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28 : 54

وَنَبِّئْهُمْ اَنَّ الْمَآءَ قِسْمَةٌ بَیْنَهُمْ ۚ— كُلُّ شِرْبٍ مُّحْتَضَرٌ ۟

और उन्हें बता दें कि उनके कुएँ का पानी उनके और ऊँटनी के बीच बाँट दिया गया है; एक दिन ऊँटनी के लिए, और एक दिन उन लोगों के लिए। प्रत्येक हिस्से पर अकेला उसका मालिक अपने निर्दिष्ट दिन में उपस्थित होगा। info
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29 : 54

فَنَادَوْا صَاحِبَهُمْ فَتَعَاطٰی فَعَقَرَ ۟

अंततः उन्होंने ऊँटनी को क़त्ल करने के लिए अपने साथी को पुकारा। चुनाँचे उसने अपनी जाति के आदेश का पालन करते हुए तलवार उठाई और उसे क़त्ल कर दिया। info
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30 : 54

فَكَیْفَ كَانَ عَذَابِیْ وَنُذُرِ ۟

तो (ऐ मक्का वालो!) ग़ौर करो कि उनके लिए मेरी यातना कैसी थी?! और मेरा उनकी यातना से अन्य लोगों को सावधान करना कैसा था?! info
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31 : 54

اِنَّاۤ اَرْسَلْنَا عَلَیْهِمْ صَیْحَةً وَّاحِدَةً فَكَانُوْا كَهَشِیْمِ الْمُحْتَظِرِ ۟

हमने उनपर एक चिंघाड़ भेजी, जिसने उन्हें नष्ट कर दिया। तो वे सूखे वृक्षों के समान हो गए, जिनसे बाड़ लगाने वाला अपनी बकरियों के लिए बाड़ा बनाता है। info
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32 : 54

وَلَقَدْ یَسَّرْنَا الْقُرْاٰنَ لِلذِّكْرِ فَهَلْ مِنْ مُّدَّكِرٍ ۟

और हमने क़ुरआन को याद रखने और उपदेश ग्रहण करने के लिए आसान बना दिया है, तो क्या कोई इसके पाठों और उपदेशों को ग्रहण करने वाला है?! info
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33 : 54

كَذَّبَتْ قَوْمُ لُوْطٍۭ بِالنُّذُرِ ۟

लूत अलैहिस्सलाम की जाति ने उस चीज़ को झुठला दिया जिसकी उनके रसूल लूत अलैहिस्सलाम ने उन्हें चेतावनी दी थी। info
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34 : 54

اِنَّاۤ اَرْسَلْنَا عَلَیْهِمْ حَاصِبًا اِلَّاۤ اٰلَ لُوْطٍ ؕ— نَجَّیْنٰهُمْ بِسَحَرٍ ۟ۙ

हमने उनपर एक ऐसी हवा भेजी, जो उनपर पत्थर बरसा रही थी, सिवाय लूत अलैहिस्सलाम के घर वालों के, उन्हें अज़ाब ने नहीं छुआ। हमने उन्हें बचा लिया; क्योंकि लूत अलैहिस्सलाम रात के अंत में यातना आने से पहले ही उन्हें लेकर चले गए। info
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35 : 54

نِّعْمَةً مِّنْ عِنْدِنَا ؕ— كَذٰلِكَ نَجْزِیْ مَنْ شَكَرَ ۟

हमने अपनी ओर से उनपर अनुग्रह करते हुए उन्हें यातना से बचा लिया। इसी तरह का बदला, जो हमने लूत अलैहिस्सलाम को दिया, हम उन लोगों को देते हैं, जो अल्लाह का उसकी नेमतों पर शुक्र अदा करते हों। info
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36 : 54

وَلَقَدْ اَنْذَرَهُمْ بَطْشَتَنَا فَتَمَارَوْا بِالنُّذُرِ ۟

निश्चय लूत अलैहिस्सलाम ने उन्हें हमारी यातना से डराया, पर उन्होंने उनकी चेतावनी के विषय में वाद-विवाद किया और उसे झुठला दिया। info
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37 : 54

وَلَقَدْ رَاوَدُوْهُ عَنْ ضَیْفِهٖ فَطَمَسْنَاۤ اَعْیُنَهُمْ فَذُوْقُوْا عَذَابِیْ وَنُذُرِ ۟

लूत अलैहिस्सलाम को उनकी जाति के लोगों ने बहकाना चाहा कि वह उन्हें और अपने मेहमान फ़रिश्तों को अनैतिक काम करने के मक़सद से अलग कर दें। तो हमने उनकी आँखों को मिटा दिया, सो उन्होंने उन्हें नहीं देखा। और हमने उनसे कहा : मेरी यातना का स्वाद तथा मेरे डराने का परिणाम चखो। info
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38 : 54

وَلَقَدْ صَبَّحَهُمْ بُكْرَةً عَذَابٌ مُّسْتَقِرٌّ ۟ۚ

निश्चय सुबह के समय उनपर ऐसी यातना आई, जो उनके साथ निरंतर लगी रहेगी, यहाँ तक कि वे आख़िरत में पहुँच जाएँ और उनपर उसकी यातना आ जाए। info
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39 : 54

فَذُوْقُوْا عَذَابِیْ وَنُذُرِ ۟

और उनसे कहा जाएगा : मेरी उस यातना का स्वाद चखो, जो मैंने तुमपर उतारी है, तथा लूत अलैहिस्सलाम के तुम्हें डराने के परिणाम का सामना करो। info
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40 : 54

