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55 : 16

لِیَكْفُرُوْا بِمَاۤ اٰتَیْنٰهُمْ ؕ— فَتَمَتَّعُوْا ۫— فَسَوْفَ تَعْلَمُوْنَ ۟

अल्लाह के साथ साझी ठहराने के कारण वे अपने ऊपर अल्लाह की नेमतों - जिनमें कष्ट दूर करना भी शामिल है - की नाशुक्री करने लगे। इसीलिए उनसे कहा गया : तुम जिन नेमतों में हो उनसे थोड़ा लाभ उठा लो, यहाँ तक कि अल्लाह का तत्काल और विलंबित अज़ाब आ जाए। info
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56 : 16

وَیَجْعَلُوْنَ لِمَا لَا یَعْلَمُوْنَ نَصِیْبًا مِّمَّا رَزَقْنٰهُمْ ؕ— تَاللّٰهِ لَتُسْـَٔلُنَّ عَمَّا كُنْتُمْ تَفْتَرُوْنَ ۟

और मुश्रिक लोग हमारे दिए हुए अपने धनों में से एक भाग अपनी उन मूर्तियों के लिए भी निर्धारित करते हैं, जो कुछ नहीं जानती हैं (क्योंकि वे निर्जीव चीज़ें हैं, और न ही वे लाभ या हानि पहुँचाने का अधिकार रखती हैं), वे इसके द्वारा उनकी निकटता प्राप्त करना चाहते हैं। अल्लाह की क़सम! (ऐ मुश्रिको!) तुमसे क़ियामत के दिन तुम्हारे इस दावे के बारे में ज़रूर पूछा जाएगा कि ये मूर्तियाँ पूज्य हैं और यह कि तुम्हारे धन में उनका भी एक हिस्सा है। info
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57 : 16

وَیَجْعَلُوْنَ لِلّٰهِ الْبَنٰتِ سُبْحٰنَهٗ ۙ— وَلَهُمْ مَّا یَشْتَهُوْنَ ۟

बहुदेववादी लोग अल्लाह के लिए बेटियाँ ठहराते हैं और यह विश्वास रखते हैं कि अल्लाह की बेटियाँ फ़रिश्ते हैं। वह अल्लाह के लिए वह कुछ चुनते हैं, जिसे अपने लिए पसंद नहीं करते। उनके इस कृत्य से अल्लाह पवित्र एवं पाक है। दूसरी तरफ़ वे खुद अपने लिए बेटों का होना पसंद करते हैं। तो इससे बड़ा पाप और क्या हो सकता है?! info
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58 : 16

وَاِذَا بُشِّرَ اَحَدُهُمْ بِالْاُ ظَلَّ وَجْهُهٗ مُسْوَدًّا وَّهُوَ كَظِیْمٌ ۟ۚ

और जब इन मुश्रिकों में से किसी को लड़की पैदा होने की शुभ सूचना दी जाती है, तो यह ख़बर उसपर इतनी नागवार गुज़रती है कि उसका चेहरा काला पड़ जाता है, तथा उसका दिल शोक और दुख से भर जाता है। फिर वह अल्लाह की ओर उस चीज़ की निस्बत करता है, जिसे अपने लिए पसंद नहीं करता! info
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59 : 16

یَتَوَارٰی مِنَ الْقَوْمِ مِنْ سُوْٓءِ مَا بُشِّرَ بِهٖ ؕ— اَیُمْسِكُهٗ عَلٰی هُوْنٍ اَمْ یَدُسُّهٗ فِی التُّرَابِ ؕ— اَلَا سَآءَ مَا یَحْكُمُوْنَ ۟

बेटी पैदा होने की सूचना उसे इतनी बुरी लगती है कि लोगों से छिपता फिरता है। वह दिल ही दिल में सोचता है कि क्या इस नवजात को अपमान और दीनता के साथ अपने पास रखे या उसे ज़िंदा धरती में गाड़ दे? कितना बुरा निर्णय है, जो बहुदेववादी करते हैं कि अपने पालनहार के लिए वह कुछ ठहराते हैं, जिसे अपने लिए नापसंद करते हैं। info
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60 : 16

لِلَّذِیْنَ لَا یُؤْمِنُوْنَ بِالْاٰخِرَةِ مَثَلُ السَّوْءِ ۚ— وَلِلّٰهِ الْمَثَلُ الْاَعْلٰی ؕ— وَهُوَ الْعَزِیْزُ الْحَكِیْمُ ۟۠

आख़िरत पर विश्वास न रखने वाले काफ़िरों की बुरी विशेषता है, जैसे- बच्चे की आवश्यकता, अज्ञानता और कुफ़्र आदि। जबकि अल्लाह के प्रताप, पूर्णता, संपन्नता, बेनियाज़ी और ज्ञान जैसे उच्चतम प्रशंसनीय गुण हैं। वह पवित्र अल्लाह अपने राज्य में प्रभुत्वशाली है, उसपर किसी का ज़ोर नहीं चलता। अपनी रचना, प्रबंधन और क़ानूनसाज़ी में हिकमत वाला है। info
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61 : 16

وَلَوْ یُؤَاخِذُ اللّٰهُ النَّاسَ بِظُلْمِهِمْ مَّا تَرَكَ عَلَیْهَا مِنْ دَآبَّةٍ وَّلٰكِنْ یُّؤَخِّرُهُمْ اِلٰۤی اَجَلٍ مُّسَمًّی ۚ— فَاِذَا جَآءَ اَجَلُهُمْ لَا یَسْتَاْخِرُوْنَ سَاعَةً وَّلَا یَسْتَقْدِمُوْنَ ۟

