വിശുദ്ധ ഖുർആൻ പരിഭാഷ - ഖുർആൻ സംക്ഷിപ്ത വിശദീകരണം - പരിഭാഷ (ഹിന്ദി)

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16 : 50

وَلَقَدْ خَلَقْنَا الْاِنْسَانَ وَنَعْلَمُ مَا تُوَسْوِسُ بِهٖ نَفْسُهٗ ۖۚ— وَنَحْنُ اَقْرَبُ اِلَیْهِ مِنْ حَبْلِ الْوَرِیْدِ ۟

निःसंदेह हमने इनसान को पैदा किया और हम उन विचारों और ख़यालों से अवगत हैं, जो उसके दिल में आते हैं। और हम उससे उसके गले की उस नस से भी अधिक क़रीब हैं जो दिल से जुड़ी होती है। info
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17 : 50

اِذْ یَتَلَقَّی الْمُتَلَقِّیٰنِ عَنِ الْیَمِیْنِ وَعَنِ الشِّمَالِ قَعِیْدٌ ۟

जब दो लेने वाले फ़रिश्ते उसके अमल को लेते हैं। उनमें से एक उसके दाहिनी ओर बैठा है, और दूसरा उसके बाईं ओर बैठा है। info
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18 : 50

مَا یَلْفِظُ مِنْ قَوْلٍ اِلَّا لَدَیْهِ رَقِیْبٌ عَتِیْدٌ ۟

वह कोई बात नहीं बोलता, परंतु उसके पास एक निरीक्षक फ़रिश्ता उसकी बात लिखने के लिए उपस्थित होता है। info
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19 : 50

وَجَآءَتْ سَكْرَةُ الْمَوْتِ بِالْحَقِّ ؕ— ذٰلِكَ مَا كُنْتَ مِنْهُ تَحِیْدُ ۟

और मौत की सख़्ती उस सच्चाई के साथ आ गई, जिससे बचने का कोई उपाय नहीं है। यही है वह जिससे (ऐ बेख़बर इनसान!) तू कतराता और भागता था। info
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20 : 50

وَنُفِخَ فِی الصُّوْرِ ؕ— ذٰلِكَ یَوْمُ الْوَعِیْدِ ۟

और सूर (नरसिंघा) में फूँक मारने पर नियुक्त फ़रिश्ते ने दूसरी बार फूँक मार दी। यही क़ियामत का दिन, काफ़िरों और पापियों के लिए यातना की धमकी का दिन है। info
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21 : 50

وَجَآءَتْ كُلُّ نَفْسٍ مَّعَهَا سَآىِٕقٌ وَّشَهِیْدٌ ۟

और हर व्यक्ति इस हाल में आएगा कि उसके साथ एक फ़रिश्ता उसे हाँकने के लिए और एक फ़रिश्ता उसके विरुद्ध उसके कामों की गवाही देने के लिए होगा। info
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22 : 50

لَقَدْ كُنْتَ فِیْ غَفْلَةٍ مِّنْ هٰذَا فَكَشَفْنَا عَنْكَ غِطَآءَكَ فَبَصَرُكَ الْیَوْمَ حَدِیْدٌ ۟

और इस हाँककर लाए गए व्यक्ति से कहा जाएगा : निश्चय तुम दुनिया में इस दिन से बहुत ग़ाफ़िल थे; क्योंकि तुम अपनी इच्छाओं और सुखों से धोखा खा गए थे। अब तुम जिस यातना और पीड़ा को देख रहे हो, उसके द्वारा हमने तुम्हारी गफ़लत का परदा हटा दिया। सो आज तुम्हारी निगाह बड़ी तेज़ है, जिससे तुम उस चीज़ का बोध कर सकते हो, जिससे तुम गफ़लत में पड़े थे। info
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23 : 50

وَقَالَ قَرِیْنُهٗ هٰذَا مَا لَدَیَّ عَتِیْدٌ ۟ؕ

और फ़रिश्तों में से उसपर नियुक्त उसका साथी कहेगा : यह मेरे पास उसके काम का विवरण है, जो बिना किसी कमी-बेशी के मौजूद है। info
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24 : 50

اَلْقِیَا فِیْ جَهَنَّمَ كُلَّ كَفَّارٍ عَنِیْدٍ ۟ۙ

और अल्लाह हाँककर लाने वाले और गवाही देने वाले, दोनों फ़रिश्तों से कहेगा : हर सत्य के इनकार करने वाले और उससे दुराग्रह रखने वाले को जहन्नम में डाल दो। info
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25 : 50

مَّنَّاعٍ لِّلْخَیْرِ مُعْتَدٍ مُّرِیْبِ ۟ۙ

जो अपने ऊपर अल्लाह के अनिवार्य किए हुए अधिकार को बहुत रोकने वाला, अल्लाह की सीमाओं को लाँघने वाला, उसने वादे या धमकी के बारे में जो सूचना दी है उसमें संदेह करने वाला है। info
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26 : 50

١لَّذِیْ جَعَلَ مَعَ اللّٰهِ اِلٰهًا اٰخَرَ فَاَلْقِیٰهُ فِی الْعَذَابِ الشَّدِیْدِ ۟

जिसने अल्लाह के साथ दूसरा पूज्य बना लिया, जिसे वह उसके साथ इबादत में साझी ठहराता है। अतः तुम दोनों उसे कठोर यातना में डाल दो। info
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27 : 50

