د قرآن کریم د معناګانو ژباړه - هندي ژبې ته د المختصر في تفسیر القرآن الکریم ژباړه.

अल्-जिन्न

د سورت د مقصدونو څخه:
إبطال دين المشركين، ببيان حال الجنّ وإيمانهم بعد سماع القرآن.
क़ुरआन सुनने के बाद जिन्नों की स्थिति और उनके ईमान लाने का वर्णन करके, बहुदेववादियों के धर्म को असत्य ठहराना। info

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1 : 72

قُلْ اُوْحِیَ اِلَیَّ اَنَّهُ اسْتَمَعَ نَفَرٌ مِّنَ الْجِنِّ فَقَالُوْۤا اِنَّا سَمِعْنَا قُرْاٰنًا عَجَبًا ۟ۙ

(ऐ रसूल) आप अपनी उम्मत से कह दें : अल्लाह ने मेरी तरफ़ यह वह़्य (प्रकाशना) की है कि जिन्नों के एक समूह ने 'नख़ला' नामी स्थान में, मेरे क़ुरआन के पाठ को सुना। उसके बाद जब वे अपनी जाति की ओर लौटकर गए, तो उनसे कहा : निःसंदेह हमने एक सुपाठ्य वाणी सुनी है, जो अपने बयान और वाक्पटुता में बड़ा मनभावन व सराहनीय है। info
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2 : 72

یَّهْدِیْۤ اِلَی الرُّشْدِ فَاٰمَنَّا بِهٖ ؕ— وَلَنْ نُّشْرِكَ بِرَبِّنَاۤ اَحَدًا ۟ۙ

यह वाणी जो हमने सुनी है, आस्था (अक़ीदा), कथन और कर्म में शुद्धता (सत्य) को दिखाती है। अतः हम उसपर ईमान ले आए। तथा हम अपने उस पालनहार के साथ, जिसने यह वाणी उतारी है, कदापि किसी को साझा नहीं करेंगे। info
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3 : 72

وَّاَنَّهٗ تَعٰلٰی جَدُّ رَبِّنَا مَا اتَّخَذَ صَاحِبَةً وَّلَا وَلَدًا ۟ۙ

और हम इस बात पर भी ईमान लाए हैं कि हमारे पालनहार ने (उसकी महिमा एवं प्रताप बहुत उच्च है) न कोई पत्नी बनाई है और न कोई संतान, जैसा कि बहुदेववादियों का कहना है। info
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4 : 72

وَّاَنَّهٗ كَانَ یَقُوْلُ سَفِیْهُنَا عَلَی اللّٰهِ شَطَطًا ۟ۙ

और यह कि इबलीस अल्लाह के संबंध में सत्य से हटी हुई बात कहा करता था कि उसकी पत्नी और संतान है। info
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5 : 72

وَّاَنَّا ظَنَنَّاۤ اَنْ لَّنْ تَقُوْلَ الْاِنْسُ وَالْجِنُّ عَلَی اللّٰهِ كَذِبًا ۟ۙ

और यह कि हम समझते थे कि ये शिर्क करने वाले जिन्न और इनसान झूठ नहीं बोल रहे हैं, जब वे यह दावा कर रहे थे कि अल्लाह की पत्नी और संतान है। इसलिए अनका अनुकरण करते हुए हमने उनकी बात को सत्य मान लिया। info
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6 : 72

وَّاَنَّهٗ كَانَ رِجَالٌ مِّنَ الْاِنْسِ یَعُوْذُوْنَ بِرِجَالٍ مِّنَ الْجِنِّ فَزَادُوْهُمْ رَهَقًا ۟ۙ

जाहिलीयत के ज़माने में इनसानों में से कुछ लोग, जब किसी भयानक स्थान पर उतरते, तो जिन्नों में से कुछ लोगों की शरण लिया करते थे, चुनाँचे उनमें से एक कहता था : मैं इस वादी के प्रमुख जिन्न की शरण में आता हूँ, उसकी जाति के नासमझ जिन्नों की बुराई से।इस तरह इनसानों का जिन्नों से भय और डर बढ़ा गया। info
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7 : 72

وَّاَنَّهُمْ ظَنُّوْا كَمَا ظَنَنْتُمْ اَنْ لَّنْ یَّبْعَثَ اللّٰهُ اَحَدًا ۟ۙ

और यह कि इनसानों ने भी तुम्हारी तरह यही सोचा था कि अल्लाह किसी को उसकी मृत्यु के बाद हिसाब और प्रतिफल के लिए कभी पुनर्जीवित नहीं करेगा। info
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8 : 72

وَّاَنَّا لَمَسْنَا السَّمَآءَ فَوَجَدْنٰهَا مُلِئَتْ حَرَسًا شَدِیْدًا وَّشُهُبًا ۟ۙ

