Übersetzung der Bedeutungen von dem heiligen Quran - Die Übersetzung in Hindi von Al-Mukhtasar - Eine Kurzfassung der Bedeutungen des edlen Qurans

आले इम्रान

Die Ziele der Surah:
إثبات أن دين الإسلام هو الحق ردًّا على شبهات أهل الكتاب، وتثبيتا للمؤمنين.
किताब वालों के संदेहों के जवाब में, और ईमान वालों के सुदृढ़ीकरण के रूप में, यह साबित करना कि इस्लाम धर्म ही सत्य है। info

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1 : 3

الٓمَّٓ ۟ۙۚ

{अलिफ़, लाम, मीम} इन्हें 'ह़ुरूफ़े मुक़त्तआत' कहा जाता है। इनके समान अक्षर सूरतुल-बक़रा के शुरू में भी आए हैं। ये इस प्रकार का क़ुरआन लाने में अरबों की अक्षमता को इंगित करते हैं, हालाँकि पूरा क़ुरआन उन्हीं जैसे अक्षरों से बना है, जो इस सूरत के आरंभ में आए हैं और जिनसे वे अपने शब्दों का निर्माण करते हैं। info
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2 : 3

اللّٰهُ لَاۤ اِلٰهَ اِلَّا هُوَ الْحَیُّ الْقَیُّوْمُ ۟ؕ

अल्लाह वह है जिस अकेले के सिवा कोई भी वास्तविक रूप से इबादत के लायक़ नहीं है। वह जीवित है, एक पूर्ण जीवन वाला है जिसमें कोई मृत्यु या कमी नहीं है। हर चीज़ को सँभालने वाला है, जो स्वयं क़ायम है, अतः वह अपनी सारी सृष्टि से बेनियाज़ है। जबकि सभी प्राणी उसी के द्वारा क़ायम हैं, इसलिए वे अपनी सभी स्थितियों में उससे बेनियाज़ नहीं हो सकते। info
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3 : 3

نَزَّلَ عَلَیْكَ الْكِتٰبَ بِالْحَقِّ مُصَدِّقًا لِّمَا بَیْنَ یَدَیْهِ وَاَنْزَلَ التَّوْرٰىةَ وَالْاِنْجِیْلَ ۟ۙ

3-4 - (ऐ नबी!) उसने आपपर सच्चे समाचारों और न्यायपूर्ण नियमों के साथ क़ुरआन उतारा, जो इससे पहले की ईश्वरीय पुस्तकों के अनुकूल है। अतः उनके बीच कोई विरोधाभास नहीं है। उसने आपपर क़ुरआन उतारने से पहले मूसा अलैहिस्सलाम पर तौरात और ईसा अलैहिस्सलाम पर इंजील उतारी। ये सभी ईश्वरीय पुस्तकें लोगों के लिए उस चीज़ की ओर मार्गदर्शन के स्रोत हैं, जिसमें उनके धर्म और उनकी दुनिया की भलाई है। और उसने फुरक़ान (सत्य और असत्य में अंतर करने वाला मानदंड) उतारा, जिसके द्वारा सत्य को झूठ से और मार्गदर्शन को पथभ्रष्टता से पहचाना जाता है। और जिन लोगों ने अल्लाह की उन आयतों का इनकार किया जो उसने आपपर उतारी हैं, उनके लिए बहुत कठोर यातना है। तथा अल्लाह सब पर प्रभुत्वशाली है, उसपर किसी का ज़ोर नहीं चलता। वह उससे बदला लेने वाला है, जिसने उसके रसूलों को झुठलाया और उसके आदेश का उल्लंघन किया। info
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4 : 3

مِنْ قَبْلُ هُدًی لِّلنَّاسِ وَاَنْزَلَ الْفُرْقَانَ ؕ۬— اِنَّ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا بِاٰیٰتِ اللّٰهِ لَهُمْ عَذَابٌ شَدِیْدٌ ؕ— وَاللّٰهُ عَزِیْزٌ ذُو انْتِقَامٍ ۟ؕ

