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60 : 23

وَالَّذِیْنَ یُؤْتُوْنَ مَاۤ اٰتَوْا وَّقُلُوْبُهُمْ وَجِلَةٌ اَنَّهُمْ اِلٰی رَبِّهِمْ رٰجِعُوْنَ ۟ۙ

और वे लोग जो नेकी के कामों में भरपूर प्रयास करते हैं और अच्छे कार्यों के द्वारा अल्लाह की निकटता प्राप्त करते हैं, इसके बावजूद उन्हें यह भय लगा रहता है कि अल्लाह उनके दान और नेक कार्यों को उस समय अस्वीकार न कर दे, जब वे क़ियामत के दिन उसके पास लौटेंगे। info
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61 : 23

اُولٰٓىِٕكَ یُسٰرِعُوْنَ فِی الْخَیْرٰتِ وَهُمْ لَهَا سٰبِقُوْنَ ۟

इन महान गुणों के साथ विशेषित लोग ही अच्छे कर्मों की ओर जल्दी करते हैं और यही लोग उनकी तरफ़ आगे बढ़ने वाले हैं और उन्हें प्राप्त करने में अन्य लोगों से आगे बढ़ गए हैं। info
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62 : 23

وَلَا نُكَلِّفُ نَفْسًا اِلَّا وُسْعَهَا وَلَدَیْنَا كِتٰبٌ یَّنْطِقُ بِالْحَقِّ وَهُمْ لَا یُظْلَمُوْنَ ۟

हम किसी प्राणी पर केवल उतने ही कार्य का भार डालते हैं, जितना वह कर सकता है। और हमारे पास एक किताब है, जिसमें हमने हर कार्यकर्ता के काम को अंकित कर रखा है। वह सत्य के साथ बोलती है, जो संदेह से परे है। और उनपर, उनकी नेकियों को घटाकर अथवा उनके गुनाहों को बढ़ाकर कोई अत्याचार नहीं किया जाएगा। info
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63 : 23

بَلْ قُلُوْبُهُمْ فِیْ غَمْرَةٍ مِّنْ هٰذَا وَلَهُمْ اَعْمَالٌ مِّنْ دُوْنِ ذٰلِكَ هُمْ لَهَا عٰمِلُوْنَ ۟

बल्कि काफ़िरों के दिल इस सत्य के साथ बोलने वाली किताब और उस किताब से जो उनपर उतरी है, ग़फ़लत में पड़े हुए हैं। तथा जिस कुफ़्र पर वे क़ायम हैं, उसके सिवा भी उनके अन्य कार्य हैं, जिन्हें वे करने वाले हैं। info
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64 : 23

حَتّٰۤی اِذَاۤ اَخَذْنَا مُتْرَفِیْهِمْ بِالْعَذَابِ اِذَا هُمْ یَجْـَٔرُوْنَ ۟ؕ

यहाँ तक कि जब हम उनके उन लोगों को, जो दुनिया में समृद्ध थे, क़ियामत के दिन सज़ा देंगे, तो वे चीख-चीख कर मदद माँगेगे। info
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65 : 23

لَا تَجْـَٔرُوا الْیَوْمَ ۫— اِنَّكُمْ مِّنَّا لَا تُنْصَرُوْنَ ۟

तो उन्हें अल्लाह की दया से निराश करते हुए कहा जाएगा : आज मत चिल्लाओ और न मदद माँगो। क्योंकि आज तुम्हारा कोई मददगार नहीं है, जो तुम्हें अल्लाह की यातना से बचा सके। info
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66 : 23

قَدْ كَانَتْ اٰیٰتِیْ تُتْلٰی عَلَیْكُمْ فَكُنْتُمْ عَلٰۤی اَعْقَابِكُمْ تَنْكِصُوْنَ ۟ۙ

दुनिया में अल्लाह की किताब की आयतें तुम्हें सुनाई जाती थीं, तो तुम उन्हें सुनकर उनसे घृणा के कारण मुँह फेरते हुए पलट जाते थे। info
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67 : 23

مُسْتَكْبِرِیْنَ ۖۚۗ— بِهٖ سٰمِرًا تَهْجُرُوْنَ ۟

तुम यह कार्य लोगों पर बड़ा बनते हुए कर रहे थे, क्योंकि तुम्हारा यह भ्रम था कि तुम हरम वाले हो। हालाँकि वास्तव में तुम हरम वाले नहीं हो। क्योंकि हरम वाले तो वे लोग हैं, जो अल्लाह से डरने वाले हैं। तथा तुम हरम के आस पास रात में बुरी बातें करते हो। अतः तुम उसकी पवित्रता का सम्मान नहीं करते। info
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68 : 23

اَفَلَمْ یَدَّبَّرُوا الْقَوْلَ اَمْ جَآءَهُمْ مَّا لَمْ یَاْتِ اٰبَآءَهُمُ الْاَوَّلِیْنَ ۟ؗ

क्या इन अनेकेश्वरवादियों ने अल्लाह के उतारे हुए क़ुरआन पर विचार नहीं किया कि उसप ईमान लाते और उसके अनुसार कार्य करते, या क्या उनके पास कोई ऐसी चीज़ आई है, जो उनसे पहले उनके पूर्वजों के पास नहीं आई, इसलिए वे इससे दूर हो गए और इसका इनकार कर दिया?! info
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69 : 23

