Translation of the Meanings of the Noble Qur'an - Hindi translation of Al-Mukhtsar in interpretation of the Noble Quran

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12 : 57

یَوْمَ تَرَی الْمُؤْمِنِیْنَ وَالْمُؤْمِنٰتِ یَسْعٰی نُوْرُهُمْ بَیْنَ اَیْدِیْهِمْ وَبِاَیْمَانِهِمْ بُشْرٰىكُمُ الْیَوْمَ جَنّٰتٌ تَجْرِیْ مِنْ تَحْتِهَا الْاَنْهٰرُ خٰلِدِیْنَ فِیْهَا ؕ— ذٰلِكَ هُوَ الْفَوْزُ الْعَظِیْمُ ۟ۚ

जिस दिन आप मोमिन पुरुषों और मोमिन स्त्रियों को देखेंगे कि उनका प्रकाश उनके आगे-आगे और उनके दाहिनी ओर चल रहा होगा। और उस दिन उनसे कहा जाएगा : आज तुम्हारे लिए ऐसे बाग़ों की खुशख़बरी है, जिनके महलों और पेड़ों के नीचे से नहरें बहती हैं, जिनमें तुम हमेशा रहने वाले हो। यही बदला तो बहुत बड़ी सफलता है, जिसके बराबर कोई सफलता नहीं हो सकती। info
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13 : 57

یَوْمَ یَقُوْلُ الْمُنٰفِقُوْنَ وَالْمُنٰفِقٰتُ لِلَّذِیْنَ اٰمَنُوا انْظُرُوْنَا نَقْتَبِسْ مِنْ نُّوْرِكُمْ ۚ— قِیْلَ ارْجِعُوْا وَرَآءَكُمْ فَالْتَمِسُوْا نُوْرًا ؕ— فَضُرِبَ بَیْنَهُمْ بِسُوْرٍ لَّهٗ بَابٌ ؕ— بَاطِنُهٗ فِیْهِ الرَّحْمَةُ وَظَاهِرُهٗ مِنْ قِبَلِهِ الْعَذَابُ ۟ؕ

जिस दिन मुनाफ़िक़ पुरुष और मुनाफ़िक़ स्त्रियाँ, ईमान वालों से कहेंगे : हमारी प्रतीक्षा करो, ताकि हम तुम्हारे प्रकाश में से कुछ प्रकाश हासिल कर लें, जो 'सिरात' (पुल) पार करने में हमारे लिए सहायक हो। उस समय मुनाफ़िक़ों से उनका मज़ाक उड़ाते हुए कहा जाएगा : अपने पीछे लौट जाओ, फिर कोई प्रकाश तलाश करो, जिससे तुम रोशनी हासिल कर सको। फिर उनके बीच एक दीवार बना दी जाएगी, जिसमें एक द्वार होगा। उसका भीतरी भाग, जो ईमान वालों की ओर होगा, उसमें दया होगी और बाहरी भाग, जो मुनाफ़िक़ों की ओर होगा, उसमें यातना होगी। info
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14 : 57

یُنَادُوْنَهُمْ اَلَمْ نَكُنْ مَّعَكُمْ ؕ— قَالُوْا بَلٰی وَلٰكِنَّكُمْ فَتَنْتُمْ اَنْفُسَكُمْ وَتَرَبَّصْتُمْ وَارْتَبْتُمْ وَغَرَّتْكُمُ الْاَمَانِیُّ حَتّٰی جَآءَ اَمْرُ اللّٰهِ وَغَرَّكُمْ بِاللّٰهِ الْغَرُوْرُ ۟

मुनाफ़िक़ लोग, ईमान वालों को पुकारकर कहेंगे : "क्या हम तुम्हारे साथ ईमान और आज्ञाकारिता पर नहीं थे? मोमिन उनसे कहेंगे : क्यों नहीं, तुम हमारे साथ थे। लेकिन तुमने अपने आपको निफ़ाक़ के फ़ितने में डालकर अपना नाश कर लिया, और इस प्रतीक्षा में रहे कि ईमान वाले पराजित हो जाएँ, तो तुम अपने कुफ़्र का ऐलान करो, तथा तुमने अल्लाह के ईमान वालों की मदद करने के बारे में और मौत के बाद दोबारा उठाए जाने के बारे संदेह किया, तथा तुम झूठी महत्वाकांक्षाओं के धोखे में पड़े रहे, यहाँ तक कि इसी अवस्था में तुम्हारी मौत आ गई, और इस शैतान ने तुम्हें अल्लाह के बारे में धोखा दिया। info
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15 : 57

فَالْیَوْمَ لَا یُؤْخَذُ مِنْكُمْ فِدْیَةٌ وَّلَا مِنَ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا ؕ— مَاْوٰىكُمُ النَّارُ ؕ— هِیَ مَوْلٰىكُمْ ؕ— وَبِئْسَ الْمَصِیْرُ ۟