और यह कि हमने आकाश की सूचना प्राप्त करने का प्रयास किया, तो पाया कि आकाश में फ़रिश्तों का बड़ा सख़्त पहरा बिठा दिया गया है, जो इस बात की पहरेदारी कर रहे हैं कि कोई चोरी-छिपे कुछ सुन न सके, जो हम किया करते थे। तथा उसे उल्काओं (अंगारों) से भर दिया गया है, जिनसे आकाश के निकट जाने वाले को मार भगाया जाता है। info
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9 : 72

وَّاَنَّا كُنَّا نَقْعُدُ مِنْهَا مَقَاعِدَ لِلسَّمْعِ ؕ— فَمَنْ یَّسْتَمِعِ الْاٰنَ یَجِدْ لَهٗ شِهَابًا رَّصَدًا ۟ۙ

हम पहले आकाश में कुछ स्थानों पर बैठा करते थे, जहाँ से हम फ़रिश्तों के बीच आदान-प्रदान होने वाली बातों को सुनते थे, फिर उन्हें धरती में मौजूद काहिनों को बता दिया करते थे। लेकिन (अब) मामला बदल गया है। अब, हम में से जो सुनने का प्रयास करता है, वह अपने लिए एक जलती हुई आग को तैयार पाता है। जब वह निकट जाता है, तो वह उसपर छोड़ दी जाती है, जो उसे जला देती है। info
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10 : 72

وَّاَنَّا لَا نَدْرِیْۤ اَشَرٌّ اُرِیْدَ بِمَنْ فِی الْاَرْضِ اَمْ اَرَادَ بِهِمْ رَبُّهُمْ رَشَدًا ۟ۙ

हम नहीं जानते कि इस सख़्त पहरेदारी का कारण क्या है; क्या धरती के लोगों के लिए बुराई का इरादा किया गया है, या अल्लाह ने उनके लिए किसी भलाई का इरादा किया है।क्योंकि हमें आकाश की सूचना प्राप्त नहीं हो रही है। info
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11 : 72

وَّاَنَّا مِنَّا الصّٰلِحُوْنَ وَمِنَّا دُوْنَ ذٰلِكَ ؕ— كُنَّا طَرَآىِٕقَ قِدَدًا ۟ۙ

हम जिन्नों के बीच कुछ लोग अल्लाह से डरने वाले, सदाचारी हैं, तथा हमारे बीच कुछ लोग ऐसे हैं, जो काफ़िर और अवज्ञाकारी हैं। हम अलग-अलग वर्गों और विभिन्न विचारों वाले हैं। info
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12 : 72

وَّاَنَّا ظَنَنَّاۤ اَنْ لَّنْ نُّعْجِزَ اللّٰهَ فِی الْاَرْضِ وَلَنْ نُّعْجِزَهٗ هَرَبًا ۟ۙ

हमें विश्वास हो गया है कि अगर अल्लाह हमसे कुछ चाहता है, तो हम उसके क़ाबू से बाहर नहीं जा सकते और न ही हम उससे भागकर निकल सकते हैं, क्योंकि उसने हमें घेर रखा है। info
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13 : 72

وَّاَنَّا لَمَّا سَمِعْنَا الْهُدٰۤی اٰمَنَّا بِهٖ ؕ— فَمَنْ یُّؤْمِنْ بِرَبِّهٖ فَلَا یَخَافُ بَخْسًا وَّلَا رَهَقًا ۟ۙ

जब हमने वह क़ुरआन सुना, जो सबसे सही रास्ते का मार्गदर्शन करता है, तो हम उसपर ईमान ले आए। अतः जो कोई अपने पालनहार पर ईमान लाएगा, उसे न अपनी नेकियों में कमी किए जाने का भय होगा और न उसके पिछले पापों में वृद्धि का। info
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په دې مخ کې د ایتونو د فایدو څخه:
• تأثير القرآن البالغ فيمَنْ يستمع إليه بقلب سليم.
• सच्चे दिल से क़ुरआन सुनने वाले पर, उसका व्यापक प्रभाव। info

• الاستغاثة بالجن من الشرك بالله، ومعاقبةُ فاعله بضد مقصوده في الدنيا.
• जिन्नों से फ़रियाद करना अल्लाह के साथ शिर्क है। ऐसा करने वाले को, दुनिया में उसके उद्देश्य के विपरीत चीज़ के द्वारा दंडित किया जाता है। info

• بطلان الكهانة ببعثة النبي صلى الله عليه وسلم.
• मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के नबी बनाए जाने से कहानत का खंडित होना। info

• من أدب المؤمن ألا يَنْسُبَ الشرّ إلى الله.
• यह एक मोमिन का शिष्टाचार है कि वह बुराई की निस्बत अल्लाह की ओर न करे। info