40. इससे अभिप्राय यहूदी विद्वान हैं। और पुस्तक से अभिप्राय तौरात है।
41. भावार्थ यह है कि जब नबी के लिए योग्य नहीं कि लोगों से कहे कि मेरी इबादत करो, तो किसी अन्य के लिए कैसे योग्य हो सकता है?
42. जैसे अपने पालनहार के आगे झुकते हो, उसी प्रकार उनके आगे भी झुको।
43. भावार्थ यह है कि जब आगामी नबियों को ईमान लाना आवश्यक है, तो उनके अनुयायियों को भी ईमान लाना आवश्यक होगा। अतः अंतिम नबी मुह़म्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) पर ईमान लाना सभी के लिए अनिवार्य है।
45. अर्थात उसी की आज्ञा तथा व्यवस्था के अधीन हैं। फिर तुम्हें इस स्वभाविक धर्म से इनकार क्यों है? 46. अर्थात प्रलय के दिन अपने कर्मों के प्रतिफल के लिए।