د قرآن کریم د معناګانو ژباړه - هندي ژبې ته د المختصر في تفسیر القرآن الکریم ژباړه.

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9 : 69

وَجَآءَ فِرْعَوْنُ وَمَنْ قَبْلَهٗ وَالْمُؤْتَفِكٰتُ بِالْخَاطِئَةِ ۟ۚ

फ़िरऔन और उससे पहले के समुदायों और ऊपर-नीचे उलटकर यातना दी जाने वाली बस्तियों अर्थात लूत अलैहिस्सलाम की जाति के लोगों ने शिर्क एवं अवज्ञा जैसे गलत कार्य किए। info
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10 : 69

فَعَصَوْا رَسُوْلَ رَبِّهِمْ فَاَخَذَهُمْ اَخْذَةً رَّابِیَةً ۟

चुनाँचे उनमें से प्रत्येक ने अपने रसूल की अवज्ञा की और उसे झुठलाया, तो अल्लाह ने उनकी उससे कहीं अधिक पकड़ की, जो उनके विनाश के लिए काफ़ी थी। info
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11 : 69

اِنَّا لَمَّا طَغَا الْمَآءُ حَمَلْنٰكُمْ فِی الْجَارِیَةِ ۟ۙ

जब पानी ऊंचाई में अपनी सीमा से ऊपर बढ़ गया, तो हमने उन लोगों को, जिनकी पुश्त में तुम थे, उस बहती नाव में सवार किया, जिसे नूह अलैहिस्सलाम ने हमारे आदेश से बनाया था। तो इस तरह यह तुम्हें सवार करना था। info
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12 : 69

لِنَجْعَلَهَا لَكُمْ تَذْكِرَةً وَّتَعِیَهَاۤ اُذُنٌ وَّاعِیَةٌ ۟

ताकि हम नाव और उसकी कहानी को एक उपदेश बना दें, जिससे काफ़िरों को नष्ट करने और ईमान वालों को मुक्ति प्रदान करने पर प्रमाण ग्रहण किया जाए और उसे ऐसे कान याद रखें जो सुनी हुई बातों को याद रखने वाले हैं। info
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13 : 69

فَاِذَا نُفِخَ فِی الصُّوْرِ نَفْخَةٌ وَّاحِدَةٌ ۟ۙ

फिर जब सूर में फूँक मारने पर नियुक्त फ़रिश्ता एक फूँक मारेगा, और यह दूसरी बार फूँक मारना है। info
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14 : 69

وَّحُمِلَتِ الْاَرْضُ وَالْجِبَالُ فَدُكَّتَا دَكَّةً وَّاحِدَةً ۟ۙ

और धरती तथा पहाड़ों को उठाया जाएगा और दोनों को एक ही बार इस ज़ोर से टकराया जाएगा कि धरती के हिस्से तथा उसके पहाड़ों के हिस्से अलग-अलग हो जाएँगे। info
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15 : 69

فَیَوْمَىِٕذٍ وَّقَعَتِ الْوَاقِعَةُ ۟ۙ

जिस दिन यह सब कुछ होगा, उस दिन क़ियामत आ जाएगी। info
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16 : 69

وَانْشَقَّتِ السَّمَآءُ فَهِیَ یَوْمَىِٕذٍ وَّاهِیَةٌ ۟ۙ

और उस दिन आसमान फट जाएगा, ताकि उससे फ़रिश्ते उतर सकें। तो उस दिन वह कमज़ोर होगा, जबकि वह पहले मज़बूत और सुसंगत था। info
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17 : 69

وَّالْمَلَكُ عَلٰۤی اَرْجَآىِٕهَا ؕ— وَیَحْمِلُ عَرْشَ رَبِّكَ فَوْقَهُمْ یَوْمَىِٕذٍ ثَمٰنِیَةٌ ۟ؕ

और फ़रिश्ते उसके किनारों पर होंगे, तथा उस महान दिन में आठ निकटवर्ती फ़रिश्ते आपके पालनहार के अर्श को उठाए हुए होंगे। info
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18 : 69

یَوْمَىِٕذٍ تُعْرَضُوْنَ لَا تَخْفٰی مِنْكُمْ خَافِیَةٌ ۟

उस दिन तुम (ऐ लोगो) अल्लाह के सामने पेश किए जाओगे। तुम्हारी कोई गुप्त बात अल्लाह से छिपी नहीं रहेगी। बल्कि अल्लाह उसके बारे में जानने वाला, उससे अवगत होगा। info
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19 : 69

فَاَمَّا مَنْ اُوْتِیَ كِتٰبَهٗ بِیَمِیْنِهٖ فَیَقُوْلُ هَآؤُمُ اقْرَءُوْا كِتٰبِیَهْ ۟ۚ

फिर रहा वह व्यक्ति, जिसे उसके कर्मों की किताब उसके दाएँ हाथ में दी गई, तो वह खुशी और प्रसन्नता से कहेगा : लो, मेरे कर्मों की किताब पढ़ो। info
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20 : 69

اِنِّیْ ظَنَنْتُ اَنِّیْ مُلٰقٍ حِسَابِیَهْ ۟ۚ

मैं दुनिया में जानता था और मुझे यक़ीन था कि मैं मरने के बाद पुनर्जीवित कर उठाया जाने वाला हूँ और अपना प्रतिफल पाने वाला हूँ। info
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21 : 69

