Traducción de los significados del Sagrado Corán - Traducción india de Al-Mujtasar de la Exégesis del Sagrado Corán

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84 : 26

وَاجْعَلْ لِّیْ لِسَانَ صِدْقٍ فِی الْاٰخِرِیْنَ ۟ۙ

तथा मेरे बाद आने वाली नसलों के अंदर मेरी शुभ-चर्चा और अच्छी प्रशंसा जारी रख। info
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85 : 26

وَاجْعَلْنِیْ مِنْ وَّرَثَةِ جَنَّةِ النَّعِیْمِ ۟ۙ

और मुझे उन लोगों में से बना दे, जो स्वर्ग के उन घरों के वारिस होंगे जिनमें तेरे मोमिन बंदे आनंद लेंगे, तथा मुझे उनका निवासी बना दे। info
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86 : 26

وَاغْفِرْ لِاَبِیْۤ اِنَّهٗ كَانَ مِنَ الضَّآلِّیْنَ ۟ۙ

तथा मेरे बाप को क्षमा कर दे, वह शिर्क के कारण सत्य मार्ग से भटके हुए लोगों में से था। इबराहीम अलैहिस्सलाम ने अपने बाप के लिए दुआ यह स्पष्ट होने से पहले की थी कि वह नरक के वासियों में से है। चुनाँचे जब उनके लिए यह स्पष्ट हो गया, तो उससे अलग होने का एलान कर दिया और (फिर) उसके लिए दुआ नहीं की। info
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87 : 26

وَلَا تُخْزِنِیْ یَوْمَ یُبْعَثُوْنَ ۟ۙ

और मुझे उस दिन यातना देकर रुसवा न करना, जिस दिन लोग हिसाब के लिए पुनः जीवित किए जाएँगे। info
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88 : 26

یَوْمَ لَا یَنْفَعُ مَالٌ وَّلَا بَنُوْنَ ۟ۙ

जिस दिन न माल काम आएगा, जिसे इनसान ने संसार में एकत्र किया होगा और न संतान जिनकी मदद वह दुनिया में लिया करता था। info
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89 : 26

اِلَّا مَنْ اَتَی اللّٰهَ بِقَلْبٍ سَلِیْمٍ ۟ؕ

सिवाय उस व्यक्ति के, जो अल्लाह के पास पाक-साफ़ दिल लेकर आया, जिसमें कोई शिर्क, कोई निफ़ाक़, कोई दिखावा तथा कोई अहंकार (दंभ) नहीं। तो ऐसा व्यक्ति अपने उस धन से लाभान्वित होगा, जिसे अल्लाह के मार्ग में खर्च किया, तथा अपनी उन बच्चों से भी जो उसके लिए दुआ करते हैं। info
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90 : 26

وَاُزْلِفَتِ الْجَنَّةُ لِلْمُتَّقِیْنَ ۟ۙ

और जन्नत उन लोगों के निकट लाई जाएगी, जो अपने रब से डरने वाले हैं; उसकी आज्ञाओं का पालन करते हैं और उनके निषेधों से बचते हैं। info
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91 : 26

وَبُرِّزَتِ الْجَحِیْمُ لِلْغٰوِیْنَ ۟ۙ

तथा सत्य-धर्म से भटके हुए पथभ्रष्ट लोगों के लिए 'मह़शर' (एकत्र होने का स्थान) में जहन्नम ज़ाहिर कर दी जाएगी। info
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92 : 26

وَقِیْلَ لَهُمْ اَیْنَ مَا كُنْتُمْ تَعْبُدُوْنَ ۟ۙ

उन्हें डाँटते हुए कहा जाएगा : कहाँ हैं वे मूर्तियाँ जिन्हें तुम पूजते थे? info
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93 : 26

مِنْ دُوْنِ اللّٰهِ ؕ— هَلْ یَنْصُرُوْنَكُمْ اَوْ یَنْتَصِرُوْنَ ۟ؕ

जिनकी तुम अल्लाह को छोड़कर पूजा करते थे? क्या वे तुम्हें अल्लाह की यातना से बचाकर तुम्हारी सहायता करती हैं, अथवा स्वयं अपनी ही सहायता करती हैं? info
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94 : 26

