വിശുദ്ധ ഖുർആൻ പരിഭാഷ - അൽ മുഖ്തസ്വർ ഫീ തഫ്സീറിൽ ഖുർആനിൽ കരീം (ഹിന്ദി വിവർത്തനം).

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154 : 2

وَلَا تَقُوْلُوْا لِمَنْ یُّقْتَلُ فِیْ سَبِیْلِ اللّٰهِ اَمْوَاتٌ ؕ— بَلْ اَحْیَآءٌ وَّلٰكِنْ لَّا تَشْعُرُوْنَ ۟

(ऐ मोमिनो!) तुम उनके बारे में जो अल्लाह के मार्ग में जिहाद के कारण मारे जाएँ, यह मत कहो : वे मर गए, जैसे उनके अलावा दूसरे लोग मरते हैं। बल्कि, वे अपने रब के पास जीवित हैं। लेकिन तुम उनके जीवन का एहसास नहीं करते; क्योंकि वह एक विशिष्ट जीवन है, जिसे जानने का एकमात्र तरीक़ा अल्लाह की वह़्य है। info
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155 : 2

وَلَنَبْلُوَنَّكُمْ بِشَیْءٍ مِّنَ الْخَوْفِ وَالْجُوْعِ وَنَقْصٍ مِّنَ الْاَمْوَالِ وَالْاَنْفُسِ وَالثَّمَرٰتِ ؕ— وَبَشِّرِ الصّٰبِرِیْنَ ۟ۙ

हम अनेक प्रकार की विपत्तियों के साथ तुम्हें ज़रूर आज़माएँगे; अपने दुश्मनों के कुछ भय के साथ, भोजन की कमी के कारण भूख के साथ, धन के समाप्त हो जाने या उसे प्राप्त करने की कठिनाई के कारण धन की कमी के साथ, लोगों को नष्ट करने वाली आपदाओं के कारण या अल्लाह के मार्ग में शहीद होने के कारण जानों के नुक़सान के साथ, तथा उन फलों की कमी के साथ जिन्हें धरती उगाती है। ऐसे में - ऐ नबी! - इन विपत्तियों पर धैर्य रखने वालों को उस चीज़ की शुभ सूचना सुना दें, जिससे उन्हें दुनिया एवं आख़िरत में प्रसन्नता हासिल होगी। info
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156 : 2

الَّذِیْنَ اِذَاۤ اَصَابَتْهُمْ مُّصِیْبَةٌ ۙ— قَالُوْۤا اِنَّا لِلّٰهِ وَاِنَّاۤ اِلَیْهِ رٰجِعُوْنَ ۟ؕ

जब उनपर इन विपत्तियों में से कोई विपत्ति आती है, तो वे अल्लाह के निर्णय के प्रति संतोष और समर्पण के साथ कहते हैं : निःसंदेह हम अल्लाह के हैं, वह हमारे साथ जैसा चाहता है, व्यवहार करता है। तथा निःसंदेह हम क़ियामत के दिन उसी की ओर लौटने वाले हैं। क्योंकि उसी ने हमें पैदा किया और हमें विभिन्न प्रकार की नेमतें प्रदान कीं, तथा उसी की तरफ़ हमारा लौटना और हमारे मामले का अंत है। info
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157 : 2

اُولٰٓىِٕكَ عَلَیْهِمْ صَلَوٰتٌ مِّنْ رَّبِّهِمْ وَرَحْمَةٌ ۫— وَاُولٰٓىِٕكَ هُمُ الْمُهْتَدُوْنَ ۟

इस विशेषता के मालिक लोगों के लिए फ़रिश्तों की सर्वोच्च सभा में अल्लाह की ओर से प्रशंसा है, तथा उनपर रहमत उतरती है और यही लोग सत्य के मार्ग पर निर्देशित हैं। info
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158 : 2

اِنَّ الصَّفَا وَالْمَرْوَةَ مِنْ شَعَآىِٕرِ اللّٰهِ ۚ— فَمَنْ حَجَّ الْبَیْتَ اَوِ اعْتَمَرَ فَلَا جُنَاحَ عَلَیْهِ اَنْ یَّطَّوَّفَ بِهِمَا ؕ— وَمَنْ تَطَوَّعَ خَیْرًا ۙ— فَاِنَّ اللّٰهَ شَاكِرٌ عَلِیْمٌ ۟

काबा के पास सफ़ा और मरवा के नाम से जानी जाने वाली दो पहाड़ियाँ, शरीयत के दृश्य स्थलों में से हैं। इसलिए जो हज्ज अथवा उम्रा के लिए काबा पहुँचे; उसपर कोई पाप नहीं कि वह इन दोनों के बीच दौड़ लगाए। यहाँ पाप का इनकार करने में उन मुसलमानों के लिए आश्वासन है, जो इन दोनों के बीच दौड़ लगाने को जाहिलिय्यत (पूर्व-इस्लामी युग) का काम समझकर गुनाह समझते थे। चुनाँचे अल्लाह ने स्पष्ट कर दिया कि यह हज्ज के अनुष्ठानों में से है। जो भी व्यक्ति स्वेच्छा से निष्ठापूर्वक मुस्तहब आज्ञाकारिता का कार्य करे; अल्लाह उसकी क़द्र करने वाला है, उसे उससे स्वीकार करेगा और उसे उसपर बदला देगा। वह उसके बारे में जानने वाला है, जो अच्छा काम करता है और सवाब का हक़दार है। info
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159 : 2