وَلَقَدْ یَسَّرْنَا الْقُرْاٰنَ لِلذِّكْرِ فَهَلْ مِنْ مُّدَّكِرٍ ۟۠

और हमने क़ुरआन को याद रखने और उपदेश ग्रहण करने के लिए आसान बना दिया है, तो क्या कोई इसके पाठों और उपदेशों को ग्रहण करने वाला है?! info
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41 : 54

وَلَقَدْ جَآءَ اٰلَ فِرْعَوْنَ النُّذُرُ ۟ۚ

निश्चय फिरऔनियों के पास मूसा और हारून अलैहिमस्सलाम के माध्यम से हमारा डरावा आया। info
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42 : 54

كَذَّبُوْا بِاٰیٰتِنَا كُلِّهَا فَاَخَذْنٰهُمْ اَخْذَ عَزِیْزٍ مُّقْتَدِرٍ ۟

उन्होंने हमारी ओर से आने वाले सभी प्रमाणों और तर्कों को झुठला दिया। तो हमने उन्हें उनके झुठलाने की ऐसी सज़ा दी, जैसे वह प्रभुत्वशाली सज़ा देता है, जिसपर किसी का ज़ोर नहीं चलता, जो शक्तिशाली है, किसी चीज़ के करने में असमर्थ नहीं है। info
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43 : 54

اَكُفَّارُكُمْ خَیْرٌ مِّنْ اُولٰٓىِٕكُمْ اَمْ لَكُمْ بَرَآءَةٌ فِی الزُّبُرِ ۟ۚ

क्या (ऐ मक्का वालो!) तुम्हारे काफ़िर उन उपर्युक्त काफ़िरों : नूह अलैहिस्सलाम की जाति, आद, समूद, लूत अलैहिस्सलाम की जाति तथा फ़िरऔन और उसकी जाति से बेहतर हैं?! या तुम्हें अल्लाह की यातना से मुक्ति प्राप्त है, जिसकी घोषणा आसमानी किताबों में कर दी गई है?! info
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44 : 54

اَمْ یَقُوْلُوْنَ نَحْنُ جَمِیْعٌ مُّنْتَصِرٌ ۟

बल्कि, क्या मक्का के ये काफ़िर कहते हैं कि हम एक ऐसा जत्था हैं, जो उससे बदले लेकर रहने वाले हैं, जो हमारा बुरा चाहता है और हमारे जत्थे को तितर-बितर करना चाहता है?! info
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45 : 54

سَیُهْزَمُ الْجَمْعُ وَیُوَلُّوْنَ الدُّبُرَ ۟

शीघ्र ही इन काफ़िरों का जत्था पराजित कर दिया जाएगा और ये लोग ईमान वालों के सामने पीठ फेरकर भाग जाएँगे। ज्ञात होना चाहिए कि बद्र के युद्ध के दिन यह घटित हो चुका है। info
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46 : 54

بَلِ السَّاعَةُ مَوْعِدُهُمْ وَالسَّاعَةُ اَدْهٰی وَاَمَرُّ ۟

बल्कि क़ियामत, जिसे ये लोग झुठलाते हैं, इनके वादे का समय है, जिसमें इन्हें यातना दी जाएगी। और क़ियामत दुनिया की उस यातना से कहीं अधिक भयानक और कठोर है, जिसका सामना उन्होंने बद्र के दिन किया है। info
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47 : 54

اِنَّ الْمُجْرِمِیْنَ فِیْ ضَلٰلٍ وَّسُعُرٍ ۟ۘ

निश्चय कुफ़्र और पाप करने वाले अपराधी सत्य से भटके हुए, तथा यातना और कष्ट में हैं। info
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48 : 54

یَوْمَ یُسْحَبُوْنَ فِی النَّارِ عَلٰی وُجُوْهِهِمْ ؕ— ذُوْقُوْا مَسَّ سَقَرَ ۟

जिस दिन वे अपने मुँह के बल आग में घसीटे जाएँगे, और उनसे फटकार के रूप में कहा जाएगा : आग की यातना का स्वाद चखो। info
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49 : 54

اِنَّا كُلَّ شَیْءٍ خَلَقْنٰهُ بِقَدَرٍ ۟

हमने ब्रह्मांड में हर चीज़ को अपने पूर्व अनुमान के साथ, अपने ज्ञान और अपनी इच्छा तथा उसके अनुसार बनाया है, जो हमने 'लौहे महफ़ूज़' में लिखा है। info
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ក្នុង​ចំណោម​អត្ថប្រយោជន៍​នៃអាយ៉ាត់ទាំងនេះក្នុងទំព័រនេះ:
• شمول العذاب للمباشر للجريمة والمُتَمالئ معه عليها.
• यातना का, प्रत्यक्ष रूप से अपराध करने वाले के साथ-साथ उसमें उसका सहयोग करने वाले को भी शामिल होना। info

• شُكْر الله على نعمه سبب السلامة من العذاب.
• अल्लाह का उसकी नेमतों पर शुक्रिया अदा करना यातना से सुरक्षा का कारण है। info

• إخبار القرآن بهزيمة المشركين يوم بدر قبل وقوعها من الإخبار بالغيب الدال على صدق القرآن.
• क़ुरआन का बद्र के दिन बहुदेववादियों की हार के बारे में उसके घटित होने से पहले ही सूचना देना, परोक्ष की सूचना देने के अध्याय से है, जो क़ुरआन की सत्यता को इंगित करता है। info

• وجوب الإيمان بالقدر.
• तक़दीर पर ईमान लाना ज़रूरी है। info