Traduction des sens du Noble Coran - La traduction indienne du Résumé dans l'Exégèse du noble Coran

अ़बस

Parmi les objectifs de la sourate:
تذكير الكافرين المستغنين عن ربهم ببراهين البعث.
अपने पालनहार से बेपरवाह होने वाले काफ़िरों को मरने के बाद पुनर्जीवित करने के प्रमाणों के द्वारा उपदेश करना। info

external-link copy
1 : 80

عَبَسَ وَتَوَلّٰۤی ۟ۙ

रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के माथे पर बल पड़ गया और आपने मुँह फेर लिया। info
التفاسير:

external-link copy
2 : 80

اَنْ جَآءَهُ الْاَعْمٰى ۟ؕ

अब्दुल्लाह बिन उम्मे मकतूम के आगमन के कारण, जो आपसे मार्गदर्शन प्राप्त करना चाहते थे और वह एक अंधे व्यक्ति थे। जब वह आए, तो उस समय रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम मुश्रिकों के प्रमुख लोगों के साथ, उनके मार्गदर्शन स्वीकारने की उम्मीद में, व्यस्त थे। info
التفاسير:

external-link copy
3 : 80

وَمَا یُدْرِیْكَ لَعَلَّهٗ یَزَّ ۟ۙ

और (ऐ रसूल) आपको क्या पता कि शायद यह अंधा आदमी अपने गुनाहों से पवित्र हो जाए?! info
التفاسير:

external-link copy
4 : 80

اَوْ یَذَّكَّرُ فَتَنْفَعَهُ الذِّكْرٰى ۟ؕ

या वह आपसे सुनने वाले उपदेशों से सीख ग्रहण करे, तो उनसे लाभान्वित हो। info
التفاسير:

external-link copy
5 : 80

اَمَّا مَنِ اسْتَغْنٰى ۟ۙ

परंतु जो अपने धन की वजह से आपके लाए हुए धर्म पर ईमान लाने से बेपरवाह हो गया। info
التفاسير:

external-link copy
6 : 80

فَاَنْتَ لَهٗ تَصَدّٰى ۟ؕ

तो आप उसके पीछे पड़ रहे हैं और उसपर ध्यान दे रहे हैं। info
التفاسير:

external-link copy
7 : 80

وَمَا عَلَیْكَ اَلَّا یَزَّكّٰى ۟ؕ

हालाँकि अगर वह अल्लाह से तौबा करके अपने गुनाहों से पाक-साफ़ नहीं होता है, तो आपपर कोई दोष नहीं है। info
التفاسير:

external-link copy
8 : 80

وَاَمَّا مَنْ جَآءَكَ یَسْعٰى ۟ۙ

परंतु जो व्यक्ति भलाई की तलाश में आपके पास दौड़ता हुआ आया। info
التفاسير:

external-link copy
9 : 80

وَهُوَ یَخْشٰى ۟ۙ

और वह अपने पालनहार से डरता है। info
التفاسير:

external-link copy
10 : 80

فَاَنْتَ عَنْهُ تَلَهّٰى ۟ۚ

तो आप उससे बेपरवाह होकर मुश्रिकों के प्रमुख लोगों के साथ व्यस्त हो जाते हैं। info
التفاسير:

external-link copy
11 : 80

كَلَّاۤ اِنَّهَا تَذْكِرَةٌ ۟ۚ

यह मामला ऐसी नहीं है, यह तो स्वीकार करने वाले के लिए एक उपदेश और चेतावनी है। info
التفاسير:

external-link copy
12 : 80

فَمَنْ شَآءَ ذَكَرَهٗ ۟ۘ

अतः जो अल्लाह को याद करना चाहे, उसे याद करे और इस क़ुरआन में जो कुछ है, उससे उपदेश ग्रहण करे। info
التفاسير:

external-link copy
13 : 80

فِیْ صُحُفٍ مُّكَرَّمَةٍ ۟ۙ

यह क़ुरआन फ़रिश्तों के पास सम्मानजनक सहीफ़ों (ग्रंथों) में है। info
التفاسير:

external-link copy
14 : 80

مَّرْفُوْعَةٍ مُّطَهَّرَةٍ ۟ۙ

जो एक उच्च स्थान पर बुलंद किए हुए, पवित्र किए हुए हैं, उन्हें कोई गंदगी या अशुद्धता छू नहीं सकती। info
التفاسير:

external-link copy
15 : 80

بِاَیْدِیْ سَفَرَةٍ ۟ۙ

वे (सहीफ़े) संदेशवाहक-फ़रिश्तों के हाथों में हैं। info
التفاسير:

