വിശുദ്ധ ഖുർആൻ പരിഭാഷ - അൽ മുഖ്തസ്വർ ഫീ തഫ്സീറിൽ ഖുർആനിൽ കരീം (ഹിന്ദി വിവർത്തനം).

क़ाफ़

സൂറത്തിൻ്റെ ഉദ്ദേശ്യങ്ങളിൽ പെട്ടതാണ്:
وعظ القلوب بالموت والبعث.
मृत्यु और मरणोपरांत पुनर्जीवन के द्वारा दिलों को उपदेश करना। info

external-link copy
1 : 50

قٓ ۫— وَالْقُرْاٰنِ الْمَجِیْدِ ۟ۚ

{क़ाफ़} सूरतुल-बक़रा के आरंभ में इस प्रकार के अक्षरों के बारे में बात गुज़र चुकी है।। अल्लाह ने महान क़ुरआन की क़सम खाई है क्योंकि उसके अर्थ बहुत व्यापक तथा उसकी भलाइयाँ और बरकतें बहुत अधिक हैं; कि तुम क़ियामत के दिन हिसाब और बदले के लिए ज़रूर उठाए जाओगे। info
التفاسير:

external-link copy
2 : 50

بَلْ عَجِبُوْۤا اَنْ جَآءَهُمْ مُّنْذِرٌ مِّنْهُمْ فَقَالَ الْكٰفِرُوْنَ هٰذَا شَیْءٌ عَجِیْبٌ ۟ۚ

उनके इनकार करने का कारण यह नहीं था कि वे आपसे झूठ बोलने की उम्मीद करते थे, क्योंकि वे आपकी सच्चाई जानते थे। बल्कि, उन्हें आश्चर्य हुआ कि उनके पास, फ़रिश्तों में से न होकर, उन्हीं में से एक डराने वाला रसूल आया। उन्होंने आश्चर्य चकित होकर कहा : एक मानव रसूल का हमारे पास आना बड़ी विचित्र बात है! info
التفاسير:

external-link copy
3 : 50

ءَاِذَا مِتْنَا وَكُنَّا تُرَابًا ۚ— ذٰلِكَ رَجْعٌ بَعِیْدٌ ۟

क्या जब हम मर गए और मिट्टी हो गए, तो दोबारा जीवित करके उठाए जाएँगे?! यह दोबारा जीवित होना और हमारे शरीर में उनके सड़-गल जाने के बाद जीवन की वापसी एक असंभावित चीज़ है, यह नहीं हो सकता। info
التفاسير:

external-link copy
4 : 50

قَدْ عَلِمْنَا مَا تَنْقُصُ الْاَرْضُ مِنْهُمْ ۚ— وَعِنْدَنَا كِتٰبٌ حَفِیْظٌ ۟

निश्चय हमें मालूम है कि उनकी मृत्यु के बाद धरती उनके शरीर का क्या खाती और नष्ट करती है, उसमें से कुछ भी हमसे छिपा नहीं है। तथा हमारे पास एक पुस्तक है, जो उन सभी चीज़ों को सुरक्षित रखने वाली है, जो अल्लाह उनके जीवन के दौरान और उनकी मृत्यु के बाद उनके लिए निर्धारित करता है। info
التفاسير:

external-link copy
5 : 50

بَلْ كَذَّبُوْا بِالْحَقِّ لَمَّا جَآءَهُمْ فَهُمْ فِیْۤ اَمْرٍ مَّرِیْجٍ ۟

बल्कि इन मुश्रिकों ने क़ुरआन को झुठला दिया, जब रसूल उसे उनके पास लेकर आए। अतः वे एक उलझी हुई स्थिति में हैं, उसके बारे में किसी एक चीज़ पर स्थिर नहीं हैं। info
التفاسير:

external-link copy
6 : 50

اَفَلَمْ یَنْظُرُوْۤا اِلَی السَّمَآءِ فَوْقَهُمْ كَیْفَ بَنَیْنٰهَا وَزَیَّنّٰهَا وَمَا لَهَا مِنْ فُرُوْجٍ ۟

क्या इन पुनर्जीवन का इनकार करने वालों ने अपने ऊपर फैले आकाश पर विचार नहीं किया कि हमने कैसे उसकी रचना की और उसे बनाया तथा उसे उन सितारों से सजाया, जो हमने उसमें रखे हैं, तथा उसमें कोई दरारें नहीं हैं, जो उसे दोषपूर्ण बनाती हों?! अतः जिसने इस आकाश को बनाया, वह मरे हुए लोगों को फिर से जीवित करने में असमर्थ नहीं है। info
التفاسير:

external-link copy
7 : 50

وَالْاَرْضَ مَدَدْنٰهَا وَاَلْقَیْنَا فِیْهَا رَوَاسِیَ وَاَنْۢبَتْنَا فِیْهَا مِنْ كُلِّ زَوْجٍ بَهِیْجٍ ۟ۙ

