وه‌رگێڕانی ماناكانی قورئانی پیرۆز - وەرگێڕاوی هیندی - عزيز الحق ئەلعومەری

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10 : 66

ضَرَبَ اللّٰهُ مَثَلًا لِّلَّذِیْنَ كَفَرُوا امْرَاَتَ نُوْحٍ وَّامْرَاَتَ لُوْطٍ ؕ— كَانَتَا تَحْتَ عَبْدَیْنِ مِنْ عِبَادِنَا صَالِحَیْنِ فَخَانَتٰهُمَا فَلَمْ یُغْنِیَا عَنْهُمَا مِنَ اللّٰهِ شَیْـًٔا وَّقِیْلَ ادْخُلَا النَّارَ مَعَ الدّٰخِلِیْنَ ۟

अल्लाह ने उन लोगों के लिए, जिन्होंने कुफ़्र किया, नूह की पत्नी तथा लूत की पत्नी का उदाहरण दिया है। वे दोनों हमारे बंदों में से दो नेक बंदों के विवाह में थीं। फिर उन दोनों (स्त्रियों) ने उनके साथ विश्वासघात[9] किया। तो वे दोनों (रसूल) अल्लाह के यहाँ उनके कुछ काम न आए। तथा (दोनों स्त्रियों से) कहा गया : तुम दोनों जहन्नम में प्रवेश कर जाओ, प्रवेश करने वालों के साथ। info

9. विश्वासघात का अर्थ यह है कि नूह़ और लूत (अलैहिमस्सलाम) की पत्नियों ने ईमान तथा धर्म में उनका साथ नहीं दिया। आयत का भावार्थ यह है कि अल्लाह के यहाँ कर्म काम आएगा। संबंध नहीं काम आएगा।

التفاسير: