Translation of the Meanings of the Noble Qur'an - Hindi translation of Al-Mukhtsar in interpretation of the Noble Quran

अल्-अन्आम

Purposes of the Surah:
تقرير عقيدة التوحيد والرد على ضلالات المشركين.
तौह़ीद (एकेश्वरवाद) के सिद्धांत को सिद्ध करना और बहुदेववादियों की गुमराहियों का खंडन करना। info

external-link copy
1 : 6

اَلْحَمْدُ لِلّٰهِ الَّذِیْ خَلَقَ السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ وَجَعَلَ الظُّلُمٰتِ وَالنُّوْرَ ؕ۬— ثُمَّ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا بِرَبِّهِمْ یَعْدِلُوْنَ ۟

परम पूर्णता से विशिष्ट करना और प्रेम के साथ सर्वोच्च सद्गुणों द्वारा प्रशंसा, उस अल्लाह के लिए साबित है, जिसने बिना किसी पूर्व उदाहरण के आकाशों तथा धरती की रचना की, तथा रात और दिन की रचना की, जो एक-दूसरे के बाद आते रहते हैं। चुनाँचे उसने रात को अँधेरी और दिन को प्रकाशमान बनाया। इसके बावजूद, जिन लोगों ने कुफ़्र किया, वे उसके अलावा को उसके बराबर ठहराते हैं और उसे उसका साझीदार बना लेते हैं। info
التفاسير:

external-link copy
2 : 6

هُوَ الَّذِیْ خَلَقَكُمْ مِّنْ طِیْنٍ ثُمَّ قَضٰۤی اَجَلًا ؕ— وَاَجَلٌ مُّسَمًّی عِنْدَهٗ ثُمَّ اَنْتُمْ تَمْتَرُوْنَ ۟

वही महिमावान है, जिसने - ऐ लोगो! - तुम्हें मिट्टी से पैदा किया, जब उसने तुम्हारे पिता आदम अलैहिस्सलाम की रचना मिट्टी से की। फिर उसने तुम्हारे इस दुनिया के जीवन में रहने के लिए एक अवधि निर्धारित की। तथा उसने एक और अवधि क़ियामत के दिन तुम्हें पुनर्जीवित करने के लिए निर्धारित की, जिसे केवल वही जानता है। फिर भी तुम उस महिमावान् के पुनर्जीवित करने की क्षमता पर संदेह करते हो। info
التفاسير:

external-link copy
3 : 6

وَهُوَ اللّٰهُ فِی السَّمٰوٰتِ وَفِی الْاَرْضِ ؕ— یَعْلَمُ سِرَّكُمْ وَجَهْرَكُمْ وَیَعْلَمُ مَا تَكْسِبُوْنَ ۟

आकाशों तथा धरती में वही महिमावान् सत्य पूज्य है, उससे कोई चीज़ छिपी नहीं है। वह तुम्हारे छिपे एवं खुले इरादों, बातों और कर्मों को जानता है, और वह तुम्हें उनका बदला देगा। info
التفاسير:

external-link copy
4 : 6

وَمَا تَاْتِیْهِمْ مِّنْ اٰیَةٍ مِّنْ اٰیٰتِ رَبِّهِمْ اِلَّا كَانُوْا عَنْهَا مُعْرِضِیْنَ ۟

मुश्रिकों के पास उनके रब की ओर से जो भी प्रमाण आया, उन्होंने उसकी परवाह न करते हुए उसे छोड़ दिया। चुनाँचे उनके पास अल्लाह की तौहीद (एकेश्वरवाद) को प्रमाणित करने वाले स्पष्ट तर्क और खुले प्रमाण आए, तथा उनके पास उसके रसूलों की सच्चाई को इंगित करने वाली निशानियाँ आईं, इसके बावजूद भी वे उनकी परवाह किए बिना उनसे विमुख हो गए। info
التفاسير:

external-link copy
5 : 6

فَقَدْ كَذَّبُوْا بِالْحَقِّ لَمَّا جَآءَهُمْ ؕ— فَسَوْفَ یَاْتِیْهِمْ اَنْۢبٰٓؤُا مَا كَانُوْا بِهٖ یَسْتَهْزِءُوْنَ ۟

