《古兰经》译解 - 印度语翻译 - 阿齐兹·哈克·奥马里。

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108 : 5

ذٰلِكَ اَدْنٰۤی اَنْ یَّاْتُوْا بِالشَّهَادَةِ عَلٰی وَجْهِهَاۤ اَوْ یَخَافُوْۤا اَنْ تُرَدَّ اَیْمَانٌ بَعْدَ اَیْمَانِهِمْ ؕ— وَاتَّقُوا اللّٰهَ وَاسْمَعُوْا ؕ— وَاللّٰهُ لَا یَهْدِی الْقَوْمَ الْفٰسِقِیْنَ ۟۠

यह अधिक निकट है कि वे गवाही को उसके (वास्तविक) तरीक़े पर दें, अथवा इस बात से डरें कि (उनकी) क़समें उन (संबंधियों) की क़समों के बाद रद्द कर दी जाएँगी तथा अल्लाह से डरो और सुनो और अल्लाह अवज्ञाकारियों को मार्गदर्शन प्रदान नहीं करता।[73] info

73. आयत 106 से 108 तक में वसिय्यत तथा उसके साक्ष्य का नियम बताया जा रहा है कि दो विश्वस्त व्यक्तियों को साक्षी बनाया जाए, और यदि मुसलमान न मिलें तो ग़ैर मुस्लिम भी साक्षी हो सकते हैं। साक्षियों को शपथ के साथ साक्ष्य देना चाहिए। विवाद की दशा में दोनों पक्ष अपने-अपने साक्षी लाएँ, जो इनकार करे उसपर शपथ है।

التفاسير: