ترجمة معاني القرآن الكريم - الترجمة الهندية - عزيز الحق العمري

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32 : 52

اَمْ تَاْمُرُهُمْ اَحْلَامُهُمْ بِهٰذَاۤ اَمْ هُمْ قَوْمٌ طَاغُوْنَ ۟ۚ

क्या उन्हें उनकी बुद्धियाँ इस बात का आदेश देती हैं, ये वे स्वयं ही सरकश लोग हैं? info
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33 : 52

اَمْ یَقُوْلُوْنَ تَقَوَّلَهٗ ۚ— بَلْ لَّا یُؤْمِنُوْنَ ۟ۚ

या वे कहते हैं कि उसने इसे स्वयं गढ़ लिया है? बल्कि वे ईमान नहीं लाते। info
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34 : 52

فَلْیَاْتُوْا بِحَدِیْثٍ مِّثْلِهٖۤ اِنْ كَانُوْا صٰدِقِیْنَ ۟ؕ

तो फिर वे इस (क़ुरआन) के समान एक ही बात बनाकर ले आएँ, यदि वे सच्चे हैं। info
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35 : 52

اَمْ خُلِقُوْا مِنْ غَیْرِ شَیْءٍ اَمْ هُمُ الْخٰلِقُوْنَ ۟ؕ

या वे बिना किसी चीज़ के[10] पैदा हो गए हैं, या वे (स्वयं) पैदा करने वाले हैं? info

10. जुबैर बिन मुतइम कहते हैं कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) मग़्रिब की नमाज़ में सूरतुत्- तूर पढ़ रहे थे। जब इन आयतों पर पहुँचे तो मेरे दिल की दशा यह हुई कि वह उड़ जाएगा। (सह़ीह़ बुख़ारी : 4854)

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36 : 52

اَمْ خَلَقُوا السَّمٰوٰتِ وَالْاَرْضَ ۚ— بَلْ لَّا یُوْقِنُوْنَ ۟ؕ

या उन्होंने आकाशों और धरती को पैदा किया है? बल्कि वे विश्वास ही नहीं करते। info
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37 : 52

اَمْ عِنْدَهُمْ خَزَآىِٕنُ رَبِّكَ اَمْ هُمُ الْمُصَۜیْطِرُوْنَ ۟ؕ

या उनके पास आपके पालनहार के ख़ज़ाने हैं, या वही अधिकार चलाने वाले हैं? info
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38 : 52

اَمْ لَهُمْ سُلَّمٌ یَّسْتَمِعُوْنَ فِیْهِ ۚ— فَلْیَاْتِ مُسْتَمِعُهُمْ بِسُلْطٰنٍ مُّبِیْنٍ ۟ؕ

या उनके पास कोई सीढ़ी है, जिसपर वे अच्छी तरह सुन[11] लेते हैं? तो उनके सुनने वाले को चाहिए कि वह कोई स्पष्ट प्रमाण प्रस्तुत करे। info

11. अर्थात आकाश की बातें। और जब उनके पास आकाश की बातें जानने का कोई साधन नहीं, तो ये लोग अल्लाह, फ़रिश्ते और धर्म की बातें किस आधार पर करते हैं?

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39 : 52

اَمْ لَهُ الْبَنٰتُ وَلَكُمُ الْبَنُوْنَ ۟ؕ

या उस (अल्लाह) के लिए तो बेटियाँ है और तुम्हारे लिए बेटे? info
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40 : 52

اَمْ تَسْـَٔلُهُمْ اَجْرًا فَهُمْ مِّنْ مَّغْرَمٍ مُّثْقَلُوْنَ ۟ؕ

या आप उनसे कोई पारिश्रमिक[12] माँगते हैं? तो वे उस तावान के बोझ से दबे जा रहे हैं। info

