ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐ ߟߎ߬ ߘߟߊߡߌߘߊ - ߟߊߘߛߏߣߍ߲" ߞߎ߬ߙߣߊ߬ ߞߟߊߒߞߋ ߞߘߐߦߌߘߊ ߘߐ߫ ߤߌߣߘߌߞߊ߲ ߘߐ߫

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65 : 5

وَلَوْ اَنَّ اَهْلَ الْكِتٰبِ اٰمَنُوْا وَاتَّقَوْا لَكَفَّرْنَا عَنْهُمْ سَیِّاٰتِهِمْ وَلَاَدْخَلْنٰهُمْ جَنّٰتِ النَّعِیْمِ ۟

यदि यहूदी और ईसाई मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम द्वारा लाई हुई शरीयत पर ईमान ले आते तथा पापों से बचकर अल्लाह से डरते, तो हम अवश्य उनके द्वारा किए गए पापों को उनसे दूर कर देते, भले ही वे बहुत थे। तथा हम अवश्य उन्हें क़ियामत के दिन नेमतों वाली जन्नतों में दाख़िल करते, जिसमें वे निर्बाध नेमतों का आनंद लेते। info
التفاسير:
ߟߝߊߙߌ ߟߎ߫ ߢߊ߬ߕߣߐ ߘߏ߫ ߞߐߜߍ ߣߌ߲߬ ߞߊ߲߬:
• العمل بما أنزل الله تعالى سبب لتكفير السيئات ودخول الجنة وسعة الأرزاق.
• अल्लाह की उतारी हुई शरीयत के अनुसार कार्य करना, पापों का प्रायश्चित करने, जन्नत में प्रवेश तथा जीविका में विस्तार का कारण है। info

• توجيه الدعاة إلى أن التبليغ المُعتَدَّ به والمُبْرِئ للذمة هو ما كان كاملًا غير منقوص، وفي ضوء ما ورد به الوحي.
• अल्लाह की ओर बुलाने वालों को यह निर्देश देना कि विश्वसनीय और ज़िम्मेदारी को समाप्त करने वाला धर्म प्रचार वह है, जो परिपूर्ण हो उसमें कोई कमी न हो, तथा वह़्य में वर्णित तरीक़े अनुसार हो। info

• لا يُعْتد بأي معتقد ما لم يُقِمْ صاحبه دليلًا على أنه من عند الله تعالى.
• कोई भी अक़ीदा (आस्था) तब तक मान्य नहीं है, जब तक कि उसका धारक इस बात का प्रमाण न दे कि वह सर्वशक्तिमान अल्लाह की ओर से है। info