external-link copy
16 : 80

كِرَامٍ بَرَرَةٍ ۟ؕ

जो अपने पालनहार के निकट सम्माननीय, तथा बहुत ज़्यादा भलाई और नेकियाँ करने वाले हैं। info
التفاسير:

external-link copy
17 : 80

قُتِلَ الْاِنْسَانُ مَاۤ اَكْفَرَهٗ ۟ؕ

धिक्कार है काफिर इनसान पर, वह अल्लाह का कितना कृतघ्न है! info
التفاسير:

external-link copy
18 : 80

مِنْ اَیِّ شَیْءٍ خَلَقَهٗ ۟ؕ

अल्लाह ने उसे किस चीज़ से पैदा किया है कि वह धरती पर अभिमान करता है और उसकी नाशुक्री करता है?! info
التفاسير:

external-link copy
19 : 80

مِنْ نُّطْفَةٍ ؕ— خَلَقَهٗ فَقَدَّرَهٗ ۟ۙ

उसने उसे थोड़े पानी (एक बूँद) से बनाया, और उसकी रचना को कई चरणों में निर्धारित किया। info
التفاسير:

external-link copy
20 : 80

ثُمَّ السَّبِیْلَ یَسَّرَهٗ ۟ۙ

फिर, इन चरणों के बाद, उसके लिए अपनी माँ के पेट से बाहर निकलना आसान कर दिया। info
التفاسير:

external-link copy
21 : 80

ثُمَّ اَمَاتَهٗ فَاَقْبَرَهٗ ۟ۙ

फिर, जीवन में उसके लिए जो आयु निर्धारित की थी, उसके (पूरा होने के) बाद उसे मौत दी, और उसके लिए एक क़ब्र बना दी, जिसमें वह पुनर्जीवित किए जाने तक रहेगा। info
التفاسير:

external-link copy
22 : 80

ثُمَّ اِذَا شَآءَ اَنْشَرَهٗ ۟ؕ

फिर जब वह चाहेगा, उसे हिसाब और बदले के लिए पुनः जीवित करके उठाएगा। info
التفاسير:

external-link copy
23 : 80

كَلَّا لَمَّا یَقْضِ مَاۤ اَمَرَهٗ ۟ؕ

मामला ऐसा नहीं है, जैसा कि यह काफ़िर सोचता है कि उसपर उसके रब का जो हक़ था, उसे अदा कर दिया। वास्तव में, उसने उन दायित्वों को नहीं निभाया, जो अल्लाह ने उसपर अनिवार्य किए हैं। info
التفاسير:

external-link copy
24 : 80

فَلْیَنْظُرِ الْاِنْسَانُ اِلٰى طَعَامِهٖۤ ۟ۙ

अतः अल्लाह के साथ कुफ़्र करने वाले व्यक्ति को चाहिए कि अपने उस भोजन को देखे, जो वह खाता है, कि वह कैसे प्राप्त होता है?! info
التفاسير:

external-link copy
25 : 80

اَنَّا صَبَبْنَا الْمَآءَ صَبًّا ۟ۙ

चुनाँचे उसकी उत्पत्ति आकाश से जमकर और बहुतायत के साथ बरसने वाली वर्षा से हुई है। info
التفاسير:

external-link copy
26 : 80

ثُمَّ شَقَقْنَا الْاَرْضَ شَقًّا ۟ۙ

फिर हमने धरती को फाड़ा, तो उससे कोंपल निकल आया। info
التفاسير:

external-link copy
27 : 80

فَاَنْۢبَتْنَا فِیْهَا حَبًّا ۟ۙ

फिर हमने उसमें गेहूं, मक्का और अन्य अनाज उगाए। info
التفاسير:

external-link copy
28 : 80

وَّعِنَبًا وَّقَضْبًا ۟ۙ

और हमने उसमें अंगूर और हरी घास उगाए, ताकि वह उनके जानवरों के लिए चारा हो जाए। info
التفاسير:

external-link copy
29 : 80

وَّزَیْتُوْنًا وَّنَخْلًا ۟ۙ

और हमने उसमें ज़ैतून और खजूर के पेड़ उगाए। info
التفاسير:

external-link copy
30 : 80

وَّحَدَآىِٕقَ غُلْبًا ۟ۙ

और हमने उसमें बहुत सारे पेड़ों वाले बाग़ उगाए। info
التفاسير:

external-link copy
31 : 80

وَّفَاكِهَةً وَّاَبًّا ۟ۙ

तथा हमने उसमें फल उगाए और तुम्हारे जानवरों के चरने के लिए घास (चारा) उगाए। info
التفاسير:

