26. अर्थात यातना का लक्षण देखने के पश्चात्। 27. यूनुस अलैहिस्सलाम का युग ईसा मसीह़ से आठ सौ वर्ष पहले बताया जाता है। भाष्यकारों ने लिखा है कि वह यातना की सूचना देकर अल्लाह की अनुमति के बिना अपने नगर नीनवा से निकल गए। इसलिए जब यातना के लक्षण नागरिकों ने देखे और अल्लाह से क्षमा याचना करने लगे, तो उनसे यातना दूर कर दी गई। (इब्ने कसीर)
28. इस आयत में यह बताया गया है कि सत्धर्म और ईमान ऐसा विषय है जिसमें बल का प्रयोग नहीं किया जा सकता। यह अनहोनी बात है कि किसी को बलपूर्वक मुसलमान बना लिया जाए। (देखिए : सूरतुल-बक़रह, आयत : 256)
29. अर्थात् उसके स्वभाविक नियम के अनुसार जो सोच-विचार से काम लेता है, वही ईमान लाता है।