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24 : 22

وَهُدُوْۤا اِلَی الطَّیِّبِ مِنَ الْقَوْلِ ۖۗۚ— وَهُدُوْۤا اِلٰی صِرَاطِ الْحَمِیْدِ ۟

तथा अल्लाह ने उन्हें इस सांसारिक जीवन में पवित्र बातों का मार्ग दिखाया, जैसे इस बात की गवाही देना कि अल्लाह के सिवा कोई पूज्य नहीं है, अल्लाह की बड़ाई बयान करना और उसकी प्रशंसा करना। तथा उन्हें इस्लाम के प्रशंसित मार्ग का मार्गदर्शन किया। info
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25 : 22

اِنَّ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا وَیَصُدُّوْنَ عَنْ سَبِیْلِ اللّٰهِ وَالْمَسْجِدِ الْحَرَامِ الَّذِیْ جَعَلْنٰهُ لِلنَّاسِ سَوَآءَ ١لْعَاكِفُ فِیْهِ وَالْبَادِ ؕ— وَمَنْ یُّرِدْ فِیْهِ بِاِلْحَادٍ بِظُلْمٍ نُّذِقْهُ مِنْ عَذَابٍ اَلِیْمٍ ۟۠

निश्चय जिन लोगों ने अल्लाह के साथ कुफ़्र किया और दूसरे लोगों को इस्लाम ग्रहण करने से रोकते हैं, और लोगों को मस्जिदे हराम से रोकते हैं, जैसा कि मुश्रिकों ने हुदैबिया के वर्ष किया, तो हम उन्हें दर्दनाक यातना चखाएँगे। वह मस्जिद जिसे हमने लोगों के लिए उनकी नमाज़ में क़िबला, तथा हज्ज और उम्रा के अनुष्ठानों में से एक अनुष्ठान बनाया है, उसमें मक्के में रहने वाले उसके निवासी और मक्के के अलावा दूसरे स्थानों से आने वाले (ग़ैर मक्कावासी) सब बराबर हैं। और जो भी वहाँ जानबूझकर किसी गुनाह का कार्य करके सत्य से हटने का इरादा करेगा, हम उसे दर्दनाक यातना चखाएँगे। info
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26 : 22

وَاِذْ بَوَّاْنَا لِاِبْرٰهِیْمَ مَكَانَ الْبَیْتِ اَنْ لَّا تُشْرِكْ بِیْ شَیْـًٔا وَّطَهِّرْ بَیْتِیَ لِلطَّآىِٕفِیْنَ وَالْقَآىِٕمِیْنَ وَالرُّكَّعِ السُّجُوْدِ ۟

और (ऐ रसूल) उस समय को याद करें, जब हमने इबराहीम अलैहिस्सलाम को काबा का स्थान और उसकी सीमाएँ बता दीं, जबकि वह अज्ञात था। और हमने उनकी ओर वह़्य भेजी कि मेरी इबादत में किसी को साझी न बनाना, बल्कि केवल मेरी ही इबादत करना और मेरे घर को उसका तवाफ़ करने वालों और उसमें नमाज़ पढ़ने वालों के लिए नज़र आने वाली और नज़र न आने वाली (ज़ाहिरी व बातिनी) अशुद्धियों से पवित्र रखना। info
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27 : 22

وَاَذِّنْ فِی النَّاسِ بِالْحَجِّ یَاْتُوْكَ رِجَالًا وَّعَلٰی كُلِّ ضَامِرٍ یَّاْتِیْنَ مِنْ كُلِّ فَجٍّ عَمِیْقٍ ۟ۙ

और लोगों को इस घर के हज्ज की ओर बुलाते हुए घोषणा कर दें, जिसे हमने आपको बनाने का आदेश दिया है; वे आपके पास पैदल या ऐसे ऊँटों पर सवार होकर चले आएँगे, जो लंबी दूरी तय करने के कारण कमज़ोर हो चुके होंगे, ऊँट उन्हें अपने ऊपर सवार करके हर दूर-दराज़ रास्ते से ले आएँगे। info
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28 : 22

لِّیَشْهَدُوْا مَنَافِعَ لَهُمْ وَیَذْكُرُوا اسْمَ اللّٰهِ فِیْۤ اَیَّامٍ مَّعْلُوْمٰتٍ عَلٰی مَا رَزَقَهُمْ مِّنْ بَهِیْمَةِ الْاَنْعَامِ ۚ— فَكُلُوْا مِنْهَا وَاَطْعِمُوا الْبَآىِٕسَ الْفَقِیْرَ ۟ؗ

