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9 : 8

اِذْ تَسْتَغِیْثُوْنَ رَبَّكُمْ فَاسْتَجَابَ لَكُمْ اَنِّیْ مُمِدُّكُمْ بِاَلْفٍ مِّنَ الْمَلٰٓىِٕكَةِ مُرْدِفِیْنَ ۟

बद्र के दिन को याद करो, जब तुमने अल्लाह से अपने दुश्मन के विरुद्ध सहायता माँगी, तो अल्लाह ने तुम्हारी दुआ क़बूल कर ली कि वह एक हज़ार फ़रिश्तों के द्वारा (ऐ मोमिनो!) तुम्हारी मदद करने वाला है, जो एक-दूसरे के पीछे आएँगे। info
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10 : 8

وَمَا جَعَلَهُ اللّٰهُ اِلَّا بُشْرٰی وَلِتَطْمَىِٕنَّ بِهٖ قُلُوْبُكُمْ ؕ— وَمَا النَّصْرُ اِلَّا مِنْ عِنْدِ اللّٰهِ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ عَزِیْزٌ حَكِیْمٌ ۟۠

अल्लाह ने फ़रिश्तों के द्वारा सहायता को तुम्हारे लिए (ऐ मोमिनो!) केवल इस बात की शुभ सूचना बनाया है कि वह तुम्हारे दुश्मनों के विरुद्ध तुम्हारी मदद करने वाला है, और ताकि मदद के यक़ीन के साथ तुम्हारे दिलों को संतोष प्राप्त हो जाए। और (दरअसल) विजय संख्याओं की अधिकता और उपकरणों की प्रचुरता के आधार पर प्राप्त नहीं होती, बल्कि विजय अल्लाह की ओर से मिलती है। निःसंदेह अल्लाह अपने राज्य में प्रभुत्वशाली है, उसपर किसी का ज़ोर नहीं चलता। अपने विधान और निर्णय (नियति) में हिकमत वाला है। info
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11 : 8

اِذْ یُغَشِّیْكُمُ النُّعَاسَ اَمَنَةً مِّنْهُ وَیُنَزِّلُ عَلَیْكُمْ مِّنَ السَّمَآءِ مَآءً لِّیُطَهِّرَكُمْ بِهٖ وَیُذْهِبَ عَنْكُمْ رِجْزَ الشَّیْطٰنِ وَلِیَرْبِطَ عَلٰی قُلُوْبِكُمْ وَیُثَبِّتَ بِهِ الْاَقْدَامَ ۟ؕ

(ऐ मोमिनो!) उस समय को याद करो, जब अल्लाह तुम्हें अपने दुश्मन से होने वाले भय को दूर करने के लिए तुमपर ऊँघ डाल रहा था, तथा तुमपर आकाश से जल बरसा रहा था; ताकि तुम्हें मलिनता से पवित्र कर दे, और ताकि तुमसे शैतान के बुरे ख़यालों को दूर कर दे, और ताकि उसके द्वारा तुम्हारे दिलों को सुदृढ़ कर दे, ताकि मुठभेड़ के समय तुम्हारे शरीर स्थिर रहें, और ताकि उसकी वजह से रेतीली ज़मीन को ठोस करके तुम्हारे क़दमों को जमा दे ताकि उसमें तुम्हारे पाँव न धँसें। info
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12 : 8

اِذْ یُوْحِیْ رَبُّكَ اِلَی الْمَلٰٓىِٕكَةِ اَنِّیْ مَعَكُمْ فَثَبِّتُوا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا ؕ— سَاُلْقِیْ فِیْ قُلُوْبِ الَّذِیْنَ كَفَرُوا الرُّعْبَ فَاضْرِبُوْا فَوْقَ الْاَعْنَاقِ وَاضْرِبُوْا مِنْهُمْ كُلَّ بَنَانٍ ۟ؕ

(ऐ नबी!) जब आपका पालनहार उन फ़रिश्तों की ओर वह़्य कर रहा था, जिन्हें बद्र के दिन मोमिनों की सहायता के लिए भेजा था कि (ऐ फ़रिश्तो!) मैं मदद और समर्थन के द्वारा तुम्हारे साथ हूँ। अतः अपने दुश्मनों से लड़ने में मोमिनों के संकल्प को मज़बूत करो। मैं शीघ्र ही काफ़िरों के दिलों में अत्यधिक भय डाल दूँगा। इसलिए तुम (ऐ मोमिनो!) काफ़िरों की गरदनें उड़ाते जाओ, ताकि उनका काम तमाम हो जाए, और उनके जोड़ों और शरीर के अंगों पर वार किए जाओ, ताकि तुमसे युद्ध करने से असमर्थ हो जाएँ। info
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13 : 8

ذٰلِكَ بِاَنَّهُمْ شَآقُّوا اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗ ۚ— وَمَنْ یُّشَاقِقِ اللّٰهَ وَرَسُوْلَهٗ فَاِنَّ اللّٰهَ شَدِیْدُ الْعِقَابِ ۟