और हमने धरती को फैलाकर उसे रहने योग्य बनाया और उसमें मज़बूत पहाड़ गाड़ दिए, ताकि वह हिले-डुले नहीं, और उसमें हर प्रकार के अच्छी दृष्टि वाले पौधे और वृक्ष उगाए। info
التفاسير:

external-link copy
8 : 50

تَبْصِرَةً وَّذِكْرٰی لِكُلِّ عَبْدٍ مُّنِیْبٍ ۟

हमने यह सब हर उस बंदे को दिखाने और याद दिलाने के उद्देश्य से पैदा किया, जो आज्ञाकारिता के साथ अपने पालनहार की ओर लौटने वाला है। info
التفاسير:

external-link copy
9 : 50

وَنَزَّلْنَا مِنَ السَّمَآءِ مَآءً مُّبٰرَكًا فَاَنْۢبَتْنَا بِهٖ جَنّٰتٍ وَّحَبَّ الْحَصِیْدِ ۟ۙ

और हमने आकाश से बहुत लाभ और भलाई वाला पानी उतारा, फिर उस पानी से हमने बाग़ उगाए, तथा जौ आदि के दाने उगाए, जिन्हें तुम काटते हो। info
التفاسير:

external-link copy
10 : 50

وَالنَّخْلَ بٰسِقٰتٍ لَّهَا طَلْعٌ نَّضِیْدٌ ۟ۙ

और उस पानी से लंबे-लंबे ऊँचे खजूर के पेड़ उगाए, जिनके गुच्छे गुथे हुए और एक दूसरे के ऊपर हैं। info
التفاسير:

external-link copy
11 : 50

رِّزْقًا لِّلْعِبَادِ ۙ— وَاَحْیَیْنَا بِهٖ بَلْدَةً مَّیْتًا ؕ— كَذٰلِكَ الْخُرُوْجُ ۟

हमने इसमें से जो कुछ उगाया, उसे बंदों की रोज़ी के लिए उगाया, जिससे वे खाते हैं। और इसके साथ हमने एक ऐसे शहर को पुनर्जीवित कर दिया जिसमें कोई वनस्पति नहीं है। जिस तरह हमने इस बारिश से एक वनस्पति रहित शहर को पुनर्जीवित किया, उसी तरह हम मरे हुए लोगों को पुनर्जीवित करेंगे। चुनाँचे वे जीवित होकर बाहर निकलेंगे। info
التفاسير:

external-link copy
12 : 50

كَذَّبَتْ قَبْلَهُمْ قَوْمُ نُوْحٍ وَّاَصْحٰبُ الرَّسِّ وَثَمُوْدُ ۟ۙ

(ऐ रसूल!) आपको झुठलाने वाले इन लोगों से पहले भी कई समुदाय अपने नबियों को झुठला चुके हैं। चुनाँचे नूह की जाति, कुएँ वालों और समूद ने झुठलाया। info
التفاسير:

external-link copy
13 : 50

وَعَادٌ وَّفِرْعَوْنُ وَاِخْوَانُ لُوْطٍ ۟ۙ

तथा आद, फ़िरऔन और लूत की जाति ने झुठलाया। info
التفاسير:

external-link copy
14 : 50

وَّاَصْحٰبُ الْاَیْكَةِ وَقَوْمُ تُبَّعٍ ؕ— كُلٌّ كَذَّبَ الرُّسُلَ فَحَقَّ وَعِیْدِ ۟

शुऐब अलैहिस्सलाम की जाति 'ऐका' वालों ने और यमन के राजा तुब्ब' की जाति के लोगों ने (अपने रसूल को) झुठलाया। इन सभी जातियों के लोगों ने अल्लाह के उन रसूलों को झुठलाया जिन्हें उसने भेजा था। सो उनपर अल्लाह के अज़ाब का वादा साबित (प्रमाणित) हो गया। info
التفاسير:

external-link copy
15 : 50

اَفَعَیِیْنَا بِالْخَلْقِ الْاَوَّلِ ؕ— بَلْ هُمْ فِیْ لَبْسٍ مِّنْ خَلْقٍ جَدِیْدٍ ۟۠

क्या हम तुम्हें पहली बार पैदा करने में असमर्थ रहे थे कि तुम्हें दोबारा जीवित करने में असमर्थ रहेंगे?! बल्कि वे अपनी पहली रचना के बाद दूसरी रचना के बारे में संदेह में पड़े हुए हैं। info
التفاسير:
ഈ പേജിലെ ആയത്തുകളിൽ നിന്നുള്ള പാഠങ്ങൾ:
• المشركون يستعظمون النبوة على البشر، ويمنحون صفة الألوهية للحجر!
• शिर्क करने वाले मनुष्य के नबी होने को बहुत बड़ा समझते हैं, जबकि पत्थर को देवत्व का गुण प्रदान करते हैं! info

• خلق السماوات، وخلق الأرض، وإنزال المطر، وإنبات الأرض القاحلة، والخلق الأول: كلها أدلة على البعث.
• आकाशों की रचना, धरती की रचना, बारिश उतारना, बंजर भूमि से पेड़-पौधे उगाना और पहली बार पैदा करना : ये सभी पुनर्जीवन के प्रमाण हैं। info

• التكذيب بالرسل عادة الأمم السابقة، وعقاب المكذبين سُنَّة إلهية.
• रसूलों को झुठलाना पिछले समुदायों की आदत रही है और झुठलाने वालों को सज़ा देना अल्लाह की परंपरा रही है। info