यदि अल्लाह लोगों को उनके अत्याचार और क़ुफ़्र के कारण दंडित करने लगे, तो धरती पर चलने वाले किसी मनुष्य या जानवर को न छोड़े। लेकिन वह महिमावान उन्हें अपने ज्ञान में निर्दिष्ट एक समय के लिए विलंबित कर देता है। फिर जब उसके ज्ञान में निर्दिष्ट वह समय आ जाता है, तो वे थोड़े समय के लिए भी न पीछे रहते हैं और न आगे बढ़ते हैं। info
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62 : 16

وَیَجْعَلُوْنَ لِلّٰهِ مَا یَكْرَهُوْنَ وَتَصِفُ اَلْسِنَتُهُمُ الْكَذِبَ اَنَّ لَهُمُ الْحُسْنٰی ؕ— لَا جَرَمَ اَنَّ لَهُمُ النَّارَ وَاَنَّهُمْ مُّفْرَطُوْنَ ۟

वे अल्लाह के लिए बेटियाँ ठहराते हैं, जिन्हें अपने लिए पसंद नहीं करते। और उनकी ज़बानें झूठ बोलती हैं कि यदि वे पुनः जीवित किए भी गए, जैसा कि मुसलमानों का दावा है, तो उनके लिए अल्लाह के पास सबसे अच्छी स्थिति होगी। जबकि सच्चाई यह है कि जहन्नम उन्हीं के लिए है। वे उसमें छोड़ दिए जाएँगे, उससे बाहर कभी नहीं निकलेंगे। info
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63 : 16

تَاللّٰهِ لَقَدْ اَرْسَلْنَاۤ اِلٰۤی اُمَمٍ مِّنْ قَبْلِكَ فَزَیَّنَ لَهُمُ الشَّیْطٰنُ اَعْمَالَهُمْ فَهُوَ وَلِیُّهُمُ الْیَوْمَ وَلَهُمْ عَذَابٌ اَلِیْمٌ ۟

अल्लाह की क़सम! (ऐ रसूल) हमने आपके पहले के समुदायों की ओर भी रसूल भेजे थे। तो शैतान ने उनके शिर्क, कुफ़्र और अवज्ञा जैसे बुरे कार्यों को उनके लिए सुंदर बना दिया। तो वही क़ियामत के दिन उनका तथाकथित सहायक है। इसलिए वे उसी से मदद माँगें। और उनके लिए क़ियामत के दिन दर्दनाक यातना है। info
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64 : 16

وَمَاۤ اَنْزَلْنَا عَلَیْكَ الْكِتٰبَ اِلَّا لِتُبَیِّنَ لَهُمُ الَّذِی اخْتَلَفُوْا فِیْهِ ۙ— وَهُدًی وَّرَحْمَةً لِّقَوْمٍ یُّؤْمِنُوْنَ ۟

और (ऐ रसूल!) हमने आप पर यह क़ुरआन इसलिए उतारा है, ताकि आप सभी लोगों के लिए एकेश्वरवाद, मरणोपरांत पुनर्जीवन और शरीयत के अहकाम खोल-खोलकर बयान कर दें, जिनमें उन्होंने मतभेद किया है। और इसलिए कि यह क़ुरआन अल्लाह और उसके रसूलों पर तथा क़ुरआन की लाई हुए बातों पर ईमान रखने वालों के लिए मार्गदर्शक और दया बन जाए। क्योंकि वही सत्य से लाभ उठाने वाले हैं। info
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ក្នុង​ចំណោម​អត្ថប្រយោជន៍​នៃអាយ៉ាត់ទាំងនេះក្នុងទំព័រនេះ:
• من جهالات المشركين: نسبة البنات إلى الله تعالى، ونسبة البنين لأنفسهم، وأَنفَتُهم من البنات، وتغيّر وجوههم حزنًا وغمَّا بالبنت، واستخفاء الواحد منهم وتغيبه عن مواجهة القوم من شدّة الحزن وسوء الخزي والعار والحياء الذي يلحقه بسبب البنت.
• बहुदेववादियों की अज्ञानता में से : लड़कियों की निस्बत अल्लाह की ओर करना और लड़कों कि निस्बत अपनी ओर करना, लड़कियों की निस्बत से अपने आपको ऊँचा समझना और लड़की के कारण दुःख और शोक से उनके चेहरों का रंग बदल जाना, तथा लड़की की वजह से इतना दुःख, अपमान, शर्म और लज्जा महसूस करना कि लोगों का सामना करने से कतराना। info

• من سنن الله إمهال الكفار وعدم معاجلتهم بالعقوبة ليترك الفرصة لهم للإيمان والتوبة.
• अल्लाह का नियम यह रहा है कि वह काफ़िरों को ढील देता है और उन्हें सज़ा देने में जल्दी नहीं करता। ताकि उन्हें ईमान और अल्लाह की ओर लौटने का अवसर मिल सके। info

• مهمة النبي صلى الله عليه وسلم الكبرى هي تبيان ما جاء في القرآن، وبيان ما اختلف فيه أهل الملل والأهواء من الدين والأحكام، فتقوم الحجة عليهم ببيانه.
• नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का सबसे बड़ा कार्य क़ुरआन में जो आया है उसकी व्याख्या करना, तथा विभिन्न संप्रदायों और इच्छाओं का पालन करने वालों ने धर्म और नियमों से संबंधित जिन बातों में मतभेद किया है, उनके बारे में सत्य को स्पष्ट करना था। इसलिए आपके स्पष्टीकरण से उनके खिलाफ तर्क स्थापित हो जाता है। info