د قرآن کریم د معناګانو ژباړه - هندي ژبې ته د المختصر في تفسیر القرآن الکریم ژباړه.

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84 : 3

قُلْ اٰمَنَّا بِاللّٰهِ وَمَاۤ اُنْزِلَ عَلَیْنَا وَمَاۤ اُنْزِلَ عَلٰۤی اِبْرٰهِیْمَ وَاِسْمٰعِیْلَ وَاِسْحٰقَ وَیَعْقُوْبَ وَالْاَسْبَاطِ وَمَاۤ اُوْتِیَ مُوْسٰی وَعِیْسٰی وَالنَّبِیُّوْنَ مِنْ رَّبِّهِمْ ۪— لَا نُفَرِّقُ بَیْنَ اَحَدٍ مِّنْهُمْ ؗ— وَنَحْنُ لَهٗ مُسْلِمُوْنَ ۟

(ऐ रसूल!) आप कह दें : हम अल्लाह पर उसे मा'बूद (पूज्य) मानते हुए ईमान लाए तथा उसने हमें जो कुछ आदेश दिया, हमने उसका पालन किया, और हम उस वह़्य पर ईमान लाए, जो उसने हमपर उतारी, और उसपर जो उसने इबराहीम, इसमाईल, इसहाक़ और या'क़ूब पर उतारा, तथा उसपर जो उसने याक़ूब अलैहिस्सलाम की संतान में से होने वाले नबियों पर उतारा, तथा उसपर जो मूसा, ईसा और सारे नबियों को उनके पालनहार की ओर से पुस्तकें और निशानियाँ दी गईं। हम उनके बीच अंतर (भेदभाव) नहीं करते, कि हम कुछ पर ईमान लाएँ और कुछ का इनकार कर दें। तथा हम अकेले अल्लाह ही के आज्ञाकारी और उसी के सामने झुकने वाले हैं। info
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85 : 3

وَمَنْ یَّبْتَغِ غَیْرَ الْاِسْلَامِ دِیْنًا فَلَنْ یُّقْبَلَ مِنْهُ ۚ— وَهُوَ فِی الْاٰخِرَةِ مِنَ الْخٰسِرِیْنَ ۟

और जो कोई उस धर्म के अलावा कोई अन्य धर्म तलाश करे, जिसे अल्लाह ने पसंद किया है और वह इस्लाम धर्म है; तो अल्लाह उससे उसे कदापि स्वीकार नहीं करेगा, और वह आख़िरत में आग में प्रवेश करके अपना ही घाटा करने वालों में से होगा। info
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86 : 3

كَیْفَ یَهْدِی اللّٰهُ قَوْمًا كَفَرُوْا بَعْدَ اِیْمَانِهِمْ وَشَهِدُوْۤا اَنَّ الرَّسُوْلَ حَقٌّ وَّجَآءَهُمُ الْبَیِّنٰتُ ؕ— وَاللّٰهُ لَا یَهْدِی الْقَوْمَ الظّٰلِمِیْنَ ۟

अल्लाह अपने आपपर और अपने रसूल पर ईमान लाने की तौफीक़ उन लोगों को कैसे प्रदान करेगा, जिन्होंने अल्लाह पर ईमान लाने तथा रसूल मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के लाए हुए धर्म के सत्य होने की गवाही देने के बाद कुफ़्र किया, तथा उनके पास उसके सत्य होने के स्पष्ट प्रमाण आ चुके?! अल्लाह ऐसे अत्याचारी लोगों को ईमान की तौफीक़ नहीं देता, जिन्होंने मार्गदर्शन के स्थान पर पथभ्रष्टता को चुना। info
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87 : 3

اُولٰٓىِٕكَ جَزَآؤُهُمْ اَنَّ عَلَیْهِمْ لَعْنَةَ اللّٰهِ وَالْمَلٰٓىِٕكَةِ وَالنَّاسِ اَجْمَعِیْنَ ۟ۙ

असत्य को चुनने वाले ऐसे अत्याचारियों का बदला यह है कि उनपर अल्लाह की, फरिश्तों की और सभी लोगों की ला'नत (धिक्कार) है। चुनाँचे वे अल्लाह की दया से दूर और निष्कासित कर दिए गए हैं। info
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88 : 3

خٰلِدِیْنَ فِیْهَا ۚ— لَا یُخَفَّفُ عَنْهُمُ الْعَذَابُ وَلَا هُمْ یُنْظَرُوْنَ ۟ۙ

वे सदा आग में रहेंगे, उन्हें उससे निकाला नहीं जाएगा, और न ही उनसे उसके अज़ाब को हल्का किया जाएगा, और न ही उन्हें पश्चाताप करने और माफ़ी माँगने की मोहलत दी जाएगी। info
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89 : 3