सो आज (ऐ मुनाफ़िक़ो!) तुमसे अल्लाह की यातना से कोई छुड़ौती नहीं ली जाएगी, और न ही उन लोगों से कोई छुड़ौती ली जाएगी, जिन्होंने खुले तौर पर अल्लाह के साथ कुफ़्र किया। तुम्हारा तथा काफ़िरों का ठिकाना जहन्नम है। यह तुम्हारे लिए अधिक उपयुक्त है और तुम इसके अधिक योग्य हो, तथा यह बहुत बुरा ठिकाना है। info
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16 : 57

اَلَمْ یَاْنِ لِلَّذِیْنَ اٰمَنُوْۤا اَنْ تَخْشَعَ قُلُوْبُهُمْ لِذِكْرِ اللّٰهِ وَمَا نَزَلَ مِنَ الْحَقِّ ۙ— وَلَا یَكُوْنُوْا كَالَّذِیْنَ اُوْتُوا الْكِتٰبَ مِنْ قَبْلُ فَطَالَ عَلَیْهِمُ الْاَمَدُ فَقَسَتْ قُلُوْبُهُمْ ؕ— وَكَثِیْرٌ مِّنْهُمْ فٰسِقُوْنَ ۟

क्या अल्लाह और उसके रसूल पर ईमान लाने वालों के लिए वह समय नहीं आया है कि उनके दिल अल्लाह के ज़िक्र के लिए और उसके लिए जो क़ुरआन में वादा या धमकी उतरी है, नरम नरम हो जाएँ और संतुष्ट हो जाएँ। तथा दिलों की कठोरता में उन यहूदियों की तरह न हो जाएँ, जिन्हें तौरात दिया गया और न उन ईसाइयों की तरह, जो इंजील दिए गए। फिर उनके और उनके नबियों के आने के बीच का समय लंबा हो गया, तो इसके कारण उनके दिल कठोर हो गए और उनमें से बहुत-से लोग अल्लाह की आज्ञाकारिता से निकलकर उसकी अवज्ञा करने वाले हैं?! info
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17 : 57

اِعْلَمُوْۤا اَنَّ اللّٰهَ یُحْیِ الْاَرْضَ بَعْدَ مَوْتِهَا ؕ— قَدْ بَیَّنَّا لَكُمُ الْاٰیٰتِ لَعَلَّكُمْ تَعْقِلُوْنَ ۟

जान लो कि अल्लाह धरती को उसके सूखने के बाद उसमें पौधे उगाकर पुनर्जीवित करता है।निःसंदेह हमने (ऐ लोगो!) तुम्हारे लिए अल्लाह की शक्ति और एकेश्वरवाद के प्रमाण और तर्क स्पष्ट कर दिए हैं, ताकि तुम उन्हें समझो और जान जाओ कि जिस (अल्लाह) ने धरती को उसकी मृत्यु के बाद पुनर्जीवित किया है, वह तुम्हारी मृत्यु के बाद तुम्हें पुनर्जीवित करने में सक्षम है, तथा तुम्हारे दिलों को उनकी कठोरता के बाद नरम करने में सक्षम है। info
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18 : 57

اِنَّ الْمُصَّدِّقِیْنَ وَالْمُصَّدِّقٰتِ وَاَقْرَضُوا اللّٰهَ قَرْضًا حَسَنًا یُّضٰعَفُ لَهُمْ وَلَهُمْ اَجْرٌ كَرِیْمٌ ۟

निःसंदेह अपना कुछ धन दान करने वाले पुरुष और अपना कुछ धन दान करने वाली स्त्रियाँ, जो उसे बिना उपकार जताए और कष्ट पहुँचाए, अपने दिल की खुशी के साथ खर्च करते हैं, उनके लिए उनके कर्मों का प्रतिफल दस गुना से सात सौ गुना तक, बल्कि उससे भी अधिक गुना तक बढ़ा दिया जाएगा। और इसके अतिरिक्त उनके लिए अल्लाह के पास एक सम्मानित प्रतिफल अर्थात् जन्नत है। info
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Benefits of the verses in this page:
• امتنان الله على المؤمنين بإعطائهم نورًا يسعى أمامهم وعن أيمانهم.
• अल्लाह का ईमान वालों पर यह उपकार कि उन्हें एक प्रकाश प्रदान करेगा, जो उनके सामने और उनके दाहिनी ओर चल रहा होगा। info

• المعاصي والنفاق سبب للظلمة والهلاك يوم القيامة.
• पाप और निफ़ाक़ (पाखंड) क़ियामत के दिन अंधकार और विनाश का कारण हैं। info

• التربُّص بالمؤمنين والشك في البعث، والانخداع بالأماني، والاغترار بالشيطان: من صفات المنافقين.
• ईमान वालों की पराजय की ताक में रहना, पुनर्जीवन पर शक करना, कामनाओं के धोखे में रहना और शैतान द्वारा धोखा खाना : मुनाफ़िक़ों की विशेषताओं में से हैं। info

• خطر الغفلة المؤدية لقسوة القلوب.
• दिलों को सख़्त बना देने वाली ग़फ़लत (लापरवाही) का ख़तरा। info