فَكُبْكِبُوْا فِیْهَا هُمْ وَالْغَاوٗنَ ۟ۙ

अतः उन्हें एक-दूसरे के ऊपर नरक में फेंक दिया जाएगा तथा उनको भी जिन्होंने उन्हें गुमराह किया था। info
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95 : 26

وَجُنُوْدُ اِبْلِیْسَ اَجْمَعُوْنَ ۟ؕ

तथा शैतानों में से इबलीस के सभी सहयोगियों को, उनमें से किसी एक को भी छोड़ा नहीं जाएगा। info
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96 : 26

قَالُوْا وَهُمْ فِیْهَا یَخْتَصِمُوْنَ ۟ۙ

अल्लाह के अलावा दूसरों की पूजा करने वाले तथा उन्हें अल्लाह का साझी बनाने वाले मुश्रिक अपने उन पूज्यों से झगड़ते हुए कहेंगे, जिन्हें वे अल्लाह को छोड़ पूजते थे : info
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97 : 26

تَاللّٰهِ اِنْ كُنَّا لَفِیْ ضَلٰلٍ مُّبِیْنٍ ۟ۙ

अल्लाह की क़सम! निश्चय हम स्पष्ट रूप से सत्य से भटक गए थे। info
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98 : 26

اِذْ نُسَوِّیْكُمْ بِرَبِّ الْعٰلَمِیْنَ ۟

जब हम तुम्हें सारी सृष्टि के पालनहार के समान बनाते थे, चुनाँचे हम उसकी पूजा करने की तरह तुम्हारी पूजा करते थे। info
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99 : 26

وَمَاۤ اَضَلَّنَاۤ اِلَّا الْمُجْرِمُوْنَ ۟

हमें सत्य के मार्ग से केवल उन अपराधियों ने भटकाया, जिन्होंने हमें अल्लाह के सिवा दूसरों की इबादत की ओर बुलाया। info
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100 : 26

فَمَا لَنَا مِنْ شَافِعِیْنَ ۟ۙ

अब न तो हमारे लिए कोई सिफ़ारिश करने वाले हैं, जो हमारे लिए अल्लाह के पास सिफ़ारिश कर सकें कि वह हमें अपनी यातना से बचा ले। info
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101 : 26

وَلَا صَدِیْقٍ حَمِیْمٍ ۟

और न हमारा कोई सच्चा मित्र है, जो हमारा बचाव करे और हमारे लिए सिफ़ारिश करे। info
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102 : 26

فَلَوْ اَنَّ لَنَا كَرَّةً فَنَكُوْنَ مِنَ الْمُؤْمِنِیْنَ ۟

काश हमें एक बार दुनिया के जीवन में लौटने का अवसर मिल जाता, तो हम अल्लाह पर ईमान रखने वालों में से हो जाते। info
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103 : 26

اِنَّ فِیْ ذٰلِكَ لَاٰیَةً ؕ— وَمَا كَانَ اَكْثَرُهُمْ مُّؤْمِنِیْنَ ۟

इबराहीम अलैहिस्सलाम की इस कहानी तथा झुठलाने वालों के अंजाम में सीख लेने वालों के लिए निश्चय सीख ग्रहण करने का महान अवसर है। और उनमें से अधिकांश लोग ईमान लाने वाले नहीं थे। info
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104 : 26

وَاِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِیْزُ الرَّحِیْمُ ۟۠

और निःसंदेह (ऐ रसूल!) आपका पालनहार ही वह प्रभुत्वशाली है, जो अपने दुश्मनों से बदला लेता है, तथा उनमें से तौबा करने वालों पर बहुत दयालु है। info
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105 : 26

كَذَّبَتْ قَوْمُ نُوْحِ ١لْمُرْسَلِیْنَ ۟ۚۖ

नूह के समुदाय ने (भी) रसूलों को झुठलाया, जब उन्होंने नूह अलैहिस्सलाम को झुठला दिया। info
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106 : 26