اِنَّ الَّذِیْنَ یَكْتُمُوْنَ مَاۤ اَنْزَلْنَا مِنَ الْبَیِّنٰتِ وَالْهُدٰی مِنْ بَعْدِ مَا بَیَّنّٰهُ لِلنَّاسِ فِی الْكِتٰبِ ۙ— اُولٰٓىِٕكَ یَلْعَنُهُمُ اللّٰهُ وَیَلْعَنُهُمُ اللّٰعِنُوْنَ ۟ۙ

यहूदियों, ईसाइयों और अन्य लोगों में से जो लोग नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम और आपके लाए हुए संदेश की सच्चाई को दर्शाने वाले स्पष्ट प्रमाणों को छिपाते हैं, इसके बाद कि हमने उन्हें उनकी किताबों में लोगों के लिए खोलकर बयान कर दिया है; वे ऐसे लोग हैं जिन्हें अल्लाह अपनी दया से निष्कासित कर देता है। साथ ही फ़रिश्ते, नबी गण और सभी लोग यह दुआ करते हैं कि अल्लाह उन्हें अपनी रहमत से निष्कासित कर दे। info
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160 : 2

اِلَّا الَّذِیْنَ تَابُوْا وَاَصْلَحُوْا وَبَیَّنُوْا فَاُولٰٓىِٕكَ اَتُوْبُ عَلَیْهِمْ ۚ— وَاَنَا التَّوَّابُ الرَّحِیْمُ ۟

परंतु जो लोग उन स्पष्ट निशानियों को छिपाने पर पछतावा करते हुए अल्लाह की ओर लौट आए, तथा अपने बाहरी और आंतरिक कार्यों को सुधार लिया और उन्होंने जो सच्चाई और मार्गदर्शन छुपाया था, उन्हें स्पष्ट कर दिया; तो ऐसे लोगों की मैं अपनी आज्ञाकारिता की ओर वापसी को स्वीकार करता हूँ, और मैं तौबा करने वाले बंदों की तौबा क़बूल करने वाला, उनपर दया करने वाला हूँ। info
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161 : 2

اِنَّ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا وَمَاتُوْا وَهُمْ كُفَّارٌ اُولٰٓىِٕكَ عَلَیْهِمْ لَعْنَةُ اللّٰهِ وَالْمَلٰٓىِٕكَةِ وَالنَّاسِ اَجْمَعِیْنَ ۟ۙ

निःसंदेह जिन लोगों ने कुफ़्र किया और उससे तौबा करने से पहले कुफ़्र ही की अवस्था में मर गए, तो ऐसे लोगों पर अल्लाह का यह अभिशाप है कि उन्हें अपनी दया से निष्कासित कर देता है, तथा फ़रिश्तों और सभी लोगों का उनपर यह श्राप है कि अल्लाह उन्हें अपनी दया से निष्कासित और दूर कर दे। info
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162 : 2

خٰلِدِیْنَ فِیْهَا ۚ— لَا یُخَفَّفُ عَنْهُمُ الْعَذَابُ وَلَا هُمْ یُنْظَرُوْنَ ۟

वे इसी लानत (अभिशाप) से पीड़ित रहेंगे, उनकी यातना एक दिन के लिए भी कम नहीं होगी और न उन्हें क़ियामत के दिन मोहलत दी जाएगी। info
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163 : 2

وَاِلٰهُكُمْ اِلٰهٌ وَّاحِدٌ ۚ— لَاۤ اِلٰهَ اِلَّا هُوَ الرَّحْمٰنُ الرَّحِیْمُ ۟۠

(ऐ लोगो!) तुम्हारा सच्चा मा'बूद एक ही है, जो अपने अस्तित्व और गुणों में अद्वितीय है, उसके अलावा कोई सच्चा मा'बूद नहीं। वह अत्यंत दयावान् विशाल दया वाला, अपने बंदों पर असीम दयालु है। क्योंकि उसने उन्हें अनगिनत नेमतें प्रदान की हैं। info
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ഈ പേജിലെ ആയത്തുകളിൽ നിന്നുള്ള പാഠങ്ങൾ:
• الابتلاء سُنَّة الله تعالى في عباده، وقد وعد الصابرين على ذلك بأعظم الجزاء وأكرم المنازل.
• आज़माइश अल्लाह की उसके बंदों के बारे में हमेशा की नीति रही है। तथा उसने उसपर धैर्य रखने वालों से सबसे बड़े बदले और सबसे सम्मानजनक घरों का वादा किया है। info

• مشروعية السعي بين الصفا والمروة لمن حج البيت أو اعتمر.
• खाना काबा का हज्ज अथवा उम्रा करने वाले के लिए सफ़ा और मरवा के बीच दौड़ने की वैधता। info

• من أعظم الآثام وأشدها عقوبة كتمان الحق الذي أنزله الله، والتلبيس على الناس، وإضلالهم عن الهدى الذي جاءت به الرسل.
• सबसे बड़ा और सबसे गंभीर दंड वाला पाप अल्लाह के उतारे हुए सत्य को छिपाना, लोगों को धोखे में रखना (भ्रमित करना) और उन्हें उस मार्गदर्शन से भटकाना है जो रसूल लाए थे। info