ترجمة معاني القرآن الكريم - الترجمة الهندية للمختصر في تفسير القرآن الكريم

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9 : 66

یٰۤاَیُّهَا النَّبِیُّ جَاهِدِ الْكُفَّارَ وَالْمُنٰفِقِیْنَ وَاغْلُظْ عَلَیْهِمْ ؕ— وَمَاْوٰىهُمْ جَهَنَّمُ ؕ— وَبِئْسَ الْمَصِیْرُ ۟

ऐ रसूल, काफ़िरों से तलवार के द्वारा तथा मुनाफ़िकों से ज़बान के द्वारा और हदें (शरई दंड) क़ायम करके जिहाद करें। और उनपर सख़्ती करें, ताकि वे आपका भय महसूस करें। और उनका ठिकाना, जहाँ वे क़ियामत के दिन शरण लेंगे, जहन्नम है, और उनका वह ठिकाना बहुत बुरा ठिकाना है, जहाँ वे लौटकर जाएँगे। info
التفاسير:
من فوائد الآيات في هذه الصفحة:
• التوبة النصوح سبب لكل خير.
• सच्ची तौबा हर भलाई का कारण है। info

• في اقتران جهاد العلم والحجة وجهاد السيف دلالة على أهميتهما وأنه لا غنى عن أحدهما.
• ज्ञान एवं तर्क के जिहाद तथा तलवार के जिहाद का एक साथ उल्लेख करना, उन दोनों के महत्व को इंगित करता है और यह कि उनमें से कोई भी छोड़ने योग्य नहीं है। info

• القرابة بسبب أو نسب لا تنفع صاحبها يوم القيامة إذا فرّق بينهما الدين.
• किसी कारण या वंश की वजह से रिश्तेदारी इनसान को क़ियामत के दिन लाभ नहीं देगी यदि उन दोनों का धर्म अलग-अलग है। info

• العفاف والبعد عن الريبة من صفات المؤمنات الصالحات.
• पाकदामनी और संदेह से दूरी नेक मोमिन स्त्रियों की विशेषताएँ हैं। info