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31 : 22

حُنَفَآءَ لِلّٰهِ غَیْرَ مُشْرِكِیْنَ بِهٖ ؕ— وَمَنْ یُّشْرِكْ بِاللّٰهِ فَكَاَنَّمَا خَرَّ مِنَ السَّمَآءِ فَتَخْطَفُهُ الطَّیْرُ اَوْ تَهْوِیْ بِهِ الرِّیْحُ فِیْ مَكَانٍ سَحِیْقٍ ۟

इन सभी चीज़ों से बचो, इस हाल में कि अल्लाह के निकट पसंदीदा धर्म के अलावा हर धर्म से अलग होने वाले हो, उसके साथ इबादत में किसी को शरीक ठहराने वाले न हो। और जिसने अल्लाह के साथ किसी को साझी ठहराया, वह ऐसा है जैसे वह आसमान से गिर गया, अब या तो पक्षी उसके मांस और हड्डियों को उचक लेंगे, या हवा उसे कहीं दूर फेंक देगी। info
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32 : 22

ذٰلِكَ ۗ— وَمَنْ یُّعَظِّمْ شَعَآىِٕرَ اللّٰهِ فَاِنَّهَا مِنْ تَقْوَی الْقُلُوْبِ ۟

यह वे काम हैं, जिनका अल्लाह ने आदेश दिया है, जैसे अल्लाह को एकमात्र पूज्य मानना, खालिस उसी की पूजा करना और बुतों तथा झूठी बात से बचना। और जो अल्लाह के धर्म के प्रतीकों (जैसे क़ुर्बानी के जानवर और हज्ज के अनुष्ठानों आदि) का सम्मान करता है, तो उनका सम्मान इस बात का प्रमाण है कि दिलों में अल्लाह का तक़वा (भय) है। info
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33 : 22

لَكُمْ فِیْهَا مَنَافِعُ اِلٰۤی اَجَلٍ مُّسَمًّی ثُمَّ مَحِلُّهَاۤ اِلَی الْبَیْتِ الْعَتِیْقِ ۟۠

तुम्हारे लिए उन क़ुर्बानी के जानवरों में, जिन्हें तुम काबा के पास ज़बह करते हो, कई लाभ हैं, जैसे कि सवारी, ऊन, नस्ल की बढ़ोतरी और दूध आदि। एक विशिष्ट अवधि के लिए है, जो अल्लाह के उस घर के पास ज़बह करने के समय के साथ निर्धारित है, जिसे अल्लाह ने दमन करने वाले शासकों के प्रभुत्व से मुक्त रखा रखा है। info
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34 : 22

وَلِكُلِّ اُمَّةٍ جَعَلْنَا مَنْسَكًا لِّیَذْكُرُوا اسْمَ اللّٰهِ عَلٰی مَا رَزَقَهُمْ مِّنْ بَهِیْمَةِ الْاَنْعَامِ ؕ— فَاِلٰهُكُمْ اِلٰهٌ وَّاحِدٌ فَلَهٗۤ اَسْلِمُوْا ؕ— وَبَشِّرِ الْمُخْبِتِیْنَ ۟ۙ

और हमने गुज़रे हुए हर समुदाय के लिए अल्लाह को अर्पण के रूप में खून बहाने के लिए एक अनुष्ठान निर्धारित किया है, इस आशा में कि वे उन बलिदानों को ज़बह करते समय इस बात पर अल्लाह का शुक्रिया अदा करते हुए उसका नाम लें कि उसने उन्हें ऊँट, गाय और भेड़-बकरी आदि चौपाए प्रदान किए। तो (ऐ लोगो!) तुम्हारा पूज्य एक ही पूज्य है, जिसका कोई साझी नहीं। इसलिए अकेले उसी के अधीन रहो और उसके आदेशानुसार चलो। और (ऐ रसूल!) अपने रब के आगे झुकने वालों और केवल उसी की पूजा करने वालों को उस चीज़ की सूचना दे दें, जो उन्हें खुश करने वाली है। info
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35 : 22

الَّذِیْنَ اِذَا ذُكِرَ اللّٰهُ وَجِلَتْ قُلُوْبُهُمْ وَالصّٰبِرِیْنَ عَلٰی مَاۤ اَصَابَهُمْ وَالْمُقِیْمِی الصَّلٰوةِ ۙ— وَمِمَّا رَزَقْنٰهُمْ یُنْفِقُوْنَ ۟

जिनका हाल यह है कि जब अल्लाह का नाम लिया जाता है, तो उसकी सज़ा से भयभीत होकर उसके आदेश का उल्लंघन करने से बचते हैं, और यदि उनपर कोई विपत्ति आती है तो वे धैर्य रखते हैं, तथा पूर्ण रूप से नमाज़ पढ़ते हैं, और अल्लाह के दिए धन से नेकी के कार्यों पर खर्च करते हैं। info
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36 : 22

