કુરઆન મજીદના શબ્દોનું ભાષાંતર - હિન્દી ભાષામાં અલ્ મુખતસર ફી તફસીરિલ્ કુરઆનીલ્ કરીમ કિતાબનું અનુવાદ

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26 : 8

وَاذْكُرُوْۤا اِذْ اَنْتُمْ قَلِیْلٌ مُّسْتَضْعَفُوْنَ فِی الْاَرْضِ تَخَافُوْنَ اَنْ یَّتَخَطَّفَكُمُ النَّاسُ فَاٰوٰىكُمْ وَاَیَّدَكُمْ بِنَصْرِهٖ وَرَزَقَكُمْ مِّنَ الطَّیِّبٰتِ لَعَلَّكُمْ تَشْكُرُوْنَ ۟

तथा (ऐ ईमान वालो!) उस समय को याद करो, जब तुम मक्का में बहुत कम संख्या में थे, मक्का वाले तुम्हें कमज़ोर समझे हुए थे और तुम्हें दबाए हुए थे। तुम्हें डर था कि तुम्हारे दुश्मन तुम्हें उचक ले जाएँगे। तो अल्लाह ने तुम्हें मदीना के रूप में एक शरण स्थल दिया और युद्ध के स्थानों में तुम्हारे दुश्मनों पर तुम्हें विजय प्रदान करके तुम्हें शक्ति प्रदान की, जैसे कि बद्र के दिन हुआ, और तुम्हें पवित्र चीज़ों से जीविका प्रदान की, जिनमें युद्ध के मैदान में तुम्हारे शत्रुओं से प्राप्त किया हुआ ग़नीमत का धन भी शामिल है, ताकि तुम अल्लाह की नेमतों का शुक्रिया अदा करो, जिसके कारण वह तुम्हें और नेमतें प्रदान करेगा, तथा उनकी नाशुक्री न करो कि अल्लाह तुमसे वे नेमतें छीन ले और तुम्हें यातना से ग्रस्त कर दे। info
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27 : 8

یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا لَا تَخُوْنُوا اللّٰهَ وَالرَّسُوْلَ وَتَخُوْنُوْۤا اَمٰنٰتِكُمْ وَاَنْتُمْ تَعْلَمُوْنَ ۟

ऐ अल्लाह पर ईमान रखने और उसके रसूल का अनुसरण करने वालो! अल्लाह और उसके रसूल के साथ, उनके आदेशों का पालन न करके और उनके निषेधों से न बचकर, विश्वासघात न करो, तथा तुम्हारे पास जो अमानत रखी जाए उसमें ख़यानत न करो, जबकि तुम जान रहे हो कि तुम्हारा यह काम ख़यानत है, अन्यथा तुम ख़यानत करने वालों में से हो जाओगे। info
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28 : 8

وَاعْلَمُوْۤا اَنَّمَاۤ اَمْوَالُكُمْ وَاَوْلَادُكُمْ فِتْنَةٌ ۙ— وَّاَنَّ اللّٰهَ عِنْدَهٗۤ اَجْرٌ عَظِیْمٌ ۟۠

और (ऐ ईमान वालो!) जान लो कि तुम्हारे धन और तुम्हारी संतान तुम्हारे लिए अल्लाह की ओर से आज़माइश और परीक्षण हैं। क्योंकि ये चीज़ें तुम्हें आख़िरत के लिए कार्य करने से रोक सकती हैं और तुम्हें ख़यानत पर आमादा कर सकती हैं। तथा जान लो कि अल्लाह के पास बहुत बड़ा सवाब है। अतः अपने धन और अपने बच्चों को ध्यान में रखकर और उनकी खातिर ख़यानत करके, यह सवाब अपने हाथ से न जाने दो। info
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29 : 8

یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْۤا اِنْ تَتَّقُوا اللّٰهَ یَجْعَلْ لَّكُمْ فُرْقَانًا وَّیُكَفِّرْ عَنْكُمْ سَیِّاٰتِكُمْ وَیَغْفِرْ لَكُمْ ؕ— وَاللّٰهُ ذُو الْفَضْلِ الْعَظِیْمِ ۟

ऐ अल्लाह पर ईमान रखने और उसके रसूल का अनुसरण करने वालो! जान लो कि अगर तुम अल्लाह से, उसके आदेशों का पालन करके और उसके निषेधों से बचकर, डरोगे, तो वह तुम्हें सत्य और असत्य के बीच अंतर करने की शक्ति प्रदान करेगा, जिससे तुम्हारे लिए दोनों गड्ड-मड्ड नहीं होंगे। तथा जो कुछ तुमने बुरे कार्य किए होंगे, वह उन्हें तुमसे मिटा देगा और तुम्हारे पापों को क्षमा कर देगा। और अल्लाह बहुत बड़े अनुग्रह वाला है। और उसका एक बड़ा अनुग्रह उसकी जन्नत है, जिसे उसने अपने डरने वाले बंदों के लिए तैयार की है। info
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30 : 8

وَاِذْ یَمْكُرُ بِكَ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا لِیُثْبِتُوْكَ اَوْ یَقْتُلُوْكَ اَوْ یُخْرِجُوْكَ ؕ— وَیَمْكُرُوْنَ وَیَمْكُرُ اللّٰهُ ؕ— وَاللّٰهُ خَیْرُ الْمٰكِرِیْنَ ۟

