Übersetzung der Bedeutungen von dem heiligen Quran - Die Übersetzung in Hindi - Azizul-Haqq Al-Umari

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85 : 7

وَاِلٰی مَدْیَنَ اَخَاهُمْ شُعَیْبًا ؕ— قَالَ یٰقَوْمِ اعْبُدُوا اللّٰهَ مَا لَكُمْ مِّنْ اِلٰهٍ غَیْرُهٗ ؕ— قَدْ جَآءَتْكُمْ بَیِّنَةٌ مِّنْ رَّبِّكُمْ فَاَوْفُوا الْكَیْلَ وَالْمِیْزَانَ وَلَا تَبْخَسُوا النَّاسَ اَشْیَآءَهُمْ وَلَا تُفْسِدُوْا فِی الْاَرْضِ بَعْدَ اِصْلَاحِهَا ؕ— ذٰلِكُمْ خَیْرٌ لَّكُمْ اِنْ كُنْتُمْ مُّؤْمِنِیْنَ ۟ۚ

तथा मद्यन[35] की ओर उनके भाई शुऐब को (भेजा)। उसने कहा : ऐ मेरी जाति के लोगो! अल्लाह की इबादत करो, उसके सिवा तुम्हारा कोई पूज्य नहीं। निःसंदेह तुम्हारे पास तुम्हारे पालनहार की ओर से एक स्पष्ट प्रमाण आ चुका है। अतः पूरा-पूरा नाप और तौलकर दो और लोगों की चीज़ों में कमी न करो। तथा धरती में उसके सुधार के पश्चात बिगाड़ न फैलाओ। यही तुम्हारे लिए बेहतर है, यदि तुम ईमानवाले हो। info

35. मद्यन एक क़बीले का नाम था। और उसी के नाम पर एक नगर बस गया, जो ह़िजाज़ के उत्तर-पश्चिम तथा फ़लस्तीन के दक्षिण में लाल सागर और अक़्बा खाड़ी के किनारे पर था। ये लोग व्यापार करते थे। प्राचीन व्यापार राजपथ, लाल सागर के किनारे यमन से मक्का तथा यंबू' होते हुए सीरिया तक जाता था।

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