3-4 - (ऐ नबी!) उसने आपपर सच्चे समाचारों और न्यायपूर्ण नियमों के साथ क़ुरआन उतारा, जो इससे पहले की ईश्वरीय पुस्तकों के अनुकूल है। अतः उनके बीच कोई विरोधाभास नहीं है। उसने आपपर क़ुरआन उतारने से पहले मूसा अलैहिस्सलाम पर तौरात और ईसा अलैहिस्सलाम पर इंजील उतारी। ये सभी ईश्वरीय पुस्तकें लोगों के लिए उस चीज़ की ओर मार्गदर्शन के स्रोत हैं, जिसमें उनके धर्म और उनकी दुनिया की भलाई है। और उसने फुरक़ान (सत्य और असत्य में अंतर करने वाला मानदंड) उतारा, जिसके द्वारा सत्य को झूठ से और मार्गदर्शन को पथभ्रष्टता से पहचाना जाता है। और जिन लोगों ने अल्लाह की उन आयतों का इनकार किया जो उसने आपपर उतारी हैं, उनके लिए बहुत कठोर यातना है। तथा अल्लाह सब पर प्रभुत्वशाली है, उसपर किसी का ज़ोर नहीं चलता। वह उससे बदला लेने वाला है, जिसने उसके रसूलों को झुठलाया और उसके आदेश का उल्लंघन किया। info
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5 : 3

اِنَّ اللّٰهَ لَا یَخْفٰی عَلَیْهِ شَیْءٌ فِی الْاَرْضِ وَلَا فِی السَّمَآءِ ۟ؕ

अल्लाह से धरती पर या आकाश में कोई चीज़ छिपी नहीं है। उसके ज्ञान ने बाहरी और आंतरिक सभी चीज़ों को घेर रखा है। info
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6 : 3

هُوَ الَّذِیْ یُصَوِّرُكُمْ فِی الْاَرْحَامِ كَیْفَ یَشَآءُ ؕ— لَاۤ اِلٰهَ اِلَّا هُوَ الْعَزِیْزُ الْحَكِیْمُ ۟

वही है जो तुम्हें तुम्हारी माताओं के पेटों में विभिन्न रूपों में पैदा करता है, जैसा वह चाहता है, चाहे पुरुष हो या महिला, अच्छा हो या बुरा, गोरा हो या काला। उसके सिवा कोई सत्य पूज्य (सच्चा मा'बूद) नहीं। वह सब पर प्रभुत्वशाली है, उसपर किसी का ज़ोर नहीं चलता। वह अपनी रचना, प्रबंधन और विधान में हिकमत वाला है। info
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7 : 3

هُوَ الَّذِیْۤ اَنْزَلَ عَلَیْكَ الْكِتٰبَ مِنْهُ اٰیٰتٌ مُّحْكَمٰتٌ هُنَّ اُمُّ الْكِتٰبِ وَاُخَرُ مُتَشٰبِهٰتٌ ؕ— فَاَمَّا الَّذِیْنَ فِیْ قُلُوْبِهِمْ زَیْغٌ فَیَتَّبِعُوْنَ مَا تَشَابَهَ مِنْهُ ابْتِغَآءَ الْفِتْنَةِ وَابْتِغَآءَ تَاْوِیْلِهٖ ؔۚ— وَمَا یَعْلَمُ تَاْوِیْلَهٗۤ اِلَّا اللّٰهُ ۘؐ— وَالرّٰسِخُوْنَ فِی الْعِلْمِ یَقُوْلُوْنَ اٰمَنَّا بِهٖ ۙ— كُلٌّ مِّنْ عِنْدِ رَبِّنَا ۚ— وَمَا یَذَّكَّرُ اِلَّاۤ اُولُوا الْاَلْبَابِ ۟