काफ़िरों के क़त्ल किए जाने और उनके अंगों के भंग किए जाने का कारण यह है कि उन्होंने अल्लाह और उसके रसूल का विरोध किया। चुनाँचे उन्हें जो आदेश दिया गया था, उसका उन्होंने पालन नहीं किया, और उन्हें जिस चीज़ से मना किया गया था, उससे नहीं रुके। तथा जो कोई भी अल्लाह और उसके रसूल का विरोध करे, तो अल्लाह उसे दुनिया में क़त्ल और क़ैद, तथा आख़िरत में जहन्नम की आग के द्वारा, कठोर यातना देने वाला है। info
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14 : 8

ذٰلِكُمْ فَذُوْقُوْهُ وَاَنَّ لِلْكٰفِرِیْنَ عَذَابَ النَّارِ ۟

(ऐ अल्लाह और उसके रसूल का विरोध करने वालो!) यह उक्त सज़ा तुम्हारे लिए है। तो इसे दुनिया के जीवन में अग्रिम ही चखो, और आख़िरत में तुम्हारे लिए आग की यातना है, यदि तुम अपने कुफ़्र और हठ की अवस्था में मर गए। info
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15 : 8

یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْۤا اِذَا لَقِیْتُمُ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا زَحْفًا فَلَا تُوَلُّوْهُمُ الْاَدْبَارَ ۟ۚ

ऐ अल्लाह पर ईमान लाने और उसके रसूल का अनुसरण करने वालो! जब युद्ध के मैदान में मुश्रिकों से आमने-सामना हो जाओ, तो उनसे हार न मानो और उनसे पीठ फेरकर न भागो, बल्कि उनके सामने डट जाओ और धैर्य के साथ उनका मुक़ाबला करो। क्योंकि अल्लाह अपनी मदद और समर्थन के द्वारा तुम्हारे साथ है। info
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16 : 8

وَمَنْ یُّوَلِّهِمْ یَوْمَىِٕذٍ دُبُرَهٗۤ اِلَّا مُتَحَرِّفًا لِّقِتَالٍ اَوْ مُتَحَیِّزًا اِلٰی فِئَةٍ فَقَدْ بَآءَ بِغَضَبٍ مِّنَ اللّٰهِ وَمَاْوٰىهُ جَهَنَّمُ ؕ— وَبِئْسَ الْمَصِیْرُ ۟

और जो व्यक्ति उनसे भागते हुए अपनी पीठ फेरे, जबकि वह उनसे लड़ाई के लिए मुड़ने वाला नहीं है कि वह चाल के तौर पर उनसे भागने का दिखावा करे, जबकि वह पलटकर उनपर हमला करना चाहता हो, या वह मदद लेने के लिए मुसलमानों के किसी उपस्थित समूह में शामिल होने वाला नहीं है, तो निश्चय वह अल्लाह के प्रकोप के साथ लौटा और उसका हक़दार हो गया, और आख़िरत में उसका ठिकाना जहन्नम है और उसका वह ठिकाना बहुत बुरा है और उसके पलटने की वह जगह बहुत बुरी है। info
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ក្នុង​ចំណោម​អត្ថប្រយោជន៍​នៃអាយ៉ាត់ទាំងនេះក្នុងទំព័រនេះ:
• في الآيات اعتناء الله العظيم بحال عباده المؤمنين، وتيسير الأسباب التي بها ثبت إيمانهم، وثبتت أقدامهم، وزال عنهم المكروه والوساوس الشيطانية.
• इन आयतों से पता चलता है कि अल्लाह अपने मोमिन बंदों का अत्यधिक ध्यान रखता है और ऐसे कारणों की सुविधा प्रदान कर देता है जिनके द्वारा उनका ईमान स्थिर रहे, उनके क़दम जम जाएँ और उनसे अप्रिय बातें और शैतानी ख़यालात दूर हो जाएँ। info

• أن النصر بيد الله، ومن عنده سبحانه، وهو ليس بكثرة عَدَدٍ ولا عُدَدٍ مع أهمية هذا الإعداد.
• जीत अल्लाह के हाथ में और उसी महिमावान की ओर से है। यह संख्याबल या उपकरणों की अधिकता की बुनियाद पर नहीं मिलती, जबकि इस तैयारी का महत्व सर्वमान्य है। info

• الفرار من الزحف من غير عذر من أكبر الكبائر.
• बिना किसी वैध कारण के युद्ध के मैदान से भागना सबसे बड़े पापों में से एक है। info

• في الآيات تعليم المؤمنين قواعد القتال الحربية، ومنها: طاعة الله والرسول، والثبات أمام الأعداء، والصبر عند اللقاء، وذِكْر الله كثيرًا.
• इन आयतों में ईमान वालों को युद्ध के नियम सिखाए गए हैं, जिनमें अल्लाह और उसके रसूल की आज्ञा का पालन करना, दुश्मनों के सामने डटे रहना, मुठभेड़ के समय धैर्य रखना और अल्लाह को बहुत ज़्यादा याद करना, शामिल हैं। info