Traducción de los significados del Sagrado Corán - Traducción india de Al-Mujtasar de la Exégesis del Sagrado Corán

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31 : 30

مُنِیْبِیْنَ اِلَیْهِ وَاتَّقُوْهُ وَاَقِیْمُوا الصَّلٰوةَ وَلَا تَكُوْنُوْا مِنَ الْمُشْرِكِیْنَ ۟ۙ

अपने गुनाहों से तौबा करके उसी महिमावान अल्लाह की ओर लौट आओ। तथा उसके आदेशों का पालन करके और निषेधों से दूर रहकर उससे डरते रहो। और संपूर्ण तरीक़े से नमाज़ पढ़ो। और उन मुश्रिकों में से न हो जाओ, जो सहज प्रकृति का विरोध करते हैं। इसलिए वे अपनी इबादत में अल्लाह के साथ दूसरों को साझी ठहराते हैं। info
التفاسير:
Beneficios de los versículos de esta página:
• خضوع جميع الخلق لله سبحانه قهرًا واختيارًا.
• सारी सृष्टि चाहे या अनचाहे सर्वशक्तिमान अल्लाह के अधीन है। info

• دلالة النشأة الأولى على البعث واضحة المعالم.
• मरणोपरांत पुनर्जीवन पर पहली रचना का संकेत स्पष्ट है। info

• اتباع الهوى يضل ويطغي.
• इच्छाओं का पालन करना आदमी को गुमराह और सरकश बना देता है। info

• دين الإسلام دين الفطرة السليمة.
• इस्लाम धर्म शुद्ध प्रकृति का धर्म है। info