Traduction des sens du Noble Coran - La traduction indienne du Résumé dans l'Exégèse du noble Coran

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36 : 21

وَاِذَا رَاٰكَ الَّذِیْنَ كَفَرُوْۤا اِنْ یَّتَّخِذُوْنَكَ اِلَّا هُزُوًا ؕ— اَهٰذَا الَّذِیْ یَذْكُرُ اٰلِهَتَكُمْ ۚ— وَهُمْ بِذِكْرِ الرَّحْمٰنِ هُمْ كٰفِرُوْنَ ۟

और (ऐ रसूल!) जब ये मुश्रिक लोग आपको देखते हैं, तो आपका मज़ाक़ उड़ाने लगते हैं और अपने अनुयायियों को यह कहकर आपसे नफ़रत दिलाते हैं कि : क्या यही वह व्यक्ति है, जो तुम्हारे देवताओं को, जिनकी तुम पूजा करते हो, बुरा-भला कहता है?! वे आपका मज़ाक उड़ाने के साथ-साथ उस क़ुरआन का भी इनकार करने वाले हैं, जो अल्लाह ने उनपर अवतरित किया है तथा उन नेमतों की नाशुक्री करते हैं, जो उसने उन्हें प्रदान की हैं। इसलिए वे खुद ही दोष के सबसे अधिक योग्य हैं क्योंकि उनके अंदर हर तरह की बुराई पाई जाती है। info
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37 : 21

خُلِقَ الْاِنْسَانُ مِنْ عَجَلٍ ؕ— سَاُورِیْكُمْ اٰیٰتِیْ فَلَا تَسْتَعْجِلُوْنِ ۟

जल्दबाज़ी मनुष्य की प्रकृित में शामिल है। इसलिए वह चीज़ों के होने से पहले ही उनके लिए जल्दी मचाने लगता है। इसी का एक उदाहरण मुश्रिकों का यातना के लिए जल्दी मचाना है। (ऐ मेरी यातना के लिए जल्दी मचाने वालो!) मैं निकट ही तुम्हें वह चीज़ दिखाऊँगा, जिसके लिए तुमने जल्दी मचाई है। इसलिए उसे जल्दी करने के लिए न कहो। info
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38 : 21

وَیَقُوْلُوْنَ مَتٰی هٰذَا الْوَعْدُ اِنْ كُنْتُمْ صٰدِقِیْنَ ۟

मरणोपरांत दोबारा जीवित होने का इनकार करने वाले जल्दी मचाते हुए कहते हैं : (ऐ मुसलमानो!) यदि तुम अपने इस दावे में सच्चे हो कि हमें मरने के बाद दोबारा जीवित होकर उठना है, तो यह वादा कब पूरा होगा?! info
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39 : 21

لَوْ یَعْلَمُ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا حِیْنَ لَا یَكُفُّوْنَ عَنْ وُّجُوْهِهِمُ النَّارَ وَلَا عَنْ ظُهُوْرِهِمْ وَلَا هُمْ یُنْصَرُوْنَ ۟

अगर मरणोपरांत दोबारा जीवित होने का इनकार करने वाले ये काफ़िर उस समय को जान लेते, जब वे अपने चेहरों और अपनी पीठों से आग को दूर नहीं कर सकेंगे, और यह कि उनका कोई मददगार नहीं होगा, जो उनसे अज़ाब को दूर कर सके। अगर इन्हें इस बात का यक़ीन होता, तो वे अज़ाब की जल्दी न मचाते। info
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40 : 21

بَلْ تَاْتِیْهِمْ بَغْتَةً فَتَبْهَتُهُمْ فَلَا یَسْتَطِیْعُوْنَ رَدَّهَا وَلَا هُمْ یُنْظَرُوْنَ ۟

यह आग, जिसके द्वारा उन्हें अज़ाब दिया जाएगा, इस तरह नहीं आएगी कि उन्हें उसका ज्ञान होगा। बल्कि, यह उनपर अचानक आएगी। इसलिए वे उसे अपने आपसे दूर नहीं कर पाएँगे, और न उन्हें इतनी मोहलत दी जाएगी कि तौबा कर लें और उन्हें अल्लाह की दया प्राप्त हो जाए। info
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41 : 21

وَلَقَدِ اسْتُهْزِئَ بِرُسُلٍ مِّنْ قَبْلِكَ فَحَاقَ بِالَّذِیْنَ سَخِرُوْا مِنْهُمْ مَّا كَانُوْا بِهٖ یَسْتَهْزِءُوْنَ ۟۠

