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8 : 39

وَاِذَا مَسَّ الْاِنْسَانَ ضُرٌّ دَعَا رَبَّهٗ مُنِیْبًا اِلَیْهِ ثُمَّ اِذَا خَوَّلَهٗ نِعْمَةً مِّنْهُ نَسِیَ مَا كَانَ یَدْعُوْۤا اِلَیْهِ مِنْ قَبْلُ وَجَعَلَ لِلّٰهِ اَنْدَادًا لِّیُضِلَّ عَنْ سَبِیْلِهٖ ؕ— قُلْ تَمَتَّعْ بِكُفْرِكَ قَلِیْلًا ۖۗ— اِنَّكَ مِنْ اَصْحٰبِ النَّارِ ۟

तथा जब मनुष्य को कोई कष्ट पहुँचता है, तो वह अपने पालनहार को पुकारता है, इस हाल में कि उसी की ओर एकाग्र, ध्यानमग्न होता है। फिर जब वह उसे अपनी ओर से कोई सुख प्रदान करता है, तो वह उसे भूल जाता है, जिसे वह इससे पहले पुकार रहा था, तथा वह अल्लाह का साझी बना लेता है, ताकि उसके मार्ग से गुमराह कर दे। आप कह दें कि अपने कुफ़्र का थोड़ा सा लाभ उठा लो। निश्चय तुम जहन्नमियों में से हो। info
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