12. अर्थात सत्धर्म के प्रचार पर।

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41 : 52

اَمْ عِنْدَهُمُ الْغَیْبُ فَهُمْ یَكْتُبُوْنَ ۟ؕ

या उनके पास परोक्ष (का ज्ञान) है? तो वे उसे लिखते[13] रहते हैं। info

13. इसीलिए इस वह़्य (क़ुरआन) को नहीं मानते हैं।

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42 : 52

اَمْ یُرِیْدُوْنَ كَیْدًا ؕ— فَالَّذِیْنَ كَفَرُوْا هُمُ الْمَكِیْدُوْنَ ۟ؕ

या वे कोई चाल चलना चाहते हैं? तो जिन लोगों ने इनकार किया, वही चाल में आने वाले हैं। info
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43 : 52

اَمْ لَهُمْ اِلٰهٌ غَیْرُ اللّٰهِ ؕ— سُبْحٰنَ اللّٰهِ عَمَّا یُشْرِكُوْنَ ۟

या उनका अल्लाह के सिवा कोई पूज्य है? पवित्र है अल्लाह उससे जो वे साझी ठहराते हैं। info
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44 : 52

وَاِنْ یَّرَوْا كِسْفًا مِّنَ السَّمَآءِ سَاقِطًا یَّقُوْلُوْا سَحَابٌ مَّرْكُوْمٌ ۟

और यदि वे आकाश से कोई टुकड़ा गिरता हुआ देख लें, तो कह देंगे कि यह परत दर परत बादल है।[14] info

14. अर्थात तब भी अपने कुफ़्र से नहीं रुकेंगे जब तक कि उनपर यातना न आ जाए।

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45 : 52

فَذَرْهُمْ حَتّٰی یُلٰقُوْا یَوْمَهُمُ الَّذِیْ فِیْهِ یُصْعَقُوْنَ ۟ۙ

अतः आप उन्हें छोड़ दें, यहाँ तक कि वे अपने उस दिन को जा मिलें, जिसमें[15] वे बेहोश किए जाएँगे। info

15. अर्थात प्रलय के दिन।

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46 : 52

یَوْمَ لَا یُغْنِیْ عَنْهُمْ كَیْدُهُمْ شَیْـًٔا وَّلَا هُمْ یُنْصَرُوْنَ ۟ؕ

जिस दिन न तो उनकी चाल काम आएगी और न उनकी सहायता की जाएगी। info
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47 : 52

وَاِنَّ لِلَّذِیْنَ ظَلَمُوْا عَذَابًا دُوْنَ ذٰلِكَ وَلٰكِنَّ اَكْثَرَهُمْ لَا یَعْلَمُوْنَ ۟

तथा निश्चय उन लोगों के लिए जिन्होंने अत्याचार किया, उस (आख़िरत) से पहले भी एक यातना[16] है। परंतु उनमें से अक्सर लोग नहीं जानते। info

16. इससे संकेत सांसारिक यातनाओं की ओर है। (देखिए : सूरतुस-सजदा, आयत : 21)

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48 : 52

وَاصْبِرْ لِحُكْمِ رَبِّكَ فَاِنَّكَ بِاَعْیُنِنَا وَسَبِّحْ بِحَمْدِ رَبِّكَ حِیْنَ تَقُوْمُ ۟ۙ

और (ऐ नबी!) आप अपने पालनहार का आदेश आने तक धैर्य रखें। निःसंदेह आप हमारी आँखों के सामने हैं। तथा जब आप उठें, तो अपने रब की प्रशंसा के साथ उसकी पवित्रता बयान करें। info
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49 : 52

وَمِنَ الَّیْلِ فَسَبِّحْهُ وَاِدْبَارَ النُّجُوْمِ ۟۠

तथा रात के कुछ भाग में फिर उसकी पवित्रता का वर्णन करें और सितारों के चले जाने के बाद भी।[17] info

17. रात्रि में तथा तारों के डूबने के बाद से संकेत मग़्रिब तथा इशा और फ़ज्र की नमाज़ की ओर है जिनमें ये सब नमाजें पढ़ी जाती हैं।

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