Traduction des sens du Noble Coran - La traduction en hindi - 'Azîz Al-Ḥaqq Al-'Amrî

सबा

external-link copy
1 : 34

اَلْحَمْدُ لِلّٰهِ الَّذِیْ لَهٗ مَا فِی السَّمٰوٰتِ وَمَا فِی الْاَرْضِ وَلَهُ الْحَمْدُ فِی الْاٰخِرَةِ ؕ— وَهُوَ الْحَكِیْمُ الْخَبِیْرُ ۟

हर प्रकार की प्रशंसा उस अल्लाह के लिए है, जिसके अधिकार में वह सब कुछ है जो आकाशों में है और जो धरती में है। और आख़िरत (परलोक) में भी उसी के लिए प्रशंसा है और वह पूर्ण हिकमत वाला, सबकी खबर रखने वाला है। info
التفاسير:

external-link copy
2 : 34

یَعْلَمُ مَا یَلِجُ فِی الْاَرْضِ وَمَا یَخْرُجُ مِنْهَا وَمَا یَنْزِلُ مِنَ السَّمَآءِ وَمَا یَعْرُجُ فِیْهَا ؕ— وَهُوَ الرَّحِیْمُ الْغَفُوْرُ ۟

वह जानता है जो कुछ धरती के भीतर प्रवेश होता है और जो कुछ उससे निकलता[1] है, तथा जो कुछ आकाश[2] से उतरता है और जो कुछ उसमें[3] चढ़ता है। तथा वह अत्यंत दयावान्, अति क्षमाशील है। info

1. जैसे वर्षा, कोष और निधि आदि। 2. जैसे वर्षा, ओला, फ़रिश्ते और आकाशीय पुस्तकें आदि। 3. जैसे फ़रिश्ते तथा कर्म।

التفاسير:

external-link copy
3 : 34

وَقَالَ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا لَا تَاْتِیْنَا السَّاعَةُ ؕ— قُلْ بَلٰی وَرَبِّیْ لَتَاْتِیَنَّكُمْ ۙ— عٰلِمِ الْغَیْبِ ۚ— لَا یَعْزُبُ عَنْهُ مِثْقَالُ ذَرَّةٍ فِی السَّمٰوٰتِ وَلَا فِی الْاَرْضِ وَلَاۤ اَصْغَرُ مِنْ ذٰلِكَ وَلَاۤ اَكْبَرُ اِلَّا فِیْ كِتٰبٍ مُّبِیْنٍ ۟ۙ

तथा काफ़िरों ने कहा कि हमपर क़ियामत नहीं आएगी। आप कह दें : क्यों नहीं? मेरे पालनहार की क़सम! जो परोक्ष का जानने वाला है, वह तुमपर अवश्य आएगी। उससे एक कण के बराबर भी कोई चीज़ ओझल नहीं रहती न आकाशों में और न धरती में, तथा न उससे छोटी कोई चीज़ है और न बड़ी, परंतु वह एक स्पष्ट पुस्तक[4] में (अंकित) है। info

4. अर्थात लौह़े मह़्फ़ूज़ (सुरक्षित पुस्तक) में।

التفاسير:

external-link copy
4 : 34

لِّیَجْزِیَ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا وَعَمِلُوا الصّٰلِحٰتِ ؕ— اُولٰٓىِٕكَ لَهُمْ مَّغْفِرَةٌ وَّرِزْقٌ كَرِیْمٌ ۟

ताकि[5] वह उन लोगों को बदला दे, जो ईमान लाए तथा अच्छे कर्म करते रहे। यही लोग हैं जिनके लिए क्षमा तथा सम्मानित जीविका है। info

5. यह प्रलय के होने का कारण है।

التفاسير:

external-link copy
5 : 34

وَالَّذِیْنَ سَعَوْ فِیْۤ اٰیٰتِنَا مُعٰجِزِیْنَ اُولٰٓىِٕكَ لَهُمْ عَذَابٌ مِّنْ رِّجْزٍ اَلِیْمٌ ۟

तथा जिन लोगों ने हमारी आयतों को नीचा दिखाने[6] का प्रयास किया, उन लोगों के लिए कठोर दुःखदायी यातना है। info

6. अर्थात हमारी आयतों से रोकते हैं और समझते हैं कि हम उनको पकड़ने में विवश होंगे।

التفاسير:

external-link copy
6 : 34

وَیَرَی الَّذِیْنَ اُوْتُوا الْعِلْمَ الَّذِیْۤ اُنْزِلَ اِلَیْكَ مِنْ رَّبِّكَ هُوَ الْحَقَّ ۙ— وَیَهْدِیْۤ اِلٰی صِرَاطِ الْعَزِیْزِ الْحَمِیْدِ ۟

तथा जिन लोगों को ज्ञान दिया गया है, वे जानते हैं कि जो कुछ आपपर आपके पालनहार की ओर से उतारा गया है, वही सत्य है, तथा वह सर्व प्रभुत्वशाली, सर्वप्रशंसित (अल्लाह) के मार्ग की ओर ले जाता है। info
التفاسير:

external-link copy
7 : 34

وَقَالَ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا هَلْ نَدُلُّكُمْ عَلٰی رَجُلٍ یُّنَبِّئُكُمْ اِذَا مُزِّقْتُمْ كُلَّ مُمَزَّقٍ ۙ— اِنَّكُمْ لَفِیْ خَلْقٍ جَدِیْدٍ ۟ۚ

तथा जिन लोगों ने इनकार किया, वे कहते हैं कि क्या हम तुम्हें एक ऐसा आदमी बताएँ, जो तुम्हें सूचना देता है कि जब तुम पूर्णतया चूर-चूर कर दिए जाओगे, तो तुम अवश्य एक नई रचना में आओगे? info
التفاسير: