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60 : 28

وَمَاۤ اُوْتِیْتُمْ مِّنْ شَیْءٍ فَمَتَاعُ الْحَیٰوةِ الدُّنْیَا وَزِیْنَتُهَا ۚ— وَمَا عِنْدَ اللّٰهِ خَیْرٌ وَّاَبْقٰی ؕ— اَفَلَا تَعْقِلُوْنَ ۟۠

और तुम्हारे रब ने तुम्हें जो कुछ भी दिया है, वह ऐसी चीज़ है जिसका तुम दुनिया के जीवन में आनंद लेते और शृंगार करते हो, फिर वह समाप्त हो जाती है। किंतु परलोक में अल्लाह के पास जो महान प्रतिफल है, वह इस दुनिया के सामान और अलंकरण से बेहतर और अधिक बाक़ी रहने वाला है। क्या तुम इस बात को नहीं समझते, ताकि जो बाक़ी रहने वाला है, उसे समाप्त हो जाने वाले पर प्राथमिकता दो?! info
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61 : 28

اَفَمَنْ وَّعَدْنٰهُ وَعْدًا حَسَنًا فَهُوَ لَاقِیْهِ كَمَنْ مَّتَّعْنٰهُ مَتَاعَ الْحَیٰوةِ الدُّنْیَا ثُمَّ هُوَ یَوْمَ الْقِیٰمَةِ مِنَ الْمُحْضَرِیْنَ ۟

तो क्या वह व्यक्ति जिससे हमने आख़िरत में जन्नत और उसके शाश्वत आनंद का वादा किया है, जिसकी ओर वह अनिवार्य रूप से जाने वाला है, वह उस व्यक्ति के समान हो सकता है, जिसे हमने दुनिया के जीवने में धन और अलंकरण प्रदान किया है जिसका वह आनंद लेता है। फिर वह क़ियामत के दिन जहन्नम की आग में डाले जाने वाले लोगों में होगा?! info
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62 : 28

وَیَوْمَ یُنَادِیْهِمْ فَیَقُوْلُ اَیْنَ شُرَكَآءِیَ الَّذِیْنَ كُنْتُمْ تَزْعُمُوْنَ ۟

और जिस दिन उनका पवित्र एवं सर्वोच्च रब उन्हें पुकारकर कहेगा : मेरे वे साझीदार कहाँ हैं, जिनकी तुम मेरे अलावा पूजा करते थे और दावा करते थे कि वे मेरे साझी हैं? info
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63 : 28

قَالَ الَّذِیْنَ حَقَّ عَلَیْهِمُ الْقَوْلُ رَبَّنَا هٰۤؤُلَآءِ الَّذِیْنَ اَغْوَیْنَا ۚ— اَغْوَیْنٰهُمْ كَمَا غَوَیْنَا ۚ— تَبَرَّاْنَاۤ اِلَیْكَ ؗ— مَا كَانُوْۤا اِیَّانَا یَعْبُدُوْنَ ۟

कुफ़्र की ओर बुलाने वाले वे लोग जिन पर हमारी यातना सिद्ध हो चुकी, कहेंगे : ऐ हमारे रब! ये हैं वे लोग जिन्हें हमने गुमराह किया, हमने उन्हें उसी तरह गुमराह किया जैसे हम गुमराह हुए। हम तेरे समक्ष इनसे अलग होने की घोषणा करते हैं। ये हमारी पूजा नहीं करते थे। बल्कि ये लोग शैतान की पूजा करते थे। info
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64 : 28

وَقِیْلَ ادْعُوْا شُرَكَآءَكُمْ فَدَعَوْهُمْ فَلَمْ یَسْتَجِیْبُوْا لَهُمْ وَرَاَوُا الْعَذَابَ ۚ— لَوْ اَنَّهُمْ كَانُوْا یَهْتَدُوْنَ ۟

और उनसे कहा जाएगा : अपने साझीदारों को पुकारो, कि वे तुम्हें उस अपमान से बचाएँ, जिसमें तुम हो। अतः वे अपने साझीदारों को पुकारेंगे, किंतु वे उनकी पुकार का उत्तर नहीं देंगे। तथा वे अपने लिए तैयार की गई यातना को देखेंगे, तो कामना करेंगे कि काश वे दुनिया में सत्य मार्ग पर चले होते। info
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65 : 28