और (ऐ रसूल) उस समय को याद करें, जब सब मुश्रिकों ने मिलकर आपको क़ैद करने, मार डालने या अपने नगर से किसी और नगर की ओर निकाल देने का षड्यंत्र किया। वे आपके विरुद्ध षड्यंत्र कर रहे थे और अल्लाह उनके षड्यंत्र को उन्हीं पर लौटा रहा था तथा उससे आपोक बचाने का उपाय कर रहा था और अल्लाह ही सबसे अत्तम उपाय करने वाला है। info
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31 : 8

وَاِذَا تُتْلٰی عَلَیْهِمْ اٰیٰتُنَا قَالُوْا قَدْ سَمِعْنَا لَوْ نَشَآءُ لَقُلْنَا مِثْلَ هٰذَاۤ ۙ— اِنْ هٰذَاۤ اِلَّاۤ اَسَاطِیْرُ الْاَوَّلِیْنَ ۟

और जब उनके सामने हमारी आयतें पढ़ी जाती हैं, तो वे सत्य से वैर और अहंकार के कारण कहते हैं : हमने पहले भी ऐसा कुछ सुना है। अगर हम इस क़ुरआन जैसा कहना चाहें, तो निश्चय हम कह सकते हैं। यह क़ुरआन जो हमने सुना है, पहले लोगों की झूठी कहानियों के सिवा कुछ नहीं है। इसलिए हम इसपर हरगिज़ विश्वास नहीं करेंगे। info
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32 : 8

وَاِذْ قَالُوا اللّٰهُمَّ اِنْ كَانَ هٰذَا هُوَ الْحَقَّ مِنْ عِنْدِكَ فَاَمْطِرْ عَلَیْنَا حِجَارَةً مِّنَ السَّمَآءِ اَوِ ائْتِنَا بِعَذَابٍ اَلِیْمٍ ۟

और (ऐ रसूल!) उस समय को याद करें, जब बहुदेववादियों ने कहा : ऐ अल्लाह! यदि मुहम्मद का लाया हुआ धर्म सत्य है, तो हमपर आकाश से पत्थर गिरा दे जो हमें नष्ट कर दे, अथवा हमपर कोई गंभीर यातना ले आ। उन्होंने यह बात इनकार में अतिशयोक्ति के तौर पर कही थी। info
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33 : 8

وَمَا كَانَ اللّٰهُ لِیُعَذِّبَهُمْ وَاَنْتَ فِیْهِمْ ؕ— وَمَا كَانَ اللّٰهُ مُعَذِّبَهُمْ وَهُمْ یَسْتَغْفِرُوْنَ ۟

और अल्लाह आपकी उम्मत को (चाहे वह उन लोगों में से हो जिन्होंने आपके निमंत्रण को स्वीकार किया या उन लोगों में से हो जो आपके निमंत्रण को स्वीकार करने के लिए बाध्य हैं), ऐसी यातना से ग्रस्त नहीं करेगा, जो उन्हें जड़ से मिटा दे, जबकि (ऐ मुहम्मद!) आप उनके बीच जीवित मौजूद हैं। क्योंकि उनके बीच आपकी उपस्थिति उनके लिए यातना से सुरक्षा है। तथा अल्लाह उन्हें यातना से ग्रस्त करने वाला नहीं है, जबकि वे अपने पापों के लिए अल्लाह से क्षमा मांगते हों। info
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આયતોના ફાયદાઓ માંથી:
• الشكر نعمة عظيمة يزيد بها فضل الله تعالى، وينقص عند إغفالها.
• शुक्रिया अदा करना एक बहुत बड़ी नेमत है, जिससे अल्लाह का अनुग्रह बढ़ता है और उसकी उपेक्षा करने पर यह घट जाता है। info

• للأمانة شأن عظيم في استقامة أحوال المسلمين، ما ثبتوا عليها وتخلقوا بها، وهي دليل نزاهة النفس واعتدال أعمالها.
• मुसलमानों की स्थितियों के ठीक (सुदृढ़) रहने में अमानतदारी का बहुत महत्व है, जब तक वे अमानतदारी पर क़ायम और उससे सुसज्जित हैं। अमानतदारी मन की पवित्रता और उसके कार्यों की शुद्धता का प्रमाण है। info

• ما عند الله من الأجر على كَفِّ النفس عن المنهيات، خير من المنافع الحاصلة عن اقتحام المناهي لأجل الأموال والأولاد.
• अपने आपको निषिद्ध चीज़ों से दूर रखने का अल्लाह के पास जो प्रतिफल है, वह धन और संतान की खातिर निषिद्ध कार्यों को करने से प्राप्त होने वाले लाभों से बेहतर है। info

• في الآيات بيان سفه عقول المعرضين؛ لأنهم لم يقولوا: اللَّهُمَّ إن كان هذا هو الحق من عندك فاهدنا إليه.
• इन आयतों में मुँह फेरने वालों की मूर्खता का उल्लेख है, क्योंकि उन्होंने यह नहीं कहा : ऐ अल्लाह! यदि तेरी ओर से यही सत्य है, तो उसकी ओर हमारा मार्गदर्शन कर। info

• في الآيات فضيلة الاستغفار وبركته، وأنه من موانع وقوع العذاب.
• इन आयतों में क्षमा याचना की फ़ज़ीलत व बरकत तथा इस बात का उल्लेख है कि यह यातना को रोकने वाली चीज़ों में से है। info