Traducción de los significados del Sagrado Corán - Traducción india de Al-Mujtasar de la Exégesis del Sagrado Corán

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45 : 53

وَاَنَّهٗ خَلَقَ الزَّوْجَیْنِ الذَّكَرَ وَالْاُ ۟ۙ

और यह कि उसी ने दोनों प्रकार : नर और मादा बनाए। info
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46 : 53

مِنْ نُّطْفَةٍ اِذَا تُمْنٰی ۪۟

एक बूँद (वीर्य) से, जब वह गर्भाशय में डाली जाती है। info
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47 : 53

وَاَنَّ عَلَیْهِ النَّشْاَةَ الْاُخْرٰی ۟ۙ

और यह कि उसी के ज़िम्मे उन दोनों को उनकी मृत्यु के बाद दोबारा पैदा करके उठाना है। info
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48 : 53

وَاَنَّهٗ هُوَ اَغْنٰی وَاَقْنٰی ۟ۙ

और यह कि उसी ने अपने बंदों में से जिसे चाहा माल देकर धनी बनाया और ऐसा धन दिया जिसे लोग अपने पास कोष बनाकर रखते हैं। info
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49 : 53

وَاَنَّهٗ هُوَ رَبُّ الشِّعْرٰی ۟ۙ

और यह कि वही 'शे'रा' का रब है। यह एक तारा है, जिसे कुछ बहुदेववादी अल्लाह के अलावा पूजते थे। info
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50 : 53

وَاَنَّهٗۤ اَهْلَكَ عَادَا ١لْاُوْلٰی ۟ۙ

और यह कि उसी ने प्रथम 'आद' अर्थात् हूद अलैहिस्सलाम की जाति को विनष्ट किया, जब वे अपने कुफ़्र पर अडिग हो गए। info
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51 : 53

وَثَمُوْدَاۡ فَمَاۤ اَبْقٰی ۟ۙ

और सालेह अलैहिस्सलाम की जाति समूद को विनष्ट किया, फिर उनमें से किसी को बाक़ी न छोड़ा। info
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52 : 53

وَقَوْمَ نُوْحٍ مِّنْ قَبْلُ ؕ— اِنَّهُمْ كَانُوْا هُمْ اَظْلَمَ وَاَطْغٰی ۟ؕ

तथा आद एवं समूद से पहले नूह अलैहिस्सलाम की जाति को विनष्ट किया। निश्चय नूह अलैहिस्सलाम की जाति के लोग आद और समूद से अधिक अत्याचारी और अधिक सरकश थे। क्योंकि नूह अलैहिस्सलाम उनके बीच साढ़े नौ सौ साल तक रहे और उन्हें अल्लाह की तौहीद (एकेश्वरवाद) की ओर बुलाते रहे, लेकिन उन्होंने उन की एक न सुनी। info
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53 : 53

وَالْمُؤْتَفِكَةَ اَهْوٰی ۟ۙ

तथा लूत अलैहिस्सलाम की जाति के लोगों की बस्तियों को आकाश में उठाया, फिर उन्हें उलट दिया, फिर उन्हें धरती पर गिरा दिया। info
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54 : 53

فَغَشّٰىهَا مَا غَشّٰی ۟ۚ

तो उसने उन्हें आकाश की ओर उठाकर ज़मीन पर गिराने के बाद, उन्हें पत्थरों की बारिश से ढाँप दिया। info
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55 : 53

فَبِاَیِّ اٰلَآءِ رَبِّكَ تَتَمَارٰی ۟

तो ऐ इनसान! तू अपने पालनहार की शक्ति को दर्शाने वाली किन-किन निशानियों के बारे में झगड़ता रहेगा और उनसे उपदेश ग्रहण नहीं करेगा?! info
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56 : 53

هٰذَا نَذِیْرٌ مِّنَ النُّذُرِ الْاُوْلٰی ۟

तुम्हारी ओर भेजा गया यह रसूल पहले रसूलों ही के वर्ग से एक (रसूल) है। info
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57 : 53

اَزِفَتِ الْاٰزِفَةُ ۟ۚ

निकट आने वाली क़ियामत निकट आ गई है। info
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58 : 53

لَیْسَ لَهَا مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ كَاشِفَةٌ ۟ؕ

अल्लाह के सिवा उसे कोई हटाने वाला और उसकी सूचना रखने वाला नहीं है। info
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59 : 53

اَفَمِنْ هٰذَا الْحَدِیْثِ تَعْجَبُوْنَ ۟ۙ

तो क्या तुम इस बात पर आश्चर्य करते हो कि यह क़ुरआन, जो तुम्हारे सामने पढ़ा जाता है, अल्लाह की ओर से है ?! info
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60 : 53

وَتَضْحَكُوْنَ وَلَا تَبْكُوْنَ ۟ۙ

और उसका ठट्ठा करते हुए उसपर हँसते हो और उसके उपदेशों को सुनकर रोते नहीं हो?! info
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61 : 53

وَاَنْتُمْ سٰمِدُوْنَ ۟

और तुम उससे ग़ाफ़िल हो, उसकी परवाह नहीं करते?! info
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62 : 53

فَاسْجُدُوْا لِلّٰهِ وَاعْبُدُوْا ۟

अतः केवल अल्लाह को सजदा करो और इबादत को उसी के लिए विशुद्ध करो। info
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Beneficios de los versículos de esta página:
• عدم التأثر بالقرآن نذير شؤم.
• क़ुरआन से प्रभावित न होना एक अपशकुन है। info

• خطر اتباع الهوى على النفس في الدنيا والآخرة.
• दुनिया एवं आखिरत में आत्मा पर अपनी इच्छाओं का पालन करने का खतरा। info

• عدم الاتعاظ بهلاك الأمم صفة من صفات الكفار.
•अगले समुदायों के विनाश से सीख न लेना काफ़िरों की विशेषताओं में से एक विशेषता है। info