Traducción de los significados del Sagrado Corán - Traducción india de Al-Mujtasar de la Exégesis del Sagrado Corán

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2 : 6

هُوَ الَّذِیْ خَلَقَكُمْ مِّنْ طِیْنٍ ثُمَّ قَضٰۤی اَجَلًا ؕ— وَاَجَلٌ مُّسَمًّی عِنْدَهٗ ثُمَّ اَنْتُمْ تَمْتَرُوْنَ ۟

वही महिमावान है, जिसने - ऐ लोगो! - तुम्हें मिट्टी से पैदा किया, जब उसने तुम्हारे पिता आदम अलैहिस्सलाम की रचना मिट्टी से की। फिर उसने तुम्हारे इस दुनिया के जीवन में रहने के लिए एक अवधि निर्धारित की। तथा उसने एक और अवधि क़ियामत के दिन तुम्हें पुनर्जीवित करने के लिए निर्धारित की, जिसे केवल वही जानता है। फिर भी तुम उस महिमावान् के पुनर्जीवित करने की क्षमता पर संदेह करते हो। info
التفاسير:
Beneficios de los versículos de esta página:
• شدة عناد الكافرين، وبيان إصرارهم على الكفر على الرغم من قيام الحجة عليهم بالأدلة الحسية.
• काफ़िरों का अत्यधिक हठ, तथा भौतिक प्रमाणों के साथ उनपर तर्क स्थापित हो जाने के बावजूद उनके अपने कुफ़्र पर अड़े रहने का वर्णन। info

• التأمل في سنن الله تعالى في السابقين لمعرفة أسباب هلاكهم والحذر منها.
• विगत लोगों के संबंध में अल्लाह के नियमों पर विचार करना, उनके विनाश के कारणों को जानने और उनसे सावधान रहने के लिए। info

• من رحمة الله بعباده أن لم ينزل لهم رسولًا من الملائكة لأنهم لا يمهلون للتوبة إذا نزل.
• अल्लाह की अपने बंदों पर यह दया है कि उसने उनके लिए फरिश्तों में से कोई रसूल नहीं उतारा, क्योंकि उसके उतरने के बाद उन्हें तौबा का अवसर नहीं दिया जाता। info