यदि आपकी जाति ने आपका मज़ाक़ उड़ाया है, तो आप इस मामले में कोई अनूठे नहीं हैं। निश्चय (ऐ रसूल!) आपसे पहले भी कई रसूलों का मज़ाक़ उड़ाया गया। तो उन काफ़िरों को जो उनका मज़ाक़ उड़ाते थे, उसी यातना ने घेर लिया, जिसका वे दुनिया में मज़ाक़ उड़ाते थे, जब उनके रसूल उन्हें उससे डराते थे। info
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42 : 21

قُلْ مَنْ یَّكْلَؤُكُمْ بِالَّیْلِ وَالنَّهَارِ مِنَ الرَّحْمٰنِ ؕ— بَلْ هُمْ عَنْ ذِكْرِ رَبِّهِمْ مُّعْرِضُوْنَ ۟

(ऐ रसूल!) इन यातना की जल्दी मचाने वालों से कह दें : वह कौन है जो रात और दिन में 'रहमान' (अत्यंत दयावान् अल्लाह) की ओर से तुमपर उतरने वाले अज़ाब और विनाश से तुम्हारी रक्षा करता है? बल्कि वे अपने पालनहार के उपदेशों और तर्कों को याद करने से मुँह फेरने वाले हैं, अपनी अज्ञानता और मूर्खता के कारण उनमें से किसी भी चीज़ पर विचार नहीं करते हैं। info
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43 : 21

اَمْ لَهُمْ اٰلِهَةٌ تَمْنَعُهُمْ مِّنْ دُوْنِنَا ؕ— لَا یَسْتَطِیْعُوْنَ نَصْرَ اَنْفُسِهِمْ وَلَا هُمْ مِّنَّا یُصْحَبُوْنَ ۟

या क्या उनके पास ऐसे पूज्य हैं, जो उन्हें हमारी यातना से बचाते हैं? वे तो अपने आपसे नुक़सान को दूर करके या अपने आपको लाभ पहुँचाकर खुद की भी मदद नहीं कर सकते। और जो खुद अपनी मदद नहीं कर सकता, वह किसी और की मदद कैसे करेगा?! और न ही कोई उन्हें हमारी यातना से बचाने वाला होगा। info
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44 : 21

بَلْ مَتَّعْنَا هٰۤؤُلَآءِ وَاٰبَآءَهُمْ حَتّٰی طَالَ عَلَیْهِمُ الْعُمُرُ ؕ— اَفَلَا یَرَوْنَ اَنَّا نَاْتِی الْاَرْضَ نَنْقُصُهَا مِنْ اَطْرَافِهَا ؕ— اَفَهُمُ الْغٰلِبُوْنَ ۟

बल्कि हमने इन काफ़िरों और इनके बाप-दादों के लिए, उन्हें ढील देते हुए, दुनिया की नेमतें विस्तारित कर दीं, यहाँ तक कि उनपर लंबा समय बीत गया, तो इससे वे धोखे में पड़ गए, और अपने कुफ़्र पर क़ायम रहे। तो क्या हमारी नेमतों से धोखा खाने वाले और हमारी यातना के लिए जल्दी मचाने वाले ये काफ़िर नहीं देखते कि हम धरती के लोगों को पराजित करके, उसे उसके किनारों से कम करते आ रहे हैं। इसलिए उन्हें इससे सीख ग्रहण करना चाहिए ताकि उनके साथ भी वही न हो, जो दूसरों के साथ हुआ?! चुनाँचे ये लोग विजयी (प्रभावी) रहने वाले नहीं हैं, बल्कि ये पराजित (हारे हुए) हैं। info
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Parmi les bénéfices ( méditations ) des versets de cette page:
• بيان كفر من يستهزئ بالرسول، سواء بالقول أو الفعل أو الإشارة.
• इस बात का सबूत कि रसूल का मज़ाक उड़ाने वाला काफ़िर है, चाहे वह शब्द या कर्म या संकेत द्वारा हो। info

• من طبع الإنسان الاستعجال، والأناة خلق فاضل.
• जल्दबाज़ी करना मनुष्य का स्वभाव है, जबकि संजीदगी एक अच्छा आचरण है। info

• لا يحفظ من عذاب الله إلا الله.
• अल्लाह की यातना से उसके सिवा कोई नहीं बचा सकता। info

• مآل الباطل الزوال، ومآل الحق البقاء.
• असत्य अन्ततः मिट जाता है और सत्य ही बाकी रहता है। info