ताकि वे उन लाभों को प्राप्त करने के लिए हाज़िर हों, जो उन्हें मिलने वाले हैं, जैसे गुनाहों की माफ़ी, सवाब की प्राप्ति और मुसलमानों के अंदर एकता पैदा करना आदि, और ताकि वे ज्ञात दिनों अर्थात : ज़ुल-हिज्जा की दसवीं तारीख़ और उसके बाद के तीन दिनों में जो 'हदी' (क़ुर्बानी के जानवर) ज़बह करते हैं, उनपर अल्लाह का नाम लें, उसपर अल्लाह का शुक्रिया अदा करते हुए जो उसने उन्हें ऊँट, गाय और भेड़-बकरी जैसे चौपाए प्रदान किए। तो तुम इन 'हदी' के जानवरों का मांस खुद खाओ और सख्त निर्धनों को खिलाओ। info
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29 : 22

ثُمَّ لْیَقْضُوْا تَفَثَهُمْ وَلْیُوْفُوْا نُذُوْرَهُمْ وَلْیَطَّوَّفُوْا بِالْبَیْتِ الْعَتِیْقِ ۟

फिर वे अपने हज्ज के शेष अनुष्ठानों को पूरा करें, तथा अपने सिर मुंडवाकर और अपने नाखूनों को काटकर और एहराम के कारण अपने शरीर पर जमी गंदगी को हटाकर हलाल हो जाएँ। फिर वे हज्ज या उम्रा या क़ुर्बानी की अपनी मानी हुई मन्नत पूरी करें, और उस घर का तवाफ़े-इफ़ाज़ा करें, जिसे अल्लाह ने दमन करने वाले शासकों के प्रभुत्व से मुक्त रखा है। info
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30 : 22

ذٰلِكَ ۗ— وَمَنْ یُّعَظِّمْ حُرُمٰتِ اللّٰهِ فَهُوَ خَیْرٌ لَّهٗ عِنْدَ رَبِّهٖ ؕ— وَاُحِلَّتْ لَكُمُ الْاَنْعَامُ اِلَّا مَا یُتْلٰی عَلَیْكُمْ فَاجْتَنِبُوا الرِّجْسَ مِنَ الْاَوْثَانِ وَاجْتَنِبُوْا قَوْلَ الزُّوْرِ ۟ۙ

ये जो तुम्हें आदेश दिए गए हैं (जैसे सिर मुंडवाना, नाखून काटना और मैल-कुचैल दूर करना, मन्नत पूरी करना और का'बा का तवाफ़ करना), इन्हें अल्लाह ने तुमपर अनिवार्य किया है। अतः अल्लाह की अनिवार्य की हुई चीज़ों का सम्मान करो। और जो व्यक्ति अपने एहराम की स्थिति में उन चीज़ों से बचता है जिनसे बचने का अल्लाह ने उसे आदेश दिया है; अल्लाह की सीमाओं का सम्मान करते हुए उनका उल्लंघन करने और उसके निषेधों को हलाल ठहराने से बचता है, तो यह उसके लिए उसके रब के पास दुनिया एवं आख़िरत में बेहतर है। और (ऐ लोगो!) तुम्हारे लिए चौपायों अर्थात ऊँट, गाय और भेड़-बकरी को हलाल किया गया है। चुनाँचे उनमें से तुम्हारे लिए 'हामी', 'बहीरा' और 'वसीला' आदि जानवरों को हराम नहीं किया है। उनमें से केवल वही हराम किया है, जिनका वर्णन तुम क़ुरआन में पाते हो, जैसे मरे हुए जानवर और बहते रक्त आदि का हराम होना। इसलिए गंदगी अर्थात् मूर्तियों से बचो, और हर असत्य बात से बचो, जिसे अल्लाह या उसकी मख़लूक की ओर झूठे तौर पर मनसूब कर दिया गया हो। info
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• حرمة البيت الحرام تقتضي الاحتياط من المعاصي فيه أكثر من غيره.
• अल्लाह के पवित्र घर काबा का सम्मान करते हुए और जगहों की तुलना में वहाँ गुनाहों से और अधिक बचना चाहिए। info

• بيت الله الحرام مهوى أفئدة المؤمنين في كل زمان ومكان.
• अल्लाह का पवित्र घर काबा, हर समय और स्थान में मोमिनों के दिलों का आश्रय (शरणस्थान) है। info

• منافع الحج عائدة إلى الناس سواء الدنيوية أو الأخروية.
• हज्ज के लाभ, लोगों ही को प्राप्त होते हैं, चाहे लोक में हों या परलोक में। info

• شكر النعم يقتضي العطف على الضعفاء.
• नेमतों का शुक्रिया अदा करने के लिए कमज़ोरों के प्रति सहानुभूति की आवश्यकता होती है। info