Traduction des sens du Noble Coran - La traduction indienne du Résumé dans l'Exégèse du noble Coran

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35 : 13

مَثَلُ الْجَنَّةِ الَّتِیْ وُعِدَ الْمُتَّقُوْنَ ؕ— تَجْرِیْ مِنْ تَحْتِهَا الْاَنْهٰرُ ؕ— اُكُلُهَا دَآىِٕمٌ وَّظِلُّهَا ؕ— تِلْكَ عُقْبَی الَّذِیْنَ اتَّقَوْا ۖۗ— وَّعُقْبَی الْكٰفِرِیْنَ النَّارُ ۟

उस जन्नत की विशेषता जिसका अल्लाह ने उन लोगों से वादा किया है, जो उसके आदेशों का पालन करके और उसके निषेधों से बचकर उससे डरने वाले हैं, यह है कि उसके महलों और पेड़ों के नीचे से नहरें बहती हैं, उसके फल, दुनिया के फलों के विपरीत, स्थायी हैं, जो कभी खत्म नहीं होंगे और उसकी छाया भी स्थायी है, जो न कभी समाप्त होगी और न छोटी होगी। यही उन लोगों का परिणाम है, जो अल्लाह के आदेशों का पालन करके और उसके निषेधों से बचकर उससे डरते रहे। और काफ़िरों का परिणाम आग है, जिसमें वे प्रवेश करेंगे और हमेशा के लिए उसी में रहेंगे। info
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36 : 13

وَالَّذِیْنَ اٰتَیْنٰهُمُ الْكِتٰبَ یَفْرَحُوْنَ بِمَاۤ اُنْزِلَ اِلَیْكَ وَمِنَ الْاَحْزَابِ مَنْ یُّنْكِرُ بَعْضَهٗ ؕ— قُلْ اِنَّمَاۤ اُمِرْتُ اَنْ اَعْبُدَ اللّٰهَ وَلَاۤ اُشْرِكَ بِهٖ ؕ— اِلَیْهِ اَدْعُوْا وَاِلَیْهِ مَاٰبِ ۟

जिन यहूदियों को हमने तौरात दी और जिन ईसाइयों को हमने इंजील दी, वे उस (क़ुरआन) से प्रसन्न होते हैं, जो (ऐ रसूल!) आपपर उतारा गया है; क्योंकि वह उनकी पुस्तकों की कुछ बातों से सहमति रखता है। तथा यहूदियों और ईसाइयों के संप्रदायों में से कुछ लोग आपकी ओर अवतिरत पुस्तक के कुछ भाग का इनकार करते हैं, जो उनकी इच्छाओं से मेल नहीं खाता, या जो उनके परिवर्तन और विकृति को उजागर करता है। (ऐ रसूल!) आप उनसे कह दें : अल्लाह ने मुझे आदेश दिया है कि मैं केवल उसी की इबादत करूँ और उसके साथ उसके अलावा को साझी न बनाऊँ। मैं केवल उसी की ओर बुलाता हूँ और उसके अलावा किसी और की ओर नहीं बुलाता। और केवल उसी की ओर मेरा लौटना है। तौरात और इंजील ने भी यही शिक्षा दी है। info
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37 : 13

وَكَذٰلِكَ اَنْزَلْنٰهُ حُكْمًا عَرَبِیًّا ؕ— وَلَىِٕنِ اتَّبَعْتَ اَهْوَآءَهُمْ بَعْدَ مَا جَآءَكَ مِنَ الْعِلْمِ ۙ— مَا لَكَ مِنَ اللّٰهِ مِنْ وَّلِیٍّ وَّلَا وَاقٍ ۟۠

और जैसे हमने पिछली पुस्तकों को उनके समुदायों की भाषा में उतारा था, उसी प्रकार हमने (ऐ रसूल!) आपपर क़ुरआन को अरबी भाषा में सच्चाई को स्पष्ट करने वाला एक निर्णायक फ़रमान बनाकर उतारा है। और यदि (ऐ रसूल!) आपने अपने पास उस ज्ञान के आ जाने के पश्चात जो अल्लाह ने आपको सिखाया है, किताब वालों की इच्छाओं का पालन किया उनके उस चीज़ को हटाने की सौदेबाज़ी में जो उनकी इच्छाओं से मेल नहीं खाती, तो अल्लाह के मुक़ाबले में आपका कोई संरक्षक नहीं होगा, जो आपके मामले को संभाले और आपके दुश्मनों के खिलाफ़ आपकी सहायता करे, और न ही आपको अल्लाह की यातना से कोई बचाने वाला होगा। info
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38 : 13

وَلَقَدْ اَرْسَلْنَا رُسُلًا مِّنْ قَبْلِكَ وَجَعَلْنَا لَهُمْ اَزْوَاجًا وَّذُرِّیَّةً ؕ— وَمَا كَانَ لِرَسُوْلٍ اَنْ یَّاْتِیَ بِاٰیَةٍ اِلَّا بِاِذْنِ اللّٰهِ ؕ— لِكُلِّ اَجَلٍ كِتَابٌ ۟

