख़िरत की यातना का एक दिन, कष्टदायक होने के कारण, तुम्हारी दुनिया की गिनती के अनुसार एक हज़ार साल के बराबर है। info
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48 : 22

وَكَاَیِّنْ مِّنْ قَرْیَةٍ اَمْلَیْتُ لَهَا وَهِیَ ظَالِمَةٌ ثُمَّ اَخَذْتُهَا ۚ— وَاِلَیَّ الْمَصِیْرُ ۟۠

और कितनी ही बस्तियाँ ऐसी हैं, जिन्हें मैंने यातना में मोहलत दी, जबकि वे अपने कुफ़्र के कारण अत्याचारी थीं, और उन्हें ढील देने के उद्देश्य से उन्हें दंडित करने में जल्दी नहीं की। फिर मैंने उन्हें विनाशकारी यातना से ग्रस्त कर दिया। और केवल मेरी ही ओर क़ियामत के दिन उन सब को लौटना है, फिर मैं उन्हें उनके कुफ़्र के कारण स्थायी यातना से ग्रस्त करूँगा। info
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49 : 22

قُلْ یٰۤاَیُّهَا النَّاسُ اِنَّمَاۤ اَنَا لَكُمْ نَذِیْرٌ مُّبِیْنٌ ۟ۚ

(ऐ नबी!) आप कह दें : ऐ लोगो! मैं तो केवल तुम्हें डराने वाला हूँ। मैं तुम्हें वह संदेश पहुँचाता हूँ, जिसे देकर मैं भेजा गया हूँ, अपने डराने में स्पष्ट हूँ। info
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50 : 22

فَالَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ لَهُمْ مَّغْفِرَةٌ وَّرِزْقٌ كَرِیْمٌ ۟

तो जो लोग अल्लाह पर ईमान लाए और अच्छे कार्य किए, उनके लिए उनके रब की ओर से उनके गुनाहों की क्षमा है और जन्नत में सम्मान की रोज़ी है, जो कभी ख़त्म नहीं होगी। info
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51 : 22

وَالَّذِیْنَ سَعَوْا فِیْۤ اٰیٰتِنَا مُعٰجِزِیْنَ اُولٰٓىِٕكَ اَصْحٰبُ الْجَحِیْمِ ۟

और जिन लोगों ने हमारी आयतों को झुठलाने के लिए दौड़-भाग की, यह अनुमान करते हुए कि वे अल्लाह को विवश कर देंगे और उससे बच निकलेंगे, इसलिए वह उन्हें अज़ाब नहीं दे सकेगा। यही लोग नरकवासी हैं, जो उसके साथ वैसे ही रहेंगे जैसे एक मित्र अपने मित्र के साथ रहता है। info
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52 : 22

وَمَاۤ اَرْسَلْنَا مِنْ قَبْلِكَ مِنْ رَّسُوْلٍ وَّلَا نَبِیٍّ اِلَّاۤ اِذَا تَمَنّٰۤی اَلْقَی الشَّیْطٰنُ فِیْۤ اُمْنِیَّتِهٖ ۚ— فَیَنْسَخُ اللّٰهُ مَا یُلْقِی الشَّیْطٰنُ ثُمَّ یُحْكِمُ اللّٰهُ اٰیٰتِهٖ ؕ— وَاللّٰهُ عَلِیْمٌ حَكِیْمٌ ۟ۙ

हमने (ऐ रसूल!) आपसे पहले जिस रसूल या नबी को भेजा, (उसके साथ यह हुआ कि) जब वह अल्लाह की किताब पढ़ता, तो शैतान उसके पाठ में ऐसी चीज़ मिला देता, जिसके द्वारा वह लोगों को इस भ्रम में डाल देता कि वह अल्लाह की वह़्य में से है, तो अल्लाह शैतान की मिलाई हुई बात को मिटा देता और अपनी आयतों को सुदृढ़ कर देता। अल्लाह हर चीज़ को जानने वाला है, उससे कोई चीज़ छिपी नहीं रहती, अपनी रचना, नियति तथा प्रबंधन में हिकमत वाला है। info
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53 : 22

