وه‌رگێڕانی ماناكانی قورئانی پیرۆز - وەرگێڕاوی هیندی - عزيز الحق ئەلعومەری

अल्-क़ियामह

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1 : 75

لَاۤ اُقْسِمُ بِیَوْمِ الْقِیٰمَةِ ۟ۙ

मैं क़सम खाता हूँ क़ियामत के दिन[1] की। info

1. किसी चीज़ की क़सम खाने का अर्थ होता है, उसका निश्चित् होना। अर्थात प्रलय का होना निश्चित् है।

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2 : 75

وَلَاۤ اُقْسِمُ بِالنَّفْسِ اللَّوَّامَةِ ۟

तथा मैं क़सम खाता हूँ निंदा[2] करने वाली अंतरात्मा की। info

2. मनुष्य की अंतरात्मा की यह विशेषता है कि वह बुराई करने पर उसकी निंदा करती है।

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3 : 75

اَیَحْسَبُ الْاِنْسَانُ اَلَّنْ نَّجْمَعَ عِظَامَهٗ ۟ؕ

क्या इनसान समझता है कि हम कभी उसकी हड्डियों को एकत्र नहीं करेंगे? info
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4 : 75

بَلٰى قٰدِرِیْنَ عَلٰۤی اَنْ نُّسَوِّیَ بَنَانَهٗ ۟

क्यों नहीं? हम इस बता का भी सामर्थ्य रखते हैं कि उसकी उंगलियों की पोर-पोर सीधी कर दें। info
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5 : 75

بَلْ یُرِیْدُ الْاِنْسَانُ لِیَفْجُرَ اَمَامَهٗ ۟ۚ

बल्कि मनुष्य चाहता है कि अपने आगे भी[3] गुनाह करता रहे। info

3. अर्थात वह प्रलय तथा ह़िसाब का इनकार इसलिए करता है ताकि वह पूरी आयु कुकर्म करता रहे।

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6 : 75

یَسْـَٔلُ اَیَّانَ یَوْمُ الْقِیٰمَةِ ۟ؕ

वह पूछता है कि क़ियामत का दिन कब होगा? info
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7 : 75

فَاِذَا بَرِقَ الْبَصَرُ ۟ۙ

तो जब आँख चौंधिया जाएगी। info
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8 : 75

وَخَسَفَ الْقَمَرُ ۟ۙ

और चाँद को ग्रहण लग जाएगा। info
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9 : 75

وَجُمِعَ الشَّمْسُ وَالْقَمَرُ ۟ۙ

और सूर्य और चाँद एकत्र[4] कर दिए जाएँगे। info

4. अर्थात दोनों पश्चिम से अँधेरे होकर निकलेंगे।

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10 : 75

یَقُوْلُ الْاِنْسَانُ یَوْمَىِٕذٍ اَیْنَ الْمَفَرُّ ۟ۚ

उस दिन मनुष्य कहेगा कि भागने का स्थान कहाँ है? info
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11 : 75

كَلَّا لَا وَزَرَ ۟ؕ

कदापि नहीं, शरण लेने का स्थान कोई नहीं। info
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12 : 75

اِلٰى رَبِّكَ یَوْمَىِٕذِ ١لْمُسْتَقَرُّ ۟ؕ

उस दिन तेरे पालनहार ही की ओर लौटकर जाना है। info
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13 : 75

یُنَبَّؤُا الْاِنْسَانُ یَوْمَىِٕذٍ بِمَا قَدَّمَ وَاَخَّرَ ۟ؕ

उस दिन इनसान को बताया जाएगा जो उसने आगे भेजा और जो पीछे छोड़ा।[5] info

5. अर्थात संसार में जो कर्म किया और जो करना चाहिए था, फिर भी नहीं किया।

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14 : 75

بَلِ الْاِنْسَانُ عَلٰی نَفْسِهٖ بَصِیْرَةٌ ۟ۙ

बल्कि इनसान स्वयं अपने विरुद्ध गवाह[6] है। info

6. अर्थात वह अपने अपराधों को स्वयं भी जानता है क्योंकि पापी का मन स्वयं अपने पाप की गवाही देता है।

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15 : 75

وَّلَوْ اَلْقٰى مَعَاذِیْرَهٗ ۟ؕ

अगरचे वह अपने बहाने पेश करे। info
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16 : 75

لَا تُحَرِّكْ بِهٖ لِسَانَكَ لِتَعْجَلَ بِهٖ ۟ؕ

(ऐ नबी!) आप इसके साथ अपनी ज़ुबान न हिलाएँ[7], ताकि इसे शीघ्र याद कर लें। info

7. ह़दीस में है कि आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) फ़रिश्ते जिब्रील से वह़्य पूरी होने से पहले इस भय से उसे दुहराने लगते कि कुछ भूल न जाएँ। उसी पर यह आयत उतरी। (सह़ीह़ बुख़ारी : 4928, 4929) इसी विषय को सूरत ताहा तथा सूरतुल-आला में भी दुहराया गया है।

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17 : 75

اِنَّ عَلَیْنَا جَمْعَهٗ وَقُرْاٰنَهٗ ۟ۚۖ

निःसंदेह उसको एकत्र करना और (आपका) उसे पढ़ना हमारे ज़िम्मे है। info
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18 : 75

فَاِذَا قَرَاْنٰهُ فَاتَّبِعْ قُرْاٰنَهٗ ۟ۚ

अतः जब हम उसे पढ़ लें, तो आप उसके पठन का अनुसरण करें। info
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19 : 75

ثُمَّ اِنَّ عَلَیْنَا بَیَانَهٗ ۟ؕ

फिर निःसंदेह उसे स्पषट करना हमारे ही ज़िम्मे है। info
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