அல்குர்ஆன் மொழிபெயர்ப்பு - இந்தி மொழிபெயர்ப்பு - அஜீஜுல் ஹக் அல் உமரீ

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144 : 7

قَالَ یٰمُوْسٰۤی اِنِّی اصْطَفَیْتُكَ عَلَی النَّاسِ بِرِسٰلٰتِیْ وَبِكَلَامِیْ ۖؗ— فَخُذْ مَاۤ اٰتَیْتُكَ وَكُنْ مِّنَ الشّٰكِرِیْنَ ۟

अल्लाह ने कहा : ऐ मूसा! निःसंदेह मैंने तुम्हें अपने संदेशों तथा अपने वार्तालाप के साथ लोगों पर चुन लिया है। अतः जो कुछ मैंने तुम्हें प्रदान किया है, उसे ले लो और आभार प्रकट करने वालों में से हो जाओ। info
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145 : 7

وَكَتَبْنَا لَهٗ فِی الْاَلْوَاحِ مِنْ كُلِّ شَیْءٍ مَّوْعِظَةً وَّتَفْصِیْلًا لِّكُلِّ شَیْءٍ ۚ— فَخُذْهَا بِقُوَّةٍ وَّاْمُرْ قَوْمَكَ یَاْخُذُوْا بِاَحْسَنِهَا ؕ— سَاُورِیْكُمْ دَارَ الْفٰسِقِیْنَ ۟

और हमने उसके लिए तख़्तियों पर हर चीज़ से संबंधित निर्देश और हर चीज़ का विवरण लिख दिया। (तथा कह दिया कि) इसे मज़बूती से पकड़ लो और अपनी जाति को आदेश दो कि वे उसके उत्तम निर्देशों का पालन करें। शीघ्र ही मैं तुम्हें अवज्ञाकारियों का घर दिखाऊँगा। info
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146 : 7

سَاَصْرِفُ عَنْ اٰیٰتِیَ الَّذِیْنَ یَتَكَبَّرُوْنَ فِی الْاَرْضِ بِغَیْرِ الْحَقِّ ؕ— وَاِنْ یَّرَوْا كُلَّ اٰیَةٍ لَّا یُؤْمِنُوْا بِهَا ۚ— وَاِنْ یَّرَوْا سَبِیْلَ الرُّشْدِ لَا یَتَّخِذُوْهُ سَبِیْلًا ۚ— وَاِنْ یَّرَوْا سَبِیْلَ الْغَیِّ یَتَّخِذُوْهُ سَبِیْلًا ؕ— ذٰلِكَ بِاَنَّهُمْ كَذَّبُوْا بِاٰیٰتِنَا وَكَانُوْا عَنْهَا غٰفِلِیْنَ ۟

मैं अपनी आयतों (निशानियों) से उन लोगों[48] को फेर दूँगा, जो धरती में नाहक़ बड़े बनते[49] हैं। और यदि वे प्रत्येक निशानी देख लें, तब भी उसपर ईमान नहीं लाते। और यदि वे भलाई का मार्ग देख लें, तो उसे मार्ग नहीं बनाते और यदि गुमराही का मार्ग देखें, तो उसे मार्ग बना लेते हैं। यह इस कारण कि उन्होंने हमारी आयतों (निशानियों) को झुठलाया और वे उनसे ग़ाफ़िल थे। info

48. अर्थात तुम्हें उनपर विजय दूँगा जो अवज्ञाकारी हैं, जैसे उस समय की अमालिक़ा इत्यादि जातियों पर। 49. अर्थात जो जान-बूझकर अवज्ञा करेगा, अल्लाह का नियम यही है कि वह तर्कों तथा प्रकाशों से प्रभावित होने की योग्यता खो देगा। इस का यह अर्थ नहीं कि अल्लाह किसी को अकारण कुपथ पर बाध्य कर देता है।

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147 : 7

وَالَّذِیْنَ كَذَّبُوْا بِاٰیٰتِنَا وَلِقَآءِ الْاٰخِرَةِ حَبِطَتْ اَعْمَالُهُمْ ؕ— هَلْ یُجْزَوْنَ اِلَّا مَا كَانُوْا یَعْمَلُوْنَ ۟۠

और जिन लोगों ने हमारी आयतों तथा परलोक (में हमसे) मिलने को झुठलाया, उनके कर्म व्यर्थ हो गए और उन्हें उसी का बदला मिलेगा, जो वे किया करते थे। info
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148 : 7

وَاتَّخَذَ قَوْمُ مُوْسٰی مِنْ بَعْدِهٖ مِنْ حُلِیِّهِمْ عِجْلًا جَسَدًا لَّهٗ خُوَارٌ ؕ— اَلَمْ یَرَوْا اَنَّهٗ لَا یُكَلِّمُهُمْ وَلَا یَهْدِیْهِمْ سَبِیْلًا ۘ— اِتَّخَذُوْهُ وَكَانُوْا ظٰلِمِیْنَ ۟

और मूसा की जाति ने उसके (पर्वत पर जाने के) पश्चात् अपने ज़ेवरों से एक बछड़ा बना लिया, जो एक शरीर था, जिसकी गाय जैसी आवाज़ थी। क्या उन्होंने यह नहीं देखा कि वह न तो उनसे बात करता[50] है और न उन्हें कोई राह दिखाता है? उन्होंने उसे (पूज्य) बना लिया तथा वे अत्याचारी थे। info

50. अर्थात उससे एक ही प्रकार की ध्वनि क्यों निकलती है। बाबिल और मिस्र में भी प्राचीन युग में गाय-बैल की पूजा हो रही थी। और यदि बाबिल की सभ्यता को प्राचीन मान लिया जाए तो यह विचार दूसरे देशों में वहीं से फैला होगा।

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149 : 7

وَلَمَّا سُقِطَ فِیْۤ اَیْدِیْهِمْ وَرَاَوْا اَنَّهُمْ قَدْ ضَلُّوْا ۙ— قَالُوْا لَىِٕنْ لَّمْ یَرْحَمْنَا رَبُّنَا وَیَغْفِرْ لَنَا لَنَكُوْنَنَّ مِنَ الْخٰسِرِیْنَ ۟

और जब वे (अपने किए पर) लज्जित हुए और उन्होंने देखा कि निःसंदेह वे तो पथभ्रष्ट हो गए हैं। तो कहने लगे : यदि हमारे पालनहार ने हमपर दया नहीं की और हमें क्षमा नहीं किया, तो हम अवश्य घाटा उठाने वालों में से हो जाएँगे। info
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