Traducción de los significados del Sagrado Corán - Traducción India - Azizul-Haqq Al-Umary

अत्-तारिक़

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1 : 86

وَالسَّمَآءِ وَالطَّارِقِ ۟ۙ

क़सम है आकाश की तथा रात में प्रकट होने वाले की! info
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2 : 86

وَمَاۤ اَدْرٰىكَ مَا الطَّارِقُ ۟ۙ

और तुम क्या जानो कि रात में प्रकट होने वाला क्या है? info
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3 : 86

النَّجْمُ الثَّاقِبُ ۟ۙ

वह चमकता हुआ सितारा है। info
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4 : 86

اِنْ كُلُّ نَفْسٍ لَّمَّا عَلَیْهَا حَافِظٌ ۟ؕ

प्रत्येक प्राणी पर एक निरीक्षक नियुक्त है।[1] info

1. (1-4) इनमें आकाश के तारों को इस बात की गवाही में लाया गया है कि ब्रह्मांड की कोई ऐसी वस्तु नहीं है, जो एक रक्षक के बिना अपने स्थान पर स्थित रह सकती है, और वह रक्षक स्वयं अल्लाह है।

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5 : 86

فَلْیَنْظُرِ الْاِنْسَانُ مِمَّ خُلِقَ ۟ؕ

अतः इनसान को देखना चाहिए कि वह किस चीज़ से पैदा किया गया है? info
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6 : 86

خُلِقَ مِنْ مَّآءٍ دَافِقٍ ۟ۙ

वह एक उछलने वाले पानी से पैदा किया गया है। info
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7 : 86

یَّخْرُجُ مِنْ بَیْنِ الصُّلْبِ وَالتَّرَآىِٕبِ ۟ؕ

जो पीठ और सीने की हड्डियों के बीच से निकलता है। info
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8 : 86

اِنَّهٗ عَلٰی رَجْعِهٖ لَقَادِرٌ ۟ؕ

निःसंदेह वह उसे लौटाने में निश्चय सक्षम है।[2] info

2. (5-8) इन आयतों में इनसान का ध्यान उसके अस्तित्व की ओर आकर्षित किया गया है कि वह विचार तो करे कि कैसे पैदा किया गया है वीर्य से? फिर उसकी निरंतर रक्षा कर रहा है। फिर वही उसे मृत्यु के पश्चात पुनः पैदा करने की शक्ति भी रखता है।

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9 : 86

یَوْمَ تُبْلَی السَّرَآىِٕرُ ۟ۙ

जिस दिन छिपी हुई बातों की जाँच-पड़ताल की जाएगी। info
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10 : 86

فَمَا لَهٗ مِنْ قُوَّةٍ وَّلَا نَاصِرٍ ۟ؕ

तो (उस दिन) उसके पास न कोई शक्ति होगी और न ही कोई सहायक।[3] info

3. (9-10) इन आयतों में यह बताया गया है कि फिर से पैदाइश इसलिए होगी ताकि इनसान के सभी भेदों की जाँच की जाए, जिनपर संसार में पर्दा पड़ा रह गया था और सबका बदला न्याय के साथ दिया जाए।

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11 : 86

وَالسَّمَآءِ ذَاتِ الرَّجْعِ ۟ۙ

क़सम है बार-बार बारिश बरसाने वाले आसमान की। info
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12 : 86

وَالْاَرْضِ ذَاتِ الصَّدْعِ ۟ۙ

तथा फटने वाली धरती की। info
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13 : 86

اِنَّهٗ لَقَوْلٌ فَصْلٌ ۟ۙ

निश्चय ही यह (क़ुरआन) एक निर्णायक कथन है। info
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14 : 86

وَّمَا هُوَ بِالْهَزْلِ ۟ؕ

और यह हँसी-मज़ाक़ नही है।[4] info

4. (11-14) इन आयतों में बताया गया है कि आकाश से वर्षा का होना तथा धरती से पेड़ पौधों का उपजना कोई खेल नहीं, एक गंभीर कर्म है। इसी प्रकार क़ुरआन में जो तथ्य बताए गए हैं, वे भी हँसी-उपहास नहीं हैं, पक्की और अडिग बातें हैं। काफ़िर (विश्वासहीन) इस भ्रम में न रहें कि उनकी चालें इस क़ुरआन के आमंत्रण को विफल कर देंगी। अल्लाह भी एक उपाय में लगा है जिसके आगे इनकी चालें धरी रह जाएँगी।

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15 : 86

اِنَّهُمْ یَكِیْدُوْنَ كَیْدًا ۟ۙ

निःसंदेह वे गुप्त उपाय करते हैं। info
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16 : 86

وَّاَكِیْدُ كَیْدًا ۟ۚۖ

और मैं भी गुप्त उपाय करता हूँ। info
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17 : 86

فَمَهِّلِ الْكٰفِرِیْنَ اَمْهِلْهُمْ رُوَیْدًا ۟۠

अतः काफ़िरों को मोहलत दे दें, उन्हें थोड़ी देर के लिए छोड़ दें।[5] info

5. (15-17) इन आयतों में नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को सांत्वना तथा अधर्मियों को यह धमकी देकर बात पूरी कर दी गई है कि आप तनिक सहन करें और विश्वासहीन को मनमानी कर लेने दें, कुछ ही देर होगी कि इन्हें अपने दुष्परिणाम का ज्ञान हो जाएगा। और इक्कीस वर्ष ही बीते थे कि पूरे मक्का और अरब द्वीप में इस्लाम का ध्वज लहराने लगा।

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