وَالْبُدْنَ جَعَلْنٰهَا لَكُمْ مِّنْ شَعَآىِٕرِ اللّٰهِ لَكُمْ فِیْهَا خَیْرٌ ۖۗ— فَاذْكُرُوا اسْمَ اللّٰهِ عَلَیْهَا صَوَآفَّ ۚ— فَاِذَا وَجَبَتْ جُنُوْبُهَا فَكُلُوْا مِنْهَا وَاَطْعِمُوا الْقَانِعَ وَالْمُعْتَرَّ ؕ— كَذٰلِكَ سَخَّرْنٰهَا لَكُمْ لَعَلَّكُمْ تَشْكُرُوْنَ ۟

हमने उन क़ुर्बानी के ऊँटों और गायों को, जिन्हें अल्लाह के घर की तरफ़ ले जाया जाता है, तुम्हारे लिए धर्म के अनुष्ठानों और प्रतीकों में से बनाया है। उनके अंदर तुम्हारे लिए धार्मिक और सांसारिक लाभ हैं। अतः उन्हें ज़बह करते समय (बिस्मिल्लाह) कहो, जबकि तीन टाँगों के बल खड़ा करके एक अगली टाँग बाँधी हुई हो, ताकि भाग न सकें। फिर जब ज़बह करने के बाद अपने पहलू के बल लेट जाएँ, तो (ऐ क़ुर्बानी करने वालो !) उनका मांस खुद खाओ और उस निर्धन को दो, जो माँगने से बचता है और उस निर्धन को भी दो, जो माँगता है। जिस तरह हमने उन्हें तुम्हारे वश में कर दिया है, ताकि तुम उनके ऊपर सामान लादो और उनकी सवारी करो, उसी तरह हमने उन्हें तुम्हारे वश में कर दिया है कि वहाँ तक चले जाते हैं, जहाँ तुम उन्हें अल्लाह की निकटता प्राप्त करने के लिए ज़बह करते हो। ताकि तुम उन्हें तुम्हारे वश में करने की इस नेमत पर अल्लाह का शुक्रिया अदा करो। info
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37 : 22

لَنْ یَّنَالَ اللّٰهَ لُحُوْمُهَا وَلَا دِمَآؤُهَا وَلٰكِنْ یَّنَالُهُ التَّقْوٰی مِنْكُمْ ؕ— كَذٰلِكَ سَخَّرَهَا لَكُمْ لِتُكَبِّرُوا اللّٰهَ عَلٰی مَا هَدٰىكُمْ ؕ— وَبَشِّرِ الْمُحْسِنِیْنَ ۟

तुम्हारे क़ुर्बानी किए हुए जानवरों का मांस या रक्त अल्लाह के पास हरगिज़ नहीं पहुँचेगा। और न हीं उन्हें उस तक पहुँचाया जाएगा। लेकिन उसके पास तुम्हारा उनके बारे में अल्लाह से डरना पहुँचाया जाएगा; इस प्रकार कि तुम उन्हें केवल अल्लाह की निकटता प्राप्त करने के लिए ज़बह करो। इसी तरह, अल्लाह ने उन्हें तुम्हारे वश में कर दिया है, ताकि तुम सत्य मार्ग दिखाने पर अल्लाह का शुक्रिया अदा करते हुए उसकी महिमा का गान करो। और (ऐ रसूल!) उन लोगों को खुशख़बरी दे दें, जो अच्छी तरह अल्लाह की इबादत करते हैं और उसकी मख़लूक़ के साथ अच्छा व्यवहार करते हैं। info
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38 : 22

اِنَّ اللّٰهَ یُدٰفِعُ عَنِ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا ؕ— اِنَّ اللّٰهَ لَا یُحِبُّ كُلَّ خَوَّانٍ كَفُوْرٍ ۟۠

निःसंदेह अल्लाह ईमान वालों को उनके दुश्मनों की बुराई से बचाता है। निश्चय अल्लाह हर उस व्यक्ति से प्रेम नहीं करता, जो अमानत में ख़ियानत करने वाला और अल्लाह की नेमतों की नाशुक्री करने वाला हो। चुनाँचे वह उसका शुक्रिया अदा न करता हो, बल्कि उससे घृणा करता हो। info
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• ضَرْب المثل لتقريب الصور المعنوية بجعلها في ثوب حسي، مقصد تربوي عظيم.
• अभौतिक चीज़ों को स्पष्ट करने के लिए उदाहरण देकर उन्हें भौतिक रूप में प्रस्तुत करना, एक महान शैक्षिक उद्देश्य है। info

• فضل التواضع.
• विनम्रता का गुण एवं श्रेष्ठता। info

• الإحسان سبب للسعادة.
• सत्कर्म करना सौभाग्य का कारण है। info

• الإيمان سبب لدفاع الله عن العبد ورعايته له.
• ईमान अल्लाह का बंदे की रक्षा और उसकी देखभाल का एक कारण है। info