اَمْ لَمْ یَعْرِفُوْا رَسُوْلَهُمْ فَهُمْ لَهٗ مُنْكِرُوْنَ ۟ؗ

या उन्होंने मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को नहीं पहचाना, जिन्हें अल्लाह ने उनके पास रसूल बनाकर भेजा। इस कारण वे उनका इनकार कर रहे हैं?! निश्चित रूप से वे उन्हें जानते थे तथा उनकी सच्चाई और अमानतदारी को भी जानते थे। info
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70 : 23

اَمْ یَقُوْلُوْنَ بِهٖ جِنَّةٌ ؕ— بَلْ جَآءَهُمْ بِالْحَقِّ وَاَكْثَرُهُمْ لِلْحَقِّ كٰرِهُوْنَ ۟

बल्कि वे कहते हैं : वह पागल है। निश्चय उन्होंने झूठ बोला। बल्कि वह उनके पास अल्लाह की ओर से सत्य लेकर आए हैं, जिसके अल्लाह की ओर से होने में कोई संदेह नहीं है। जबकि उनमें से अधिकांश लोग अपनी ईर्ष्या और अपने झूठ के लिए कट्टरता (हठ) के कारण, सत्य को नापसंद करने वाले, उससे नफ़रत करने वाले हैं। info
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71 : 23

وَلَوِ اتَّبَعَ الْحَقُّ اَهْوَآءَهُمْ لَفَسَدَتِ السَّمٰوٰتُ وَالْاَرْضُ وَمَنْ فِیْهِنَّ ؕ— بَلْ اَتَیْنٰهُمْ بِذِكْرِهِمْ فَهُمْ عَنْ ذِكْرِهِمْ مُّعْرِضُوْنَ ۟ؕ

यदि अल्लाह चीज़ों का संचालन और उनका प्रबंध उनके मन की इच्छाओं के अनुसार करने लगे, तो आकाशों और धरती की व्यवस्था बिगड़ जाए और उनमें जो भी मौजूद हैं सब बिगाड़ के शिकार हो जाएँ। क्योंकि वे चीजों के परिणामों, तथा सही और भ्रष्ट उपाय (प्रबंधन) से अनजान हैं। बल्कि, हम उनके पास वह क़ुरआन लेकर आए हैं, जिसमें उनकी प्रतिष्ठा और सम्मान है, तो वे इससे मुँह मोड़ने वाले हैं। info
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72 : 23

اَمْ تَسْـَٔلُهُمْ خَرْجًا فَخَرَاجُ رَبِّكَ خَیْرٌ ۖۗ— وَّهُوَ خَیْرُ الرّٰزِقِیْنَ ۟

(ऐ रसूल!) क्या आपने उस (धर्म) पर जो आप इन लोगों के पास लेकर आए हैं, इनसे कोई पारिश्रमिक माँगा है, जिसके कारण वे निमंत्रण को अस्वीकार कर रहे हैं? यह तो आपके द्वारा नहीं हुआ है। क्योंकि आपके रब का सवाब और उसका बदला, इनके और इनके अलावा लोगों के बदले (पारिश्रमिक) से बेहतर है। और वह - महिमावान् - सब रोज़ी देने वालों से बेहतर है। info
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73 : 23

وَاِنَّكَ لَتَدْعُوْهُمْ اِلٰی صِرَاطٍ مُّسْتَقِیْمٍ ۟

तथा निश्चय (ऐ रसूल!) आप इनको और इनके अलावा लोगों को एक सीधे रास्ते की ओर बुलाते हैं, जिसमें कोई टेढ़ापन नहीं है, और वह इस्लाम का रास्ता है। info
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74 : 23

وَاِنَّ الَّذِیْنَ لَا یُؤْمِنُوْنَ بِالْاٰخِرَةِ عَنِ الصِّرَاطِ لَنٰكِبُوْنَ ۟

जो लोग आख़िरत और उसमें घटित होने वाले हिसाब, दंड और प्रतिफल पर ईमान नहीं रखते, वे इस्लाम के मार्ग से हटकर दूसरे टेढ़े रास्तों पर चलने वाले हैं, जो जहन्नम की ओर ले जाते हैं। info
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ߟߝߊߙߌ ߟߎ߫ ߢߊ߬ߕߣߐ ߘߏ߫ ߞߐߜߍ ߣߌ߲߬ ߞߊ߲߬:
• خوف المؤمن من عدم قبول عمله الصالح.
• मोमिन को इस बात का डर लगा रहता है कि कहीं उसका सत्य कर्म अस्वीकार न कर दिया जाए। info

• سقوط التكليف بما لا يُسْتطاع رحمة بالعباد.
• अल्लाह ने बंदों पर दया करते हुए उनपर किसी ऐसे कार्य की ज़िम्मेवारी नहीं डाली है, जो उनकी शक्ति से बाहर हो। info

• الترف مانع من موانع الاستقامة وسبب في الهلاك.
• विलासिता सीधे रास्ते पर चलने में रुकावट और विनाश का कारण है। info

• قصور عقول البشر عن إدراك كثير من المصالح.
• मानव बुद्धि की बहुत सारे हितों का बोध करने में विफलता। info