(ऐ रसूल!) हमने आपसे पहले रसूलों को मनुष्यों ही में से भेजे। इसलिए आप (दूसरे) रसूलों से अलग कोई (अनोखे) रसूल नहीं हैं। तथा हमने अन्य सभी मनुष्यों की तरह उनके लिए पत्नियाँ और बच्चे बनाए। हमने उन्हें फ़िरिश्ते नहीं बनाए,जो न शादी करते हैं और न बच्चे जनते हैं। और आप भी उन्हीं रसूलों में से हैं, जो मनुष्य थे, शादी-ब्याह करते थे और बच्चे पैदा करते थे, तो फिर आपके ऐसा होने पर इन मुश्रिकों को आश्चर्य क्यों होता है?! तथा किसी रसूल के बस की बात नहीं है कि अल्लाह की अनुमति के बिना अपनी ओर से कोई निशानी ले आए। हर मामले के लिए जिसका अल्लाह ने फ़ैसला किया है एक किताब है, जिसमें वह उल्लिखित है और उसका एक निर्धारित समय है, जो आगे-पीछे नहीं हो सकता। info
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39 : 13

یَمْحُوا اللّٰهُ مَا یَشَآءُ وَیُثْبِتُ ۖۚ— وَعِنْدَهٗۤ اُمُّ الْكِتٰبِ ۟

अल्लाह जिस भलाई, या बुराई, या सौभाग्य, या दुर्भाग्य को चाहता है, मिटा देता है और उनमें से जिसे चाहता है बाक़ी रखता है। और उसी के पास 'लौह़ -ए- महफ़ूज़' है। वह उन सब का संदर्भ है, और जो कुछ भी मिटाया जाता या बाक़ी रखा जाता है, उसी के अनुसार होता है, जो उसमें अंकित है। info
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40 : 13

وَاِنْ مَّا نُرِیَنَّكَ بَعْضَ الَّذِیْ نَعِدُهُمْ اَوْ نَتَوَفَّیَنَّكَ فَاِنَّمَا عَلَیْكَ الْبَلٰغُ وَعَلَیْنَا الْحِسَابُ ۟

(ऐ नबी!) यदि हम आपकी मृत्यु से पहले आपको उस यातना का कुछ भाग दिखा दें जिसका हम उनसे वादा करते हैं, तो यह हमारा काम है, या उसे आपको दिखाने से पहले ही आपको मौत दे दें, तो आपका काम केवल उसको पहुँचा देना है, जिसे पहुँचाने का हमने आपको आदेश दिया है। आपका काम उन्हें बदला देना या उनका हिसाब लेना नहीं है। क्योंकि यह हमारा काम है। info
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41 : 13

اَوَلَمْ یَرَوْا اَنَّا نَاْتِی الْاَرْضَ نَنْقُصُهَا مِنْ اَطْرَافِهَا ؕ— وَاللّٰهُ یَحْكُمُ لَا مُعَقِّبَ لِحُكْمِهٖ ؕ— وَهُوَ سَرِیْعُ الْحِسَابِ ۟

क्या इन काफ़िरों ने यह नहीं देखा कि हम कुफ़्र की धरती पर आते हैं, इस्लाम का प्रसार कर और मुसलमानों को उसपर विजय प्रदान करके उसे उसके किनारों से कम कर देते हैं। और अल्लाह जो कुछ चाहता है, आदेश देता है और अपने बंदों के बीच फ़ैसला करता है। उसके फ़ैसले को कोई टालने वाला, या उसमें संशोधन करने वाला, या उसे बदलने वाला नहीं है। वह महिमावान बहुत शीघ्र हिसाब लेने वाला है, वह अगले और पिछले सभी लोगों का एक ही दिन में हिसाब ले लेगा। info
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42 : 13

وَقَدْ مَكَرَ الَّذِیْنَ مِنْ قَبْلِهِمْ فَلِلّٰهِ الْمَكْرُ جَمِیْعًا ؕ— یَعْلَمُ مَا تَكْسِبُ كُلُّ نَفْسٍ ؕ— وَسَیَعْلَمُ الْكُفّٰرُ لِمَنْ عُقْبَی الدَّارِ ۟

पिछले समुदायों ने अपने नबियों के साथ छल किया, चालें चलीं और उनकी लाई हई बातों को झुठलाया। परंतु उन्होंने उनके ख़िलाफ़ उपाय (साज़िश) करके क्या कर लिया? कुछ नहीं; क्योंकि प्रभावी उपाय केवल अल्लाह का उपाय है, किसी और का नहीं। तथा वह महिमावान् (अल्लाह) ही है, जो सारी सृष्टि के सभी कर्मों को जानता है, उनमें से कुछ भी उससे छिपा नहीं है। और उस समय इन झुठलाने वालों को पता चल जाएगा कि वे अल्लाह पर ईमान न लाने में कितने गलत थे और ईमान वाले लोग कितने सही थे। इसलिए उन्होंने जन्नत और अच्छा परिणाम प्राप्त किया। info
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Parmi les bénéfices ( méditations ) des versets de cette page:
• الترغيب في الجنة ببيان صفتها، من جريان الأنهار وديمومة الرزق والظل.
• जन्नत की विशेषताएँ, जैसे नहरों के प्रवाह और जीविका और छाया के स्थायित्व को बयान करके उसके लिए प्रोत्साहित करना। info

• خطورة اتباع الهوى بعد ورود العلم وأنه من أسباب عذاب الله.
• ज्ञान के आगमन के बाद इच्छाओं का पालन करने का खतरा और यह कि वह अल्लाह की सज़ा के कारणों में से है। info

• بيان أن الرسل بشر، لهم أزواج وذريات، وأن نبينا صلى الله عليه وسلم ليس بدعًا بينهم، فقد كان مماثلًا لهم في ذلك.
• इस बात का वर्णन कि रसूल इनसान थे। उनकी पत्नियाँ और बच्चे थे। और हमारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम उनके बीच कोई अनूठे नहीं हैं। क्योंकि आप उसमें उनके समान ही थे। info