Traducción de los significados del Sagrado Corán - Traducción India - Azizul-Haqq Al-Umary

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20 : 42

مَنْ كَانَ یُرِیْدُ حَرْثَ الْاٰخِرَةِ نَزِدْ لَهٗ فِیْ حَرْثِهٖ ۚ— وَمَنْ كَانَ یُرِیْدُ حَرْثَ الدُّنْیَا نُؤْتِهٖ مِنْهَا ۙ— وَمَا لَهٗ فِی الْاٰخِرَةِ مِنْ نَّصِیْبٍ ۟

जो कोई आख़िरत की खेती[19] चाहता है, हम उसके लिए उसकी खेती में बढ़ोतरी कर देंगे, और जो कोई दुनिया की खेती चाहता है, हम उसे उसमें से कुछ दे देंगे, और आख़िरत में उसका कोई हिस्सा नहीं होगा। info

19. अर्थात जो अपने सांसारिक सत्कर्म का प्रतिफल परलोक में चाहता है, तो उसे उसका प्रतिफल दस गुना से सात सौ गुना तक मिलेगा। और जो सांसारिक फल का अभिलाषी है, तो जो उसके भाग्य में है उसे उतना ही मिलेगा और परलोक में कुछ नहीं मिलेगा। (इब्ने कसीर)

التفاسير: