د قرآن کریم د معناګانو ژباړه - هندي ژباړه - عزيز الحق عمري

अल्-ब-क़-रा

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1 : 2

الٓمّٓ ۟ۚ

अलिफ़, लाम, मीम। info
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2 : 2

ذٰلِكَ الْكِتٰبُ لَا رَیْبَ ۖۚۛ— فِیْهِ ۚۛ— هُدًی لِّلْمُتَّقِیْنَ ۟ۙ

यह (क़ुरआन) वह पुस्तक है, जिसमें कोई संदेह नहीं, परहेज़गारों के लिए सर्वथा मार्गदर्शन है। info
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3 : 2

الَّذِیْنَ یُؤْمِنُوْنَ بِالْغَیْبِ وَیُقِیْمُوْنَ الصَّلٰوةَ وَمِمَّا رَزَقْنٰهُمْ یُنْفِقُوْنَ ۟ۙ

वे लोग जो ग़ैब (परोक्ष)[1] पर ईमान लाते हैं, और नमाज़ की स्थापना करते हैं और जो कुछ हमने उन्हें दिया है, उसमें से ख़र्च करते हैं। info

1. इस्लाम की परिभाषा में, अल्लाह, उसके फ़रिश्तों, उसकी पुस्तकों, उसके रसूलों तथा अंतिम दिन (प्रलय) और अच्छे-बुरे भाग्य पर ईमान (विश्वास) को 'ईमान बिल ग़ैब' कहा गया है। (इब्ने कसीर)

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4 : 2

وَالَّذِیْنَ یُؤْمِنُوْنَ بِمَاۤ اُنْزِلَ اِلَیْكَ وَمَاۤ اُنْزِلَ مِنْ قَبْلِكَ ۚ— وَبِالْاٰخِرَةِ هُمْ یُوْقِنُوْنَ ۟ؕ

तथा जो उसपर ईमान लाते हैं जो तुम्हारी ओर उतारा गया और जो तुमसे पहले उतारा गया[2] और आख़िरत[3] पर वही लोग विश्वास रखते हैं। info

2. अर्थात तौरात, इंजील तथा अन्य आकाशीय पुस्तकें। 3.आख़िरत पर ईमान का अर्थ है : प्रलय तथा उसके पश्चात् फिर जीवित किये जाने तथा कर्मों के ह़िसाब एवं स्वर्ग तथा नरक पर विश्वास करना।

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5 : 2

اُولٰٓىِٕكَ عَلٰی هُدًی مِّنْ رَّبِّهِمْ ۗ— وَاُولٰٓىِٕكَ هُمُ الْمُفْلِحُوْنَ ۟

यही लोग अपने पालनहार के बताए हुए मार्ग पर हैं तथा यही लोग सफल हैं। info
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