அல்குர்ஆன் மொழிபெயர்ப்பு - இந்தி மொழிபெயர்ப்பு - அஜீஜுல் ஹக் அல் உமரீ

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160 : 26

كَذَّبَتْ قَوْمُ لُوْطِ ١لْمُرْسَلِیْنَ ۟ۚۖ

लूत की जाति ने रसूलों को झुठलाया। info
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161 : 26

اِذْ قَالَ لَهُمْ اَخُوْهُمْ لُوْطٌ اَلَا تَتَّقُوْنَ ۟ۚ

जब उनके भाई लूत ने उनसे कहा : क्या तुम डरते नहीं हो? info
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162 : 26

اِنِّیْ لَكُمْ رَسُوْلٌ اَمِیْنٌ ۟ۙ

निःसंदेह मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ। info
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163 : 26

فَاتَّقُوا اللّٰهَ وَاَطِیْعُوْنِ ۟ۚ

अतः तुम अल्लाह से डरो और मेरी बात मानो। info
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164 : 26

وَمَاۤ اَسْـَٔلُكُمْ عَلَیْهِ مِنْ اَجْرٍ ۚ— اِنْ اَجْرِیَ اِلَّا عَلٰی رَبِّ الْعٰلَمِیْنَ ۟ؕ

मैं इस (कार्य) पर तुमसे कोई पारिश्रमिक (बदला) नहीं माँगता, मेरा बदला तो केवल सारे संसारों के पालनहार पर है। info
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165 : 26

اَتَاْتُوْنَ الذُّكْرَانَ مِنَ الْعٰلَمِیْنَ ۟ۙ

क्या सभी संसारों में से तुम पुरुषों के पास आते[26] हो। info

26. इस कुकर्म का आरंभ संसार में लूत (अलैहिस्सलाम) की जाति से हुआ। और अब यह कुकर्म पूरे विश्व में विशेष रूप से यूरोपीय देशों में व्यापक है। और समलैंगिक विवाह को यूरोप के बहुत-से देशों में वैध मान लिया गया है। जिसके कारण कभी भी उन पर अल्लाह की यातना आ सकती है।

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166 : 26

وَتَذَرُوْنَ مَا خَلَقَ لَكُمْ رَبُّكُمْ مِّنْ اَزْوَاجِكُمْ ؕ— بَلْ اَنْتُمْ قَوْمٌ عٰدُوْنَ ۟

तथा उन्हें छोड़ देते हो, जो तुम्हारे पालनहार ने तुम्हारे लिए तुम्हारी पत्नियाँ पैदा की हैं। बल्कि तुम हद से आगे बढ़ने वाले लोग हो। info
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167 : 26

قَالُوْا لَىِٕنْ لَّمْ تَنْتَهِ یٰلُوْطُ لَتَكُوْنَنَّ مِنَ الْمُخْرَجِیْنَ ۟

उन्होंने कहा : ऐ लूत! निःसंदेह यदि तू नहीं रुका, तो निश्चित रूप से तू अवश्य निष्कासित लोगों में से हो जाएगा। info
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168 : 26

قَالَ اِنِّیْ لِعَمَلِكُمْ مِّنَ الْقَالِیْنَ ۟ؕ

उसने कहा : निःसंदेह मैं तुम्हारे काम से सख़्त घृणा करने वालों में से हूँ। info
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169 : 26

رَبِّ نَجِّنِیْ وَاَهْلِیْ مِمَّا یَعْمَلُوْنَ ۟

ऐ मेरे पालनहार! मुझे तथा मेरे घर वालों को उससे बचा ले, जो ये करते हैं। info
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170 : 26

فَنَجَّیْنٰهُ وَاَهْلَهٗۤ اَجْمَعِیْنَ ۟ۙ

तो हमने उसे और उसके सभी घर वालों को बचा लिया। info
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171 : 26

اِلَّا عَجُوْزًا فِی الْغٰبِرِیْنَ ۟ۚ

सिवाय एक बुढ़िया[27] के, जो पीछे रहने वालों में से थी। info

27. इससे अभिप्रेत लूत (अलैहिस्सलाम) की काफ़िर पत्नी थी।

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172 : 26

ثُمَّ دَمَّرْنَا الْاٰخَرِیْنَ ۟ۚ

फिर हमने दूसरों को विनष्ट कर दिया। info
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173 : 26

وَاَمْطَرْنَا عَلَیْهِمْ مَّطَرًا ۚ— فَسَآءَ مَطَرُ الْمُنْذَرِیْنَ ۟

और हमने उनपर ज़ोरदार बारिश[28] बरसाई। तो उन लोगों की बारिश बहुत बुरी थी, जिन्हें डराया गया था। info

28. अर्थात पत्थरों की बारिश। (देखिए : सूरत हूद, आयत : 82-83)

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174 : 26

اِنَّ فِیْ ذٰلِكَ لَاٰیَةً ؕ— وَمَا كَانَ اَكْثَرُهُمْ مُّؤْمِنِیْنَ ۟

निःसंदेह इसमें निश्चय एक बड़ी निशानी है। और उनमें से अधिकतर ईमानवाले नहीं थे। info
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175 : 26

وَاِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِیْزُ الرَّحِیْمُ ۟۠

और निःसंदेह आपका पालनहार, निश्चय वही सबपर प्रभुत्वशाली, अत्यंत दयावान् है। info
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176 : 26

كَذَّبَ اَصْحٰبُ لْـَٔیْكَةِ الْمُرْسَلِیْنَ ۟ۚۖ

ऐका[29] वालों ने रसूलों को झुठलाया। info

29. ऐका का अर्थ झाड़ी है। यह मदयन का क्षेत्र है जिसमें शुऐब अलैहिस्सलाम को भेजा गया था।

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177 : 26

اِذْ قَالَ لَهُمْ شُعَیْبٌ اَلَا تَتَّقُوْنَ ۟ۚ

जब उनसे शुऐब ने कहा : क्या तुम डरते नहीं हो? info
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178 : 26

اِنِّیْ لَكُمْ رَسُوْلٌ اَمِیْنٌ ۟ۙ

निःसंदेह मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ। info
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179 : 26

فَاتَّقُوا اللّٰهَ وَاَطِیْعُوْنِ ۟ۚ

अतः तुम अल्लाह से डरो और मेरी बात मानो। info
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180 : 26

وَمَاۤ اَسْـَٔلُكُمْ عَلَیْهِ مِنْ اَجْرٍ ۚ— اِنْ اَجْرِیَ اِلَّا عَلٰی رَبِّ الْعٰلَمِیْنَ ۟ؕ

मैं इस (कार्य) पर तुमसे कोई पारिश्रमिक (बदला) नहीं माँगता, मेरा बदला तो केवल सारे संसारों के पालनहार पर है। info
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181 : 26

اَوْفُوا الْكَیْلَ وَلَا تَكُوْنُوْا مِنَ الْمُخْسِرِیْنَ ۟ۚ

नाप पूरा दो और कम देने वालों में से न बनो। info
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182 : 26

وَزِنُوْا بِالْقِسْطَاسِ الْمُسْتَقِیْمِ ۟ۚ

और सीधे तराज़ू से तोलो। info
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183 : 26

وَلَا تَبْخَسُوا النَّاسَ اَشْیَآءَهُمْ وَلَا تَعْثَوْا فِی الْاَرْضِ مُفْسِدِیْنَ ۟ۚ

और लाेगों को उनका सामान कम न दो। और धरती में उपद्रव फैलाते मत फिरो। info
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