external-link copy
32 : 80

مَّتَاعًا لَّكُمْ وَلِاَنْعَامِكُمْ ۟ؕ

तुम्हारे लाभ के लिए और तुम्हारे पशुओं के उपयोग के लिए। info
التفاسير:

external-link copy
33 : 80

فَاِذَا جَآءَتِ الصَّآخَّةُ ۟ؗ

फिर जब वह भयानक आवाज़ आ जाएगी, जो कानों को बहरा कर देगी। इससे अभिप्राय सूर में दूसरी फूँक है। info
التفاسير:

external-link copy
34 : 80

یَوْمَ یَفِرُّ الْمَرْءُ مِنْ اَخِیْهِ ۟ۙ

जिस दिन इनसान अपने भाई से दूर भागेगा। info
التفاسير:

external-link copy
35 : 80

وَاُمِّهٖ وَاَبِیْهِ ۟ۙ

तथा वह अपनी माता और अपने पिता से दूर भागेगा। info
التفاسير:

external-link copy
36 : 80

وَصَاحِبَتِهٖ وَبَنِیْهِ ۟ؕ

तथा वह अपनी पत्नी और अपने बेटों से दूर भागेगा। info
التفاسير:

external-link copy
37 : 80

لِكُلِّ امْرِئٍ مِّنْهُمْ یَوْمَىِٕذٍ شَاْنٌ یُّغْنِیْهِ ۟ؕ

उनमें से प्रत्येक व्यक्ति की उस दिन की परेशानी की तीव्रता से ऐसी स्थिति होगी, जो उसे दूसरे से बेपरवाह कर देगी। info
التفاسير:

external-link copy
38 : 80

وُجُوْهٌ یَّوْمَىِٕذٍ مُّسْفِرَةٌ ۟ۙ

उस दिन सौभाग्यशाली लोगों के चेहरे रोशन होंगे। info
التفاسير:

external-link copy
39 : 80

ضَاحِكَةٌ مُّسْتَبْشِرَةٌ ۟ۚ

अल्लाह ने अपनी दया से उनके लिए जो कुछ तैयार कर रखा है, उससे वे खुश होंगे। info
التفاسير:

external-link copy
40 : 80

وَوُجُوْهٌ یَّوْمَىِٕذٍ عَلَیْهَا غَبَرَةٌ ۟ۙ

तथा उस दिन अभागा लोगों के चेहरे धूल से ढके होंगे। info
التفاسير:
Parmi les bénéfices ( méditations ) des versets de cette page:
• عتاب الله نبيَّه في شأن عبد الله بن أم مكتوم دل على أن القرآن من عند الله.
• अब्दुल्लाह बिन उम्मे मकतूम के बारे में अल्लाह के अपने नबी के व्यवहार के प्रति अस्वीकृति अभिव्यक्त करने से पता चलता है कि क़ुरआन अल्लाह की ओर से है। info

• الاهتمام بطالب العلم والمُسْتَرْشِد.
• ज्ञान के साधक और मार्गदर्शन के इच्छुक का ध्यान रखना। info

• شدة أهوال يوم القيامة حيث لا ينشغل المرء إلا بنفسه، حتى الأنبياء يقولون: نفسي نفسي.
• क़ियामत के दिन की भयावहता की तीव्रता, जहाँ हर व्यक्ति को केवल अपनी चिंता होगी, यहाँ तक कि नबीगण भी कह रहे होंगे : मेरा क्या होगा? मेरा क्या होगा? info

external-link copy
41 : 80

تَرْهَقُهَا قَتَرَةٌ ۟ؕ

उनपर कालिख छाई होगी। info
التفاسير:

external-link copy
42 : 80

اُولٰٓىِٕكَ هُمُ الْكَفَرَةُ الْفَجَرَةُ ۟۠

वे लोग जिनकी स्थितियों का वर्णन किया गया है, यही लोग हैं जो कुफ़्र और कुकर्म दोनों करने वाले हैं। info
التفاسير:
Parmi les bénéfices ( méditations ) des versets de cette page:
• حَشْر المرء مع من يماثله في الخير أو الشرّ.
• मनुष्य को क़ियामत के दिन उसके साथ उठाया जाएगा, जो भलाई या बुराई में उसके जैसा होगा। info

• إذا كانت الموءُودة تُسأل فما بالك بالوائد؟ وهذا دليل على عظم الموقف.
• जब जीवित दफ़न कर दी गई बच्ची से पूछा जाएगा, तो फिर जीवित दफ़न करने वाले के साथ क्या होगा? यह उस स्थिति की गंभीरता का प्रमाण है। info

• مشيئة العبد تابعة لمشيئة الله.
• बंदे की इच्छा अल्लाह की इच्छा के अधीन है। info