د قرآن کریم د معناګانو ژباړه - هندي ژبې ته د المختصر في تفسیر القرآن الکریم ژباړه.

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180 : 2

كُتِبَ عَلَیْكُمْ اِذَا حَضَرَ اَحَدَكُمُ الْمَوْتُ اِنْ تَرَكَ خَیْرَا ۖۚ— ١لْوَصِیَّةُ لِلْوَالِدَیْنِ وَالْاَقْرَبِیْنَ بِالْمَعْرُوْفِ ۚ— حَقًّا عَلَی الْمُتَّقِیْنَ ۟ؕ

जब तुममें से किसी की मृत्यु के लक्षण तथा कारण सामने आ जाएँ, और यदि उसने बहुत सारा धन छोड़ा है, तो उसपर माता-पिता और रिश्तेदारों के लिए शरीयत की निर्धारित की हुई मात्रा के अनुसार वसीयत करना ज़रूरी है, जो कि एक तिहाई धन से अधिक नहीं होना चाहिए। ऐसा करना उन लोगों पर एक पक्का अधिकार है जो सर्वशक्तिमान अल्लाह से डरने वाले हैं। ज्ञात रहे कि यह हुक्म मीरास की आयतें उतरने से पहले था। जब मीरास की आयतें उतरीं, तो उनके द्वारा स्पष्ट कर दिया गया कि मृतक का वारिस कौन होगा और उसे विरासत में कितना मिलेगा। info
التفاسير:
په دې مخ کې د ایتونو د فایدو څخه:
• البِرُّ الذي يحبه الله يكون بتحقيق الإيمان والعمل الصالح، وأما التمسك بالمظاهر فقط فلا يكفي عنده تعالى.
• अल्लाह जिस नेकी को पसंद करता है, वह ईमान और अच्छे कर्मों की पूर्ति से प्राप्त होती है। जहाँ तक केवल ज़ाहिरी चीज़ों का पालन करना है, तो यह अल्लाह के निकट काफ़ी नहीं है। info

• من أعظم ما يحفظ الأنفس، ويمنع من التعدي والظلم؛ تطبيق مبدأ القصاص الذي شرعه الله في النفس وما دونها.
• सबसे बड़ी चीज़ जो प्राणों की रक्षा करती है, तथा ज़्याजती और अत्याचार को रोकती है; वह क़िसास (प्रतिशोध) के सिद्धांत को लागू करना करना है, जिसे अल्लाह ने प्राण तथा उससे कमतर नुक़सान के बारे में निर्धारित किया है। info

• عِظَمُ شأن الوصية، ولا سيما لمن كان عنده شيء يُوصي به، وإثمُ من غيَّر في وصية الميت وبدَّل ما فيها.
• वसीयत का महत्व, विशेष रूप से उसके लिए जिसके पास वसीयत करने के लिए कोई वस्तु हो, तथा मृतक की वसीयत को बदलने वाले का पाप। info