वही अल्लाह है, जिसने (ऐ नबी!) आपपर क़ुरआन उतारा। उसमें से कुछ आयतें ऐसी हैं जिनके अर्थ स्पष्ट हैं, उनमें कोई संदेह नहीं है। यही किताब का मूल और उसका अधिकांश भाग हैं और यही मतभेद के समय संदर्भ हैं। जबकि उसमें से कुछ दूसरी आयतें ऐसी हैं, जिनके एक से अधिक अर्थ हो सकते हैं, उनका अर्थ अधिकांश लोगों के लिए अस्पष्ट (संदिग्ध) होता है। फिर जिनके दिलों में सत्य से विचलन है, वे मोहकम (स्पष्ट अर्थ वाली) आयतों को छोड़कर मुतशाबेह (एक से अधिक अर्थ वाली) आयतों का पालन करते हैं; इसके द्वारा वे संदेह को भड़काने और लोगों को गुमराह करने की कोशिश करते हैं, तथा इसके द्वारा वे अपने भ्रष्ट सिद्धांतों के अनुरूप अपनी इच्छा के अनुसार इसकी व्याख्या करना चाहते हैं। हालाँकि इन आयतों के अर्थों की वास्तविकता और उनके परिणाम को अल्लाह के सिवा कोई नहीं जानता। जो लोग ज्ञान में दृढ़ हैं और उस पर पकड़ रखते हैं, कहते हैं : हम पूरे क़ुरआन पर ईमान रखते हैं; क्योंकि यह पूरा का पूरा हमारे पालनहार की ओर से है और वे मुतशाबेह आयतों की व्याख्या मोहकम आयतों के अनुसार करते हैं। तथा शुद्ध (स्वस्थ) बुद्धि वाले लोग ही नसीहत हासिल करते और उपदेश ग्रहण करते हैं। info
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8 : 3

رَبَّنَا لَا تُزِغْ قُلُوْبَنَا بَعْدَ اِذْ هَدَیْتَنَا وَهَبْ لَنَا مِنْ لَّدُنْكَ رَحْمَةً ۚ— اِنَّكَ اَنْتَ الْوَهَّابُ ۟

ये ज्ञान में दृढ़ लोग कहते हैं : ऐ हमारे पालनहार! हमारे दिलों को सत्य से न फेर, इसके बाद कि तूने हमारा उसकी ओर मार्गदर्शन किया। तथा हमें सत्य से भटकने वाले पथभ्रष्टों के परिणाम से सुरक्षित रख। और हमें अपनी ओर से एक व्यापक दया प्रदान कर, जिसके द्वारा तू हमारे दिलों का मार्गदर्शन कर और उसके द्वारा तू हमें पथभ्रष्ट होने से बचा ले। निःसंदेह - ऐ हमारे पालनहार! - तू महान दाता है। info
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9 : 3

رَبَّنَاۤ اِنَّكَ جَامِعُ النَّاسِ لِیَوْمٍ لَّا رَیْبَ فِیْهِ ؕ— اِنَّ اللّٰهَ لَا یُخْلِفُ الْمِیْعَادَ ۟۠

ऐ हमारे पालनहार! तू सभी लोगों को हिसाब के लिए अपने पास एक ऐसे दिन एकत्रित करेगा, जिसमें कोई संदेह नहीं। क्योंकि वह अनिवार्य रूप से आने वाला है। निःसंदेह - ऐ हमारे पालनहार! - तू वादाखिलाफ़ी नहीं करता। info
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Die Nutzen der Versen in dieser Seite:
• أقام الله الحجة وقطع العذر عن الخلق بإرسال الرسل وإنزال الكتب التي تهدي للحق وتحذر من الباطل.
• अल्लाह ने रसूलों को भेजकर तथा सत्य का मार्गदर्शन करने वाली और असत्य से सावधान करने वाली पुस्तकें उतारकर, तर्क स्थापित कर दिया और लोगों के उज़्र (बहाने) को समाप्त कर दिया। info

• كمال علم الله تعالى وإحاطته بخلقه، فلا يغيب عنه شيء في الأرض ولا في السماء، سواء كان ظاهرًا أو خفيًّا.
• अल्लाह तआला के ज्ञान की पूर्णता और उसका अपनी सारी सृष्टि से पूर्ण रूप से अवगत होना। चुनाँचे आकाश या ज़मीन में कोई भी चीज़ उससे ओझल नहीं है, चाहे वह प्रत्यक्ष हो या छिपी हुई। info

• من أصول أهل الإيمان الراسخين في العلم أن يفسروا ما تشابه من الآيات بما أُحْكِم منها.
• ज्ञान में दृढ़ ईमान वालों के सिद्धांतों में से एक यह है कि वे मुतशाबेह आयतों की व्याख्या मोहकम आयतों के साथ करते हैं। info

• مشروعية دعاء الله تعالى وسؤاله الثبات على الحق، والرشد في الأمر، ولا سيما عند الفتن والأهواء.
• सत्य पर दृढ़ता और मामले में सही मार्गदर्शन के लिए अल्लाह से दुआ और प्रश्न करने की वैधता, विशेष रूप से फ़ित्ने (प्रलोभन) और इच्छाओं से ग्रस्त होने के समय। info