اِذْ قَالَ لَهُمْ اَخُوْهُمْ نُوْحٌ اَلَا تَتَّقُوْنَ ۟ۚ

जब उनके वंश के भाई नूह ने उनसे कहा : क्या तुम अल्लाह से डरते नहीं कि उसके भय के कारण उसके अलावा की उपासना छोड़ दो?! info
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107 : 26

اِنِّیْ لَكُمْ رَسُوْلٌ اَمِیْنٌ ۟ۙ

निःसंदेह मैं तुम्हारा रसूल हूँ, अल्लाह ने मुझे तुम्हारी ओर भेजा है। (मैं) अमानतदार हूँ, अल्लाह ने मेरी ओर जो वह़्य की है, उसमें कोई कमी-बेशी नहीं करता। info
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108 : 26

فَاتَّقُوا اللّٰهَ وَاَطِیْعُوْنِ ۟ۚ

अतः तुम अल्लाह के आदेशों का पालन करके और उसके निषेधों से बचकर उससे डरो, तथा जिसका मैं तुम्हें आदेश देता हूँ और जिससे मैं तुम्हें मना करता हूँ, उसमें मेरा कहा मानो। info
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109 : 26

وَمَاۤ اَسْـَٔلُكُمْ عَلَیْهِ مِنْ اَجْرٍ ۚ— اِنْ اَجْرِیَ اِلَّا عَلٰی رَبِّ الْعٰلَمِیْنَ ۟ۚ

और जो कुछ मैं अपने रब की ओर से तुम्हें संदेश पहुँचाता हूँ, मैं तुमसे उसका बदला नहीं माँगता। मेरा बदला तो केवल सारी सृष्टि के रब अल्लाह के ज़िम्मे है, किसी अन्य के नहीं। info
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110 : 26

فَاتَّقُوا اللّٰهَ وَاَطِیْعُوْنِ ۟ؕ

अतः तुम अल्लाह के आदेशों का पालन करके और उसके निषेधों से बचकर उससे डरो, तथा जिसका मैं तुम्हें आदेश देता हूँ और जिससे मैं तुम्हें मना करता हूँ, उसमें मेरा कहा मानो। info
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111 : 26

قَالُوْۤا اَنُؤْمِنُ لَكَ وَاتَّبَعَكَ الْاَرْذَلُوْنَ ۟ؕ

उनकी जाति के लोगों ने उनसे कहा : ऐ नूह! क्या हम तुझपर ईमान ले आएँ तथा जो कुछ तू लेकर आया है उसका पालन करें और उसपर अमल करने लगें, जबकि स्थिति यह है कि तुम्हारे अनुयायी सबसे हीन एवं कम हैसियत लोग हैं। उनमें श्रेष्ठ जन और अशराफिया लोग नहीं पाए जाते?! info
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Beneficios de los versículos de esta página:
• أهمية سلامة القلب من الأمراض كالحسد والرياء والعُجب.
• ईर्ष्या, दिखावा और अहंकार जैसी बीमारियों से दिल की सुरक्षा का महत्व। info

• تعليق المسؤولية عن الضلال على المضلين لا تنفع الضالين.
• पथभ्रष्टता की ज़िम्मेदारी पथभ्रष्ट करने वालों पर डालने से पथभ्रष्ट को कोई लाभ नहीं होगा। info

• التكذيب برسول الله تكذيب بجميع الرسل.
• अल्लाह के एक रसूल का इनकार सभी रसूलों का इनकार है। info

• حُسن التخلص في قصة إبراهيم من الاستطراد في ذكر القيامة ثم الرجوع إلى خاتمة القصة.
• इबराहीम अलैहिस्सलाम की कहानी का वर्णन करते हुए बड़ी सरलता के साथ विषय को बदल कर क़ियामत के बारे में बात की गई है, फिर अच्छे ढंग से कहानी के समापन पर वापसी है। info