لِّیَجْعَلَ مَا یُلْقِی الشَّیْطٰنُ فِتْنَةً لِّلَّذِیْنَ فِیْ قُلُوْبِهِمْ مَّرَضٌ وَّالْقَاسِیَةِ قُلُوْبُهُمْ ؕ— وَاِنَّ الظّٰلِمِیْنَ لَفِیْ شِقَاقٍ بَعِیْدٍ ۟ۙ

शैतान नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पढ़ने के समय कुछ बातें डालकर संदेह पैदा करता है, ताकि अल्लाह शैतान जो कुछ संशय डालता है उसे मुनाफ़िक़ों के लिए और उन मुश्रिकों के लिए जिनके दिल सख़्त हैं, एक परीक्षण बना दे। तथा मुनाफ़िक़ों और मुश्रिकों में से अत्याचारी लोग, अल्लाह और उसके रसूल की दुश्मनी में पड़े हुए हैं तथा सत्य एवं हिदायत से दूर हैं। info
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54 : 22

وَّلِیَعْلَمَ الَّذِیْنَ اُوْتُوا الْعِلْمَ اَنَّهُ الْحَقُّ مِنْ رَّبِّكَ فَیُؤْمِنُوْا بِهٖ فَتُخْبِتَ لَهٗ قُلُوْبُهُمْ ؕ— وَاِنَّ اللّٰهَ لَهَادِ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْۤا اِلٰی صِرَاطٍ مُّسْتَقِیْمٍ ۟

और ताकि जिन लोगों को अल्लाह ने ज्ञान दिया है, वे निश्चित हो जाएँ कि मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर उतरने वाला क़ुरआन ही वह सत्य है, जिसकी अल्लाह ने (ऐ रसूल!) आपकी ओर वह़्य (प्रकाशना) की है। इस प्रकार उनका उसपर ईमान बढ़ जाए और उनके हृदय उसके अधीन हो जाएँ और उसके सामने झुक जाएँ। निःसंदेह अल्लाह अपने ऊपर ईमान रखने वालों को, उनके उसके आगे झुकने के प्रतिफल के तौर पर, सत्य का सीधा मार्ग दिखाने वाला है, जिसमें कोई टेढ़ापन नहीं है। info
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55 : 22

وَلَا یَزَالُ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا فِیْ مِرْیَةٍ مِّنْهُ حَتّٰی تَاْتِیَهُمُ السَّاعَةُ بَغْتَةً اَوْ یَاْتِیَهُمْ عَذَابُ یَوْمٍ عَقِیْمٍ ۟

अल्लाह का इनकार करने वाले और उसके रसूल को झुठलाने वाले, आप पर अल्लाह की ओर से उतरने वाले क़ुरआन के बारे में निरंतर संदेह ही में पड़े रहेंगे, यहाँ तक कि उनके इसी हाल में रहते हुए अचानक उनके पास क़ियामत आ जाए, या उनपर ऐसे दिन की यातना आ जाए, जिसमें उन पर कोई दया या भलाई न होगी, और वह उनके लिए क़ियामत का दिन है। info
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ߟߝߊߙߌ ߟߎ߫ ߢߊ߬ߕߣߐ ߘߏ߫ ߞߐߜߍ ߣߌ߲߬ ߞߊ߲߬:
• استدراج الظالم حتى يتمادى في ظلمه سُنَّة إلهية.
• ज़ालिम को ढील देना, ताकि वह अपने ज़ुल्म में बढ़ता चला जाए, अल्लाह का एक नियम है। info

• حفظ الله لكتابه من التبديل والتحريف وصرف مكايد أعوان الشيطان عنه.
• अल्लाह अपनी किताब की परिवर्तन तथा विकृति से रक्षा करता है और शैतान के सहायकों की चालों को उससे फेर देता है। info

• النفاق وقسوة القلوب مرضان قاتلان.
• निफ़ाक़ (पाखंड) और दिल की कठोरता दो विनाशकारी रोग हैं। info

• الإيمان ثمرة للعلم، والخشوع والخضوع لأوامر الله ثمرة للإيمان.
• ईमान ज्ञान का फल है और अल्लाह के आदेशों के प्रति समर्पण ईमान का फल है। info