اِلَّا الَّذِیْنَ تَابُوْا مِنْ بَعْدِ ذٰلِكَ وَاَصْلَحُوْا ۫— فَاِنَّ اللّٰهَ غَفُوْرٌ رَّحِیْمٌ ۟

परंतु जो लोग अपने कुफ़्र और अत्याचार के बाद अल्लाह की ओर लौट आए और अपने कर्मों को सुधार लिया; तो निश्चय अल्लाह अपने तौबा करने वाले बंदों के लिए अति क्षमाशील, उनपर अत्यंत दया करने वाला है। info
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90 : 3

اِنَّ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا بَعْدَ اِیْمَانِهِمْ ثُمَّ ازْدَادُوْا كُفْرًا لَّنْ تُقْبَلَ تَوْبَتُهُمْ ۚ— وَاُولٰٓىِٕكَ هُمُ الضَّآلُّوْنَ ۟

निःसंदेह जिन लोगों ने अपने ईमान के बाद कुफ़्र किया और अपने कुफ़्र पर बने रहे यहाँ तक कि उन्होंने मृत्यु को देख लिया; तो मृत्यु के उपस्थित होने के समय उनसे तौबा हरगिज़ क़बूल नहीं की जाएगी क्योंकि उसका समय बीत चुका। और यही लोग हैं जो अल्लाह की ओर ले जाने वाले सीधे मार्ग से भटके हुए हैं। info
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91 : 3

اِنَّ الَّذِیْنَ كَفَرُوْا وَمَاتُوْا وَهُمْ كُفَّارٌ فَلَنْ یُّقْبَلَ مِنْ اَحَدِهِمْ مِّلْءُ الْاَرْضِ ذَهَبًا وَّلَوِ افْتَدٰی بِهٖ ؕ— اُولٰٓىِٕكَ لَهُمْ عَذَابٌ اَلِیْمٌۙ— وَّمَا لَهُمْ مِّنْ نّٰصِرِیْنَ ۟۠

जिन लोगों ने कुफ़्र किया और अपने कुफ़्र पर मर गए; तो उनमें से किसी एक से धरती के वज़न के बराबर सोना भी स्वीकार नहीं किया जाएगा, भले ही वह उसे आग से छूटने के बदले में दे दे। वही लोग हैं जिनके लिए दर्दनाक अज़ाब है और उनके लिए क़ियामत के दिन कोई सहायक न होंगे जो उनसे अज़ाब को दूर कर सकें। info
التفاسير:
په دې مخ کې د ایتونو د فایدو څخه:
• يجب الإيمان بجميع الأنبياء الذين أرسلهم الله تعالى، وجميع ما أنزل عليهم من الكتب، دون تفريق بينهم.
• अल्लाह के भेजे हुए सभी नबियों तथा उनपर उतारी गई सभी पुस्तकों पर, उनके बीच अंतर किए बिना, ईमान लाना अनिवार्य है। info

• لا يقبل الله تعالى من أحد دينًا أيًّا كان بعد بعثة النبي محمد صلى الله عليه وسلم إلا الإسلام الذي جاء به.
• पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के आने के बाद, अल्लाह तआला आपके द्वारा लाए हुए इस्लाम को छोड़कर, किसी से किसी भी धर्म को स्वीकार नहीं करेगा। info

• مَنْ أصر على الضلال، واستمر عليه، فقد يعاقبه الله بعدم توفيقه إلى التوبة والهداية.
• जो व्यक्ति गुमराही पर अड़ा रहता है और निरंतर उसी पर बना रहता है, तो अल्लाह तआला उसे तौबा (पश्चाताप) और मार्गदर्शन की तौफ़ीक़ न देकर दंडित कर सकता है। info

• باب التوبة مفتوح للعبد ما لم يحضره الموت، أو تشرق الشمس من مغربها، فعندئذ لا تُقْبل منه التوبة.
• बंदे के लिए तौबा (पश्चाताप) का द्वार उस समय तक खुला हुआ है, जब तक कि उसके पास मृत्यु उपस्थित न हो जाए, या पश्चिम से सूर्योदय न हो जाए। तब उससे तौबा स्वीकार नहीं की जाएगी। info

• لا ينجي المرء يوم القيامة من عذاب النار إلا عمله الصالح، وأما المال فلو كان ملء الأرض لم ينفعه شيئًا.
• क़ियामत के दिन आदमी को केवल उसका नेक कर्म ही आग के अज़ाब से बचाएगा। जहाँ तक धन की बात है, तो यदि वह धरती भरने के बराबर भी हो, तो इससे उसे बिल्कुल भी फायदा नहीं होगा। info