यदि उन्होंने उन स्पष्ट तर्कों और खुले प्रमाणों से मुँह मोड़ लिया, तो निःसंदेह वे उससे भी अधिक स्पष्ट चीज़ से मुँह मोड़ चुके हैं। क्योंकि उन्होंने उस क़ुरआन को झुठलाया है, जो मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम लेकर आए। और जब वे क़ियामत के दिन यातना को देख लेंगे, तो उनकी समझ में आ जाएगा कि जिसका वे उपहास किया करते थे, वही सत्य है। info
التفاسير:

external-link copy
6 : 6

اَلَمْ یَرَوْا كَمْ اَهْلَكْنَا مِنْ قَبْلِهِمْ مِّنْ قَرْنٍ مَّكَّنّٰهُمْ فِی الْاَرْضِ مَا لَمْ نُمَكِّنْ لَّكُمْ وَاَرْسَلْنَا السَّمَآءَ عَلَیْهِمْ مِّدْرَارًا ۪— وَّجَعَلْنَا الْاَنْهٰرَ تَجْرِیْ مِنْ تَحْتِهِمْ فَاَهْلَكْنٰهُمْ بِذُنُوْبِهِمْ وَاَنْشَاْنَا مِنْ بَعْدِهِمْ قَرْنًا اٰخَرِیْنَ ۟

क्या इन काफ़िरों को अत्याचारी समुदायों को नष्ट करने में अल्लाह के तरीक़े का पता नहीं?! अल्लाह ने इनसे पहले बहुत-से समुदायों को नष्ट कर दिया, जिन्हें उसने शक्ति तथा धरती पर जीवित रहने के ऐसे साधन दिए थे, जो इन काफ़िरों को नहीं दिए। तथा उनपर लगातार बारिश बरसाई और उनके लिए ऐसी नहरें प्रवाहित कीं जो उनके घरों के नीचे से बहती थीं। परंतु उन्होंने अल्लाह की अवज्ञा की, तो अल्लाह ने उनके द्वारा किए गए पापों के कारण उन्हें नष्ट कर दिया, और उनके बाद अन्य समुदायों को पैदा किया। info
التفاسير:

external-link copy
7 : 6

وَلَوْ نَزَّلْنَا عَلَیْكَ كِتٰبًا فِیْ قِرْطَاسٍ فَلَمَسُوْهُ بِاَیْدِیْهِمْ لَقَالَ الَّذِیْنَ كَفَرُوْۤا اِنْ هٰذَاۤ اِلَّا سِحْرٌ مُّبِیْنٌ ۟

(ऐ रसूल!) यदि हम आपपर काग़ज़ में लिखी हुई कोई पुस्तक उतार दें और वे उसे अपनी आँखों से देख लें तथा पुस्तक को अपने हाथों से छूकर उसके बार में सुनिश्चित कर लें; तो भी वे अपने इनकार और हठ (दुराग्रह) के कारण उसपर हरगिज़ ईमान नहीं लाएँगे, और निश्चय यही कहेंगे : जो कुछ तुम लाए हो वह तो जादू के सिवा कुछ नहीं है। अतः हम उसपर कदापि ईमान नहीं लाएँगे। info
التفاسير:

external-link copy
8 : 6

وَقَالُوْا لَوْلَاۤ اُنْزِلَ عَلَیْهِ مَلَكٌ ؕ— وَلَوْ اَنْزَلْنَا مَلَكًا لَّقُضِیَ الْاَمْرُ ثُمَّ لَا یُنْظَرُوْنَ ۟

और इन काफिरों ने कहा : यदि अल्लाह ने मुहम्मद के साथ कोई फ़रिश्ता उतारा होता, जो हमसे बात करता और गवाही देता कि वह एक रसूल हैं, तो हम अवश्य ईमान ले आते। और यदि हमने उनके चाहने के अनुसार कोई फ़रिश्ता उतारा होता, तो निश्चय हम उन्हें नष्ट कर देते यदि वे ईमान नहीं लाते, और यदि वे उतरते तो उन्हें तौबा करने का समय नहीं दिया जाता। info
التفاسير:
Benefits of the verses in this page:
• شدة عناد الكافرين، وبيان إصرارهم على الكفر على الرغم من قيام الحجة عليهم بالأدلة الحسية.
• काफ़िरों का अत्यधिक हठ, तथा भौतिक प्रमाणों के साथ उनपर तर्क स्थापित हो जाने के बावजूद उनके अपने कुफ़्र पर अड़े रहने का वर्णन। info

• التأمل في سنن الله تعالى في السابقين لمعرفة أسباب هلاكهم والحذر منها.
• विगत लोगों के संबंध में अल्लाह के नियमों पर विचार करना, उनके विनाश के कारणों को जानने और उनसे सावधान रहने के लिए। info

• من رحمة الله بعباده أن لم ينزل لهم رسولًا من الملائكة لأنهم لا يمهلون للتوبة إذا نزل.
• अल्लाह की अपने बंदों पर यह दया है कि उसने उनके लिए फरिश्तों में से कोई रसूल नहीं उतारा, क्योंकि उसके उतरने के बाद उन्हें तौबा का अवसर नहीं दिया जाता। info