فَهُوَ فِیْ عِیْشَةٍ رَّاضِیَةٍ ۟ۙ

अतः वह सुखमय और संतोषजनक जीवन में होगा, क्योंकि उसे स्थायी आनंद दिखाई देगा। info
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22 : 69

فِیْ جَنَّةٍ عَالِیَةٍ ۟ۙ

उच्च स्थान एवं प्रतिष्ठा वाली जन्नत में होगा। info
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23 : 69

قُطُوْفُهَا دَانِیَةٌ ۟

जिसके फल, उन्हें खाने वाले से बिल्कुल क़रीब होंगे। info
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24 : 69

كُلُوْا وَاشْرَبُوْا هَنِیْٓـًٔا بِمَاۤ اَسْلَفْتُمْ فِی الْاَیَّامِ الْخَالِیَةِ ۟

उनके सम्मान में कहा जाएगा : तुमने दुनिया में बीते हुए दिनों में जो अच्छे कर्म करके आगे भेजे थे, उसके बदले में, बिना किसी नुक़सान के खाओ और पियो। info
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25 : 69

وَاَمَّا مَنْ اُوْتِیَ كِتٰبَهٗ بِشِمَالِهٖ ۙ۬— فَیَقُوْلُ یٰلَیْتَنِیْ لَمْ اُوْتَ كِتٰبِیَهْ ۟ۚ

और रहा वह व्यक्ति, जिसे उसका कर्म-पत्र उसके बाएँ हाथ में दिया गया, तो वह पछतावे की तीव्रता से कहेगा : ऐ काश! मुझे मेरा कर्म-पत्र न दिया जाता, क्योंकि उसमें ऐसे बुरे कार्य हैं, जो मुझे यातना का पात्र बनाते हैं। info
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26 : 69

وَلَمْ اَدْرِ مَا حِسَابِیَهْ ۟ۚ

और काश मैं अपने हिसाब के बारे में कुछ न जानता। info
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27 : 69

یٰلَیْتَهَا كَانَتِ الْقَاضِیَةَ ۟ۚ

ऐ काश कि वह मौत जो मुझे आई थी, ऐसी मौत होती जिसके बाद मैं कभी उठाया न जाता। info
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28 : 69

مَاۤ اَغْنٰی عَنِّیْ مَالِیَهْ ۟ۚ

मेरा धन मुझसे अल्लाह की यातना को कुछ भी न टाल सका। info
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29 : 69

هَلَكَ عَنِّیْ سُلْطٰنِیَهْ ۟ۚ

मेरा तर्क और वह शक्ति एवं वैभव जिनपर मैं भरोसा किया करता था, सब कुछ मुझसे जाता रहा। info
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30 : 69

خُذُوْهُ فَغُلُّوْهُ ۟ۙ

और कहा जाएगा : (ऐ फ़रिश्तो) उसे पकड़ो और उसके हाथों को उसकी गरदन के साथ जकड़ दो। info
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31 : 69

ثُمَّ الْجَحِیْمَ صَلُّوْهُ ۟ۙ

फिर उसे आग में डाल दो, ताकि उसकी गर्मी झेलता रहे। info
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32 : 69

ثُمَّ فِیْ سِلْسِلَةٍ ذَرْعُهَا سَبْعُوْنَ ذِرَاعًا فَاسْلُكُوْهُ ۟ؕ

फिर उसे एक ऐसी ज़ंजीर में दाख़िल कर दो, जिसकी लंबाई सत्तर गज़ है। info
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33 : 69

اِنَّهٗ كَانَ لَا یُؤْمِنُ بِاللّٰهِ الْعَظِیْمِ ۟ۙ

निश्चय वह सबसे महान अल्लाह पर ईमान नहीं रखता था। info
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34 : 69

وَلَا یَحُضُّ عَلٰی طَعَامِ الْمِسْكِیْنِ ۟ؕ

और दूसरों को ग़रीब को खाना खिलाने के लिए प्रोत्साहित नहीं करता था। info
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35 : 69

فَلَیْسَ لَهُ الْیَوْمَ هٰهُنَا حَمِیْمٌ ۟ۙ

अतः क़ियामत के दिन उसका कोई क़रीबी (रिश्तेदार) नहीं है, जो उससे यातना को टाल सके। info
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په دې مخ کې د ایتونو د فایدو څخه:
• المِنَّة التي على الوالد مِنَّة على الولد تستوجب الشكر.
• पिता पर उपकार संतान पर भी उपकार है, जो धन्यवाद का पात्र है। info

• إطعام الفقير والحض عليه من أسباب الوقاية من عذاب النار.
• निर्धन को खाना खिलाना और उसके लिए प्रोत्साहित करना, आग की यातना से बचाव के कारणों में से है। info

• شدة عذاب يوم القيامة تستوجب التوقي منه بالإيمان والعمل الصالح.
• क़ियामत के दिन की यातना की गंभीरता इस बात की अपेक्षा करती है कि ईमान और सत्कर्म के द्वारा उससे बचा जाए। info