Kilniojo Korano reikšmių vertimas - Vertimas į hindi k. - Aziz Al-Hak Al-Umari

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56 : 25

وَمَاۤ اَرْسَلْنٰكَ اِلَّا مُبَشِّرًا وَّنَذِیْرًا ۟

तथा हमने आपको केवल शुभ-सूचना देने वाला और सावधान करने वाला बनाकर भेजा है। info
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57 : 25

قُلْ مَاۤ اَسْـَٔلُكُمْ عَلَیْهِ مِنْ اَجْرٍ اِلَّا مَنْ شَآءَ اَنْ یَّتَّخِذَ اِلٰی رَبِّهٖ سَبِیْلًا ۟

आप कह दें : मैं तुमसे इसपर[30] कोई बदला नहीं माँगता, सिवाय इसके कि जो चाहे अपने पालनहार की ओर मार्ग अपना ले। info

30. अर्थात क़ुरआन पहुँचाने पर।

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58 : 25

وَتَوَكَّلْ عَلَی الْحَیِّ الَّذِیْ لَا یَمُوْتُ وَسَبِّحْ بِحَمْدِهٖ ؕ— وَكَفٰی بِهٖ بِذُنُوْبِ عِبَادِهٖ خَبِیْرَا ۟

तथा उस सदा जीवंत पर भरोसा कीजिए, जो कभी नहीं मरेगा। और उसकी प्रशंसा के साथ पवित्रता का गान कीजिए। और वह अपने बंदों के गुनाहों की पूरी ख़बर रखने वाला काफ़ी है। info
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59 : 25

١لَّذِیْ خَلَقَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ وَمَا بَیْنَهُمَا فِیْ سِتَّةِ اَیَّامٍ ثُمَّ اسْتَوٰی عَلَی الْعَرْشِ ۛۚ— اَلرَّحْمٰنُ فَسْـَٔلْ بِهٖ خَبِیْرًا ۟

जिसने आकाशों तथा धरती को और जो कुछ उनके बीच है, छह दिनों में पैदा किया, फिर अर्श (सिंहासन) पर बुलंद हुआ। (वह) बहुत दयालु है। अतः उसके बारे में किसी पूर्ण जानकार से पूछिए। info
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60 : 25

وَاِذَا قِیْلَ لَهُمُ اسْجُدُوْا لِلرَّحْمٰنِ ۚ— قَالُوْا وَمَا الرَّحْمٰنُ ۗ— اَنَسْجُدُ لِمَا تَاْمُرُنَا وَزَادَهُمْ نُفُوْرًا ۟

और जब उनसे कहा जाता है कि 'रह़मान' (अत्यंत दयावान्) को सजदा करो, तो कहते हैं कि 'रह़मान' क्या है? क्या हम उसे सजदा करें, जिसके लिए तू हमें आदेश देता है? और यह बात उन्हें बिदकने में और बढ़ा देती है। info
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61 : 25

تَبٰرَكَ الَّذِیْ جَعَلَ فِی السَّمَآءِ بُرُوْجًا وَّجَعَلَ فِیْهَا سِرٰجًا وَّقَمَرًا مُّنِیْرًا ۟

बहुत बरकत वाला है वह, जिसने आकाश में बुर्ज (नक्षत्र) बनाए तथा उसमें एक चिराग़ (सूर्य) और एक रोशनी देने वाला चाँद बनाया। info
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62 : 25

وَهُوَ الَّذِیْ جَعَلَ الَّیْلَ وَالنَّهَارَ خِلْفَةً لِّمَنْ اَرَادَ اَنْ یَّذَّكَّرَ اَوْ اَرَادَ شُكُوْرًا ۟

और वही है जिसने रात तथा दिन को एक-दूसरे के पीछे आने वाला बनाया, उसके लिए जो उपदेश ग्रहण करना चाहे, या शुक्र करना चाहे। info
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63 : 25

وَعِبَادُ الرَّحْمٰنِ الَّذِیْنَ یَمْشُوْنَ عَلَی الْاَرْضِ هَوْنًا وَّاِذَا خَاطَبَهُمُ الْجٰهِلُوْنَ قَالُوْا سَلٰمًا ۟

और 'रह़मान' के बंदे वे हैं, जो धरती पर विनम्रता[31] से चलते हैं और जब जाहिल (अक्खड़) लोग उनसे बात करते हैं, तो कहते हैं सलाम है।[32] info

31. अर्थात घमंड से अकड़कर नहीं चलते। 32. अर्थात उनसे उलझते नहीं।

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64 : 25

وَالَّذِیْنَ یَبِیْتُوْنَ لِرَبِّهِمْ سُجَّدًا وَّقِیَامًا ۟

और जो अपने पालनहार के लिए सजदा करते हुए तथा खड़े होकर[33] रात गुज़ारते हैं। info

33. अर्थात अल्लाह की इबादत करते हुए।

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65 : 25

وَالَّذِیْنَ یَقُوْلُوْنَ رَبَّنَا اصْرِفْ عَنَّا عَذَابَ جَهَنَّمَ ۖۗ— اِنَّ عَذَابَهَا كَانَ غَرَامًا ۟ۗۖ

तथा जो कहते हैं कि ऐ हमारे पालनहार! हमसे जहन्नम की यातना को हटा दे। निःसंदेह उसकी यातना चिमट जाने वाली है। info
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66 : 25

اِنَّهَا سَآءَتْ مُسْتَقَرًّا وَّمُقَامًا ۟

निःसंदेह वह बुरी ठहरने की जगह और निवास की जगह है। info
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67 : 25

وَالَّذِیْنَ اِذَاۤ اَنْفَقُوْا لَمْ یُسْرِفُوْا وَلَمْ یَقْتُرُوْا وَكَانَ بَیْنَ ذٰلِكَ قَوَامًا ۟

तथा वे लोग कि जब खर्च करते हैं, तो न फ़िज़ूल-खर्ची करते है और न ख़र्च करने में तंगी करते हैं, और (उनका ख़र्च) इसके बीच में मध्यम होता है। info
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