قَالَ قَرِیْنُهٗ رَبَّنَا مَاۤ اَطْغَیْتُهٗ وَلٰكِنْ كَانَ فِیْ ضَلٰلٍۢ بَعِیْدٍ ۟

शैतानों में से उसका साथी उससे अलगाव प्रकट करते हुए कहेगा : ऐ हमारे पालनहार! मैंने उसे गुमराह नहीं किया था। परंतु वह खुद ही सत्य से परे दूर की गुमराही में पड़ा हुआ था। info
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28 : 50

قَالَ لَا تَخْتَصِمُوْا لَدَیَّ وَقَدْ قَدَّمْتُ اِلَیْكُمْ بِالْوَعِیْدِ ۟

अल्लाह ने कहा : तुम मेरे पास मत झगड़ो। क्योंकि इससे कोई फायदा नहीं है। क्योंकि मैंने तुम्हें दुनिया ही में अपने रसूलों के माध्यम से मेरा इनकार करने वाले और मेरी अवज्ञा करने वाले को सख्त धमकी से सावधान कर दिया था। info
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29 : 50

مَا یُبَدَّلُ الْقَوْلُ لَدَیَّ وَمَاۤ اَنَا بِظَلَّامٍ لِّلْعَبِیْدِ ۟۠

मेरे यहाँ बात बदली नहीं जाती और मेरा वादा नहीं टूटता, तथा मैं बंदों पर उनके अच्छे कामों को कम करके या उनके बुरे कामों को बढ़ाकर अत्याचार नहीं करता।बल्कि मैं उन्हें उनके किए का बदला देता हूँ। info
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30 : 50

یَوْمَ نَقُوْلُ لِجَهَنَّمَ هَلِ امْتَلَاْتِ وَتَقُوْلُ هَلْ مِنْ مَّزِیْدٍ ۟

जिस दिन हम जहन्नम से कहेंगे : क्या तू उन काफ़िरों और पापियों से भर गया, जो तेरे अंदर डाले गए हैं? तो वह अपने रब को जवाब देगा : क्या कुछ और भी है? उसका यह कहना अपने रब के लिए क्रोध के तौर पर वृद्धि के अनुरोध के लिए होगा। info
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31 : 50

وَاُزْلِفَتِ الْجَنَّةُ لِلْمُتَّقِیْنَ غَیْرَ بَعِیْدٍ ۟

और जन्नत उन लोगों के लिए निकट कर दी जाएगी, जो अपने पालनहार से, उसके आदेशों का पालन करके और उसके निषेधों से परहेज़ करके, डरने वाले हैं। चुनाँचे वे उसमें मौजूद नेमतों को देखेंगे, वह उनसे दूर नहीं होगी। info
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32 : 50

هٰذَا مَا تُوْعَدُوْنَ لِكُلِّ اَوَّابٍ حَفِیْظٍ ۟ۚ

और उनसे कहा जाएगा : यही है जिसका अल्लाह ने तुमसे वादा किया था, हर उस व्यक्ति के लिए जो अपने रब की ओर तौबा के द्वारा बहुत लौटने वाला है, उसके पालनहार ने उसे जिस चीज़ के लिए बाध्य किया है, उसका संरक्षण करने वाला है। info
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33 : 50

مَنْ خَشِیَ الرَّحْمٰنَ بِالْغَیْبِ وَجَآءَ بِقَلْبٍ مُّنِیْبِ ۟ۙ

जो परोक्ष में अल्लाह से डरा, जहाँ उसे अल्लाह के सिवा कोई नहीं देखता, और अल्लाह से ऐसे शुद्ध हृदय के साथ मिला, जो अल्लाह की ओर ध्यान करने वाला और उसकी ओर बहुत ज़्यादा लौटने वाला है। info
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34 : 50

١دْخُلُوْهَا بِسَلٰمٍ ؕ— ذٰلِكَ یَوْمُ الْخُلُوْدِ ۟

उनसे कहा जाएगा : जिस चीज़ को तुम नापसंद करते हो, उससे सुरक्षा और सलामती के साथ जन्नत में प्रवेश कर जाओ। यही हमेशा रहने का दिन है, जिसके बाद कोई विनाश नहीं है। info
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35 : 50

لَهُمْ مَّا یَشَآءُوْنَ فِیْهَا وَلَدَیْنَا مَزِیْدٌ ۟

उनके लिए उसके अंदर वह सारी अनंत नेमतें होंगी, जो वे चाहेंगे। और हमारे पास इससे भी अधिक ऐसी नेमतें हैं, जिन्हें न किसी आँख ने देखा है, न किसी कान ने सुना है और न किसी मानव हृदय ने कभी सोचा है, और इसी में - सबसे महान - सर्वशक्तिमान अल्लाह का दर्शन शामिल है। info
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ഈ പേജിലെ ആയത്തുകളിൽ നിന്നുള്ള പാഠങ്ങൾ:
• علم الله بما يخطر في النفوس من خير وشر.
• हृदय में आने वाले अच्छे और बुरे विचारों को अल्लाह जानता है। info

• خطورة الغفلة عن الدار الآخرة.
• आख़िरत के घर से लापरवाही करने का खतरा। info

• ثبوت صفة العدل لله تعالى.
• अल्लाह के लिए 'अद्ल' (न्याय) के गुण का प्रमाण। info