7. यहाँ से यह बताया जा रहा है कि परलोक में सब को पुनः जीवित किया जाना संभव है और उसका प्रमाण दिया जा रहा है। इसी के साथ यह भी बताया जा रहा है कि इस ब्रह्मांड का स्वामी और व्यवस्थापक अल्लाह ही है, अतः पूज्य भी केवल वही है।
8. क़ुरआन ने यह कहकर कि भाषाओं और वर्ग-वर्ण का भेद अल्लाह की रचना की निशानियाँ हैं, उस भेद-भाव को सदा के लिए समाप्त कर दिया, जो पक्षपात, आपसी बैर और र्गव का आधार बनते हैं। और संसार की शांति को भंग करने का कारण होते हैं। (देखिए : सूरतुल ह़ुजुरात, आयत : 13) यदि आज भी इस्लाम की इस शिक्षा को अपना लिया जाए तो संसार शांति का गहवारा बन सकता है।