وَیَوْمَ یُنَادِیْهِمْ فَیَقُوْلُ مَاذَاۤ اَجَبْتُمُ الْمُرْسَلِیْنَ ۟

और जिस दिन उनका रब उन्हें पुकारकर कहेगा : तुमने मेरे उन रसूलों को, जिन्हें मैंने तुम्हारी ओर भेजा था, क्या उत्तर दिया? info
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66 : 28

فَعَمِیَتْ عَلَیْهِمُ الْاَنْۢبَآءُ یَوْمَىِٕذٍ فَهُمْ لَا یَتَسَآءَلُوْنَ ۟

तो उनसे तर्क लुप्त हो जाएगा और वे कुछ भी जवाब नहीं देंगे, और न ही यह हो सकेगा कि एक-दूसरे से पूछ लें; क्योंकि वे यातना से ग्रस्त होने का यक़ीन हो जाने के कारण गंभीर सदमें में होंगे। info
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67 : 28

فَاَمَّا مَنْ تَابَ وَاٰمَنَ وَعَمِلَ صَالِحًا فَعَسٰۤی اَنْ یَّكُوْنَ مِنَ الْمُفْلِحِیْنَ ۟

परंतु इन मुश्रिकों में से जिसने अपने कुफ़्र से तौबा कर ली और अल्लाह तथा उसके रसूलों पर ईमान ले आया और अच्छा कर्म किया; तो आशा है की वह अपनी मुराद को पाने वालों और भय से मुक्ति प्राप्त करने वालों में से होगा। info
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68 : 28

وَرَبُّكَ یَخْلُقُ مَا یَشَآءُ وَیَخْتَارُ ؕ— مَا كَانَ لَهُمُ الْخِیَرَةُ ؕ— سُبْحٰنَ اللّٰهِ وَتَعٰلٰی عَمَّا یُشْرِكُوْنَ ۟

और (ऐ रसूल!) आपका पालनहार जो कुछ पैदा करना चाहता है, पैदा करता है तथा जिसे चाहता है अपनी आज्ञाकारिता और नुबुव्वत के लिए चुन लेता है। मुश्रिकों को कोई अधिकार प्राप्त नहीं है कि वे अल्लाह पर आपत्ति करेंl अल्लाह पाक और पवित्र है उन साझीदारों से जिन्हें वे उसके साथ पूजते हैं। info
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69 : 28

وَرَبُّكَ یَعْلَمُ مَا تُكِنُّ صُدُوْرُهُمْ وَمَا یُعْلِنُوْنَ ۟

और आपका रब जानता है जो कुछ उनके सीने छिपाते है और जो कुछ प्रकट करते हैं, उनमें से कुछ भी उससे छिपा नहीं है और वह उन्हें इसके लिए प्रतिफल देगा। info
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70 : 28

وَهُوَ اللّٰهُ لَاۤ اِلٰهَ اِلَّا هُوَ ؕ— لَهُ الْحَمْدُ فِی الْاُوْلٰی وَالْاٰخِرَةِ ؗ— وَلَهُ الْحُكْمُ وَاِلَیْهِ تُرْجَعُوْنَ ۟

तथा वही पवित्र अल्लाह है, जिसके सिवा कोई सत्य पूज्य नहीं। केवल उसी के लिए इस दुनिया में सब प्रशंसा है, और उसी के लिए आख़िरत में सब प्रशंसा है, और उसी का निर्णय लागू होने वाला है, जिसे कोई टाल नहीं सकता। तथा तुम क़ियामत के दिन हिसाब और बदला के लिए केवल उसी (अल्लाह) की ओर लौटाए जाओगे। info
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• العاقل من يؤثر الباقي على الفاني.
• बुद्धिमान वह है, जो बाक़ी रहने वाले को नश्वर पर पर तरजीह दे। info

• التوبة تَجُبُّ ما قبلها.
• तौबा उससे पूर्व होने वाले पापों को मिटा देती है। info

• الاختيار لله لا لعباده، فليس لعباده أن يعترضوا عليه.
• चुनने का अधिकार केवल अल्लाह के लिए है, उसके बंदों के पास नहीं। अतः उसके बंदों को कोई हक़ नहीं है कि वे उस पर आपत्ति करें। info

• إحاطة علم الله بما ظهر وما خفي من أعمال عباده.
• अल्लाह का ज्ञान बंदों के खुले तथा छिपे सभी कार्यों को घेरे हुए है। info