《古兰经》译解 - 印地语古兰经简明注释。

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47 : 10

وَلِكُلِّ اُمَّةٍ رَّسُوْلٌ ۚ— فَاِذَا جَآءَ رَسُوْلُهُمْ قُضِیَ بَیْنَهُمْ بِالْقِسْطِ وَهُمْ لَا یُظْلَمُوْنَ ۟

पिछले समुदायों में से प्रत्येक समुदाय के लिए एक रसूल था, जो उनकी ओर भेजा गया था। फिर जब उस (रसूल) ने उन्हें वह संदेश पहुँचा दिया, जिसे पहुँचाने का उसे आदेश दिया गया था और लोगों ने उसे झुठला दिया, तो उनके तथा रसूल के बीच न्याय के साथ फ़ैसला कर दिया गया। चुनाँचे अल्लाह ने अपनी कृपा से रसूल को बचा लिया और अपने न्याय से उन लोगों को नष्ट कर दिया। तथा उनके कर्मों का बदला देने में उनके साथ कुछ भी अन्याय नहीं किया जाता। info
التفاسير:
这业中每段经文的优越:
• الإنسان هو الذي يورد نفسه موارد الهلاك، فالله مُنَزَّه عن الظلم.
• मनुष्य स्वयं ही अपने आपको विनाश की जगहों में लाता है, क्योंकि अल्लाह अत्याचार से परे है। info

• مهمة الرسول هي التبليغ للمرسل إليهم، والله يتولى حسابهم وعقابهم بحكمته، فقد يعجله في حياة الرسول أو يؤخره بعد وفاته.
• रसूल का कार्य उन लोगों को अल्लाह का संदेश पहुँचा देना है, जिनकी ओर उसे भेजा गया है, जबकि अल्लाह उनके हिसाब का प्रभार लेता है और अपनी हिकमत के अनुसार उन्हें दंडित करता है। चुनाँचे कभी रसूल के जीवनकाल ही में दंडित कर देता है और कभी उसकी मृत्यु के बाद विलंबित कर देता है। info

• النفع والضر بيد الله عز وجل، فلا أحد من الخلق يملك لنفسه أو لغيره ضرًّا ولا نفعًا.
• लाभ और हानि सर्वशक्तिमान अल्लाह के हाथ में है। अतः सृष्टि में से कोई भी अपने लिए या दूसरों के लिए हानि या लाभ का अधिकार नहीं रखता। info

• لا ينفع الإيمان صاحبه عند معاينة الموت.
•मृत्यु को देखकर ईमान लाने से इनसान को कोई फ़ायदा नहीं होगा। info