আল-কোৰআনুল কাৰীমৰ অৰ্থানুবাদ - হিন্দি অনুবাদ- আজীজুল হক ওমৰী

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17 : 79

اِذْهَبْ اِلٰی فِرْعَوْنَ اِنَّهٗ طَغٰی ۟ؗۖ

फ़िरऔन के पास जाओ, निश्चय वह हद से बढ़ गया है। info
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18 : 79

فَقُلْ هَلْ لَّكَ اِلٰۤی اَنْ تَزَكّٰی ۟ۙ

फिर उससे कहो : क्या तुझे इस बात की इच्छा है कि तू पवित्र हो जाए? info
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19 : 79

وَاَهْدِیَكَ اِلٰی رَبِّكَ فَتَخْشٰی ۟ۚ

और मैं तेरे पालनहार की ओर तेरा मार्गदर्शन करूँ, तो तू डर जाए? info
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20 : 79

فَاَرٰىهُ الْاٰیَةَ الْكُبْرٰی ۟ؗۖ

फिर उसे सबसे बड़ी निशानी (चमत्कार) दिखाई। info
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21 : 79

فَكَذَّبَ وَعَصٰی ۟ؗۖ

तो उसने झुठला दिया और अवज्ञा की। info
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22 : 79

ثُمَّ اَدْبَرَ یَسْعٰی ۟ؗۖ

फिर वह पलटा (मूसा अलैहिस्सलाम के विरोध का) प्रयास करते हुए। info
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23 : 79

فَحَشَرَ ۫— فَنَادٰی ۟ؗۖ

फिर उसने (लोगों को) एकत्रित किया। फिर पुकारा। info
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24 : 79

فَقَالَ اَنَا رَبُّكُمُ الْاَعْلٰی ۟ؗۖ

तो उसने कहा : मैं तुम्हारा सबसे ऊँचा पालनहार हूँ। info
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25 : 79

فَاَخَذَهُ اللّٰهُ نَكَالَ الْاٰخِرَةِ وَالْاُوْلٰی ۟ؕ

तो अल्लाह ने उसे आख़िरत और दुनिया की यातना में पकड़ लिया। info
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26 : 79

اِنَّ فِیْ ذٰلِكَ لَعِبْرَةً لِّمَنْ یَّخْشٰی ۟ؕ۠

निःसंदेह इसमें उस व्यक्ति के लिए शिक्षा है, जो डरता है। info
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27 : 79

ءَاَنْتُمْ اَشَدُّ خَلْقًا اَمِ السَّمَآءُ ؕ— بَنٰىهَا ۟۫

क्या तुम्हें पैदा करना अधिक कठिन है या आकाश को, जिसे उसने बनाया।[3] info

3. (16-27) यहाँ से प्रलय के होने और पुनः जीवित करने के तर्क आकाश तथा धरती की रचना से दिए जा रहे हैं कि जिस शक्ति ने यह सब बनाया और तुम्हारे जीवन रक्षा की व्यवस्था की है, प्रलय करना और फिर सब को जीवित करना उसके लिए असंभव कैसे हो सकता है? तुम स्वयं विचार करके निर्णय करो।

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28 : 79

رَفَعَ سَمْكَهَا فَسَوّٰىهَا ۟ۙ

उसकी छत को ऊँचा किया, फिर उसे बराबर किया। info
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29 : 79

وَاَغْطَشَ لَیْلَهَا وَاَخْرَجَ ضُحٰىهَا ۪۟

और उसकी रात को अंधेरा कर दिया तथा उसके दिन के प्रकाश को प्रकट कर दिया। info
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30 : 79

وَالْاَرْضَ بَعْدَ ذٰلِكَ دَحٰىهَا ۟ؕ

और उसके बाद धरती को बिछाया। info
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31 : 79

اَخْرَجَ مِنْهَا مَآءَهَا وَمَرْعٰىهَا ۪۟

उससे उसका पानी और उसका चारा निकाला। info
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32 : 79

وَالْجِبَالَ اَرْسٰىهَا ۟ۙ

और पर्वतों को गाड़ दिया। info
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33 : 79

مَتَاعًا لَّكُمْ وَلِاَنْعَامِكُمْ ۟ؕ

तुम्हारे तथा तुम्हारे पशुओं के लाभ के लिए। info
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34 : 79

فَاِذَا جَآءَتِ الطَّآمَّةُ الْكُبْرٰی ۟ؗۖ

फिर जब बड़ी आपदा (क़ियामत) आ जाएगी।[4] info

4. (28-34) 'बड़ी आपदा' प्रलय को कहा गया है जो उसकी घोर स्थिति का चित्रण है।

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35 : 79

یَوْمَ یَتَذَكَّرُ الْاِنْسَانُ مَا سَعٰی ۟ۙ

जिस दिन इनसान अपने किए को याद करेगा।[5] info

5. (35) यह प्रलय का तीसरा चरण होगा जबकि वह सामने होगी। उस दिन प्रत्येक व्यक्ति को अपने सांसारिक कर्म याद आएँगे और कर्मानुसार जिसने सत्य धर्म की शिक्षा का पालन किया होगा उसे स्वर्ग का सुख मिलेगा और जिसने सत्य धर्म और नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को नकारा और मनमानी धर्म और कर्म किया होगा वह नरक का स्थायी दुःख भोगेगा।

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36 : 79

وَبُرِّزَتِ الْجَحِیْمُ لِمَنْ یَّرٰی ۟

और देखने वाले के लिए जहन्नम सामने कर दी जाएगी। info
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37 : 79

فَاَمَّا مَنْ طَغٰی ۟ۙ

तो जो व्यक्ति हद से बढ़ गया। info
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38 : 79

وَاٰثَرَ الْحَیٰوةَ الدُّنْیَا ۟ۙ

और उसने सांसारिक जीवन को वरीयता दी। info
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39 : 79

فَاِنَّ الْجَحِیْمَ هِیَ الْمَاْوٰی ۟ؕ

तो निःसंदेह जहन्नम ही उसका ठिकाना है। info
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40 : 79

وَاَمَّا مَنْ خَافَ مَقَامَ رَبِّهٖ وَنَهَی النَّفْسَ عَنِ الْهَوٰی ۟ۙ

लेकिन जो अपने पालनहार के समक्ष खड़ा होने से डर गया तथा अपने मन को बुरी इच्छा से रोक लिया। info
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41 : 79

فَاِنَّ الْجَنَّةَ هِیَ الْمَاْوٰی ۟ؕ

तो निःसंदेह जन्नत ही उसका ठिकाना है। info
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42 : 79

یَسْـَٔلُوْنَكَ عَنِ السَّاعَةِ اَیَّانَ مُرْسٰىهَا ۟ؕ

वे आपसे क़ियामत के बारे में पूछते हैं कि वह कब घटित होगी?[6] info

6. (42) काफ़िरों का यह प्रश्न समय जानने के लिए नहीं, बल्कि हँसी उड़ाने के लिए था।

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43 : 79

فِیْمَ اَنْتَ مِنْ ذِكْرٰىهَا ۟ؕ

आपका उसके उल्लेख करने से क्या संबंध है? info
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44 : 79

اِلٰی رَبِّكَ مُنْتَهٰىهَا ۟ؕ

उस (के ज्ञान) की अंतिमता तुम्हारे पालनहार ही की ओर है। info
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45 : 79

اِنَّمَاۤ اَنْتَ مُنْذِرُ مَنْ یَّخْشٰىهَا ۟ؕ

आप तो केवल उसे डराने वाले हैं, जो उससे डरता है।[7] info

7. (45) इस आयत में कहा गया है कि (ऐ नबी!) सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम आप का दायित्व मात्र उस दिन से सावधान करना है। धर्म बलपूर्वक मनवाने के लिए नहीं। जो नहीं मानेगा, उसे स्वयं उस दिन समझ में आ जाएगा कि उसने क्षण भर के सांसारिक जीवन के स्वार्थ के लिए अपना स्थायी सुख खो दिया। और उस समय पछतावे का कुछ लाभ नहीं होगा।

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46 : 79

كَاَنَّهُمْ یَوْمَ یَرَوْنَهَا لَمْ یَلْبَثُوْۤا اِلَّا عَشِیَّةً اَوْ ضُحٰىهَا ۟۠

जिस दिन वे उसे देखेंगे, तो (ऐसा लगेगा) मानो वे (दुनिया में) केवल एक शाम या उसकी सुबह ही ठहरे हैं। info
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