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41 : 8

وَاعْلَمُوْۤا اَنَّمَا غَنِمْتُمْ مِّنْ شَیْءٍ فَاَنَّ لِلّٰهِ خُمُسَهٗ وَلِلرَّسُوْلِ وَلِذِی الْقُرْبٰی وَالْیَتٰمٰی وَالْمَسٰكِیْنِ وَابْنِ السَّبِیْلِ ۙ— اِنْ كُنْتُمْ اٰمَنْتُمْ بِاللّٰهِ وَمَاۤ اَنْزَلْنَا عَلٰی عَبْدِنَا یَوْمَ الْفُرْقَانِ یَوْمَ الْتَقَی الْجَمْعٰنِ ؕ— وَاللّٰهُ عَلٰی كُلِّ شَیْءٍ قَدِیْرٌ ۟

और (ऐ ईमान वालो!) जान लो कि तुमने अल्लाह के मार्ग में काफ़िरों से जिहाद करते हुए जो ग़नीमत का धन हासिल किया है, उसे पाँच भागों में विभाजित किया जाएगा। उनमें से चार भाग मुजाहिदों में बाँट दिए जाएँगे, जबकि शेष पाँचवें भाग को फिर पाँच हिस्सों में विभाजित किया जाएगा : उसका एक हिस्सा अल्लाह और उसके रसूल का होगा, जिसे मुसलमानों के सार्वजनिक हितों में खर्च किया जाएगा, तथा एक हिस्सा नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के निकट-संबंधियों अर्थात् बनू हाशिम एवं बनू मुत्तलिब के लिए, एक हिस्सा अनाथों के लिए, एक हिस्सा गरीबों एवं मिसकीनों के लिए, तथा एक हिस्सा ऐसे यात्रियों के लिए है, जो रास्ते में फँसे हुए हों। यदि तुम अल्लाह पर तथा उस चीज़ पर ईमान रखते हो, जो हमने अपने बंदे मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर बद्र के दिन उतारी, जिसके द्वारा अल्लाह ने सत्य और झूठ के बीच अंतर कर दिया जब उसने तुम्हें तुम्हारे दुश्मनों पर जीत दिलाई। और अल्लाह, जिसने तुम्हारी मदद की, हर चीज़ का सामर्थ्य रखता है। info
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42 : 8

اِذْ اَنْتُمْ بِالْعُدْوَةِ الدُّنْیَا وَهُمْ بِالْعُدْوَةِ الْقُصْوٰی وَالرَّكْبُ اَسْفَلَ مِنْكُمْ ؕ— وَلَوْ تَوَاعَدْتُّمْ لَاخْتَلَفْتُمْ فِی الْمِیْعٰدِ ۙ— وَلٰكِنْ لِّیَقْضِیَ اللّٰهُ اَمْرًا كَانَ مَفْعُوْلًا ۙ۬— لِّیَهْلِكَ مَنْ هَلَكَ عَنْ بَیِّنَةٍ وَّیَحْیٰی مَنْ حَیَّ عَنْ بَیِّنَةٍ ؕ— وَاِنَّ اللّٰهَ لَسَمِیْعٌ عَلِیْمٌ ۟ۙ

तथा उस समय को याद करो, जब तुम घाटी के उस किनारे पर थे जो मदीना से सबसे निकट है, तथा बहुदेववादी उसी घाटी के दूर वाले किनारे पर थे, जो मक्का से करीब है, और क़ाफ़िला तुमसे नीचे क्षेत्र में लाल सागर के तट के निकट था। यदि तुमने और बहुदेववादियों ने बद्र में मिलने का वादा किया होता, तो तुम निर्धारित समय (पर पहुँचने) के बारे में एक-दूसरे से असहमत होते। परंतु अल्लाह ने तुम्हें बिना पूर्वनिर्धारित अवधि के बद्र में एकत्र कर दिया। ताकि अल्लाह वह काम पूरा कर दे, जो किया जाने वाला था, अर्थात् ईमान वालों की जीत और काफ़िरों की विफलता, अपने धर्म (इस्लाम) का सम्मान और बहुदेववाद का अपमान; ताकि उनमें से जो मरे, वह ईमान वालों की संख्याबल और उपकरणों की कमी के बावजूद काफ़िरों पर जीत के द्वारा उसपर तर्क स्थापित होने के बाद मरे, तथा जो जीवित रहे, वह उस सबूत और तर्क को देखकर जीवित रहे, जो अल्लाह ने उसके लिए प्रकट किया है। ताकि किसी के लिए अल्लाह के विरुद्ध कोई तर्क बाक़ी न रहे, जिसे वह प्रस्तुत कर सके। निःसंदेह अल्लाह सभी की बातों को सुनने वाला, उनके कार्यों को जानने वाला है। उससे कुछ भी छिपा नहीं है और वह उन्हें उनका बदला देगा। info
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43 : 8

اِذْ یُرِیْكَهُمُ اللّٰهُ فِیْ مَنَامِكَ قَلِیْلًا ؕ— وَلَوْ اَرٰىكَهُمْ كَثِیْرًا لَّفَشِلْتُمْ وَلَتَنَازَعْتُمْ فِی الْاَمْرِ وَلٰكِنَّ اللّٰهَ سَلَّمَ ؕ— اِنَّهٗ عَلِیْمٌۢ بِذَاتِ الصُّدُوْرِ ۟

तथा (ऐ रसूल!) आप, अपने और मोमिनों के ऊपर अल्लाह की नेमत को याद करें, जब अल्लाह ने आपको सपने में मुश्रिकों की संख्या कम करके दिखाई, और आपने ईमान वालों को इसके बारे में बताया, तो वे इस शुभ समाचार से आनंदित हुए और अपने दुश्मन से मिलने और उससे लड़ने का उनका संकल्प और भी मज़बूत हो गया। यदि अल्लाह आपको मुश्रिकों की संख्या अधिक दिखाता, तो अवश्य ही आपके साथियों के संकल्प कमज़ोर पड़ जाते और वे लड़ने से भय खाने लगते। परंतु अल्लाह ने इससे सुरक्षित रखा और उन्हें असफलता से बचाया। इसलिए उन्हें अपने रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नज़र में कम कर दिया। निःसंदेह वह सीनों की बातों से भली-भाँति अवगत, तथा दिलों के भेदों को जानने वाला है। info
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44 : 8

وَاِذْ یُرِیْكُمُوْهُمْ اِذِ الْتَقَیْتُمْ فِیْۤ اَعْیُنِكُمْ قَلِیْلًا وَّیُقَلِّلُكُمْ فِیْۤ اَعْیُنِهِمْ لِیَقْضِیَ اللّٰهُ اَمْرًا كَانَ مَفْعُوْلًا ؕ— وَاِلَی اللّٰهِ تُرْجَعُ الْاُمُوْرُ ۟۠

तथा (ऐ ईमान वालो!) उस समय को याद करो, जब अल्लाह बहुदेववादियों को लड़ाई के समय तुम्हारी आँखों में थोड़ा करके दिखा रहा था। इस तरह उसने तुम्हें उनसे लड़ने का साहस दिया। तथा उनकी आँखों में तुम्हें थोड़ा करके दिखा रहा था, इसलिए वे भी तुमसे लड़ाई के लिए आगे बढ़े और वापस जाने के बारे में नहीं सोचा। ताकि अल्लाह उस काम को पूरा कर दे, जो होकर रहना था, यानी बहुदेववादियों से (उन्हें) मारकर और बंदी बनाकर बदला लेना और ईमान वालों को दुश्मनों पर जीत एवं सफलता द्वारा पुरस्कृत करना। तथा सभी मामले अल्लाह ही की ओर लौटाए जाते हैं, फिर वह कुकर्म करने वाले को उसके कुकर्म का, और सुकर्म करने वाले को उसके सुकर्म का बदला देता है। info
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45 : 8

یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْۤا اِذَا لَقِیْتُمْ فِئَةً فَاثْبُتُوْا وَاذْكُرُوا اللّٰهَ كَثِیْرًا لَّعَلَّكُمْ تُفْلِحُوْنَ ۟ۚ

ऐ अल्लाह पर ईमान लाने वालो एवं उसके रसूल का अनुसरण करने वालो! जब तुम काफ़िरों के किसी समूह का सामना करो, तो उनसे मिलते समय दृढ़ रहो और कायरता न दिखाओ। तथा अल्लाह को बहुत याद करो और उससे प्रार्थना करो। क्योंकि वही तुम्हें उनपर विजय दिलाने में समर्थ है; आशा है कि वह तुम्हें वह चीज़ प्रदान करे जो तुम माँगते हो और तुम्हें उस चीज़ से बचाए, जिसका तुम्हें डर है। info
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• الغنائم لله يجعلها حيث شاء بالكيفية التي يريد، فليس لأحد شأن في ذلك.
• ग़नीमत का धन अल्लाह का है। वह जहाँ चाहे, जिस तरह चाहे उसका आवंटन करे। किसी का उसमें कोई दख़ल नहीं है। info

• من أسباب النصر تدبير الله للمؤمنين بما يعينهم على النصر، والصبر والثبات والإكثار من ذكر الله.
• जीत के कुछ कारण इस प्रकार हैं : अल्लाह का ईमान वालों के लिए उस चीज़ का प्रबंधन जो जीत हासिल करने में उनकी सहायक हो, सब्र करना, युद्ध के मैदान में मज़बूती से जमे रहना और अधिक से अधिक अल्लाह को याद करना। info

• قضاء الله نافذ وحكمته بالغة وهي الخير لعباد الله وللأمة كلها.
• अल्लाह का फ़ैसला लागू होकर रहता है और उसकी हिकमत व्यापक है। और यह अल्लाह के बंदों तथा पूरी